दोस्तों, भारत में विविधता की कोई कमी नहीं है। यहाँ के विभिन्न राज्य, जिलों और गांवों में भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक, भाषाई और भौगोलिक विशेषताएं हैं। ये भिन्नताएं जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करती हैं और विशेष रूप से महिलाओं की स्थिति को भी प्रभावित करती हैं।भारत के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में भारी अंतर है। शहरी और विकसित क्षेत्रों में जहां स्कूलों और शिक्षा संस्थानों की संख्या अधिक है और सुविधाएं बेहतर हैं, वहीं ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्कूलों की कमी और सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण शिक्षा प्राप्ति में असमानताएं देखने को मिलती हैं। दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- भारत के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह की असमानताएं है, जिसमे खेती किसानी भी एक है। यहाँ आपको किस तरह की असमानताएं नज़र आती है। *----- महिलाओं को कृषि और अन्य ग्रामीण उद्यमों में कैसे शामिल किया जा सकता है?
दोस्तों, क्या आपको भी लगता है कि महिलाओं को उनके अधिकार दिए जाने चाहिए, घर परिवार के आर्थिक मसलों पर उन्हें शामिल किया जाना चाहिए, जो पुरुष अपना तनख्वाह और खेती की कमाई अपनी पत्नियों को सौंप देते हैं और इसको सशक्तिकरण मानते हैं वह क्यों महिलाओं को संपत्ति का आधा हिस्सा उन्हें देकर कहें कि परिवार को चलाने बच्चों का पढ़ाने और आगे बढ़ने में मदद करने के लिए आवश्यक निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। *-----महिलाओं के गरीबी के चक्र को तोड़ने में आर्थिक अवसरों और सामाजिक सुरक्षा उपायों तक पहुंच कैसे बढ़ाई जा सकती है? *-----महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को कैसे बढ़ाया जा सकता है? *-----महिलाओं के जीवन में गरीबी पर काबू पाया जा सके, इसमें सरकार, व्यवसाय और नागरिक समाज की क्या भूमिका है?
महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से श्री देवी सोनी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है की महंगाई बहुत बढ़ गयी है। गरीब लोग महंगाई बढ़ने से बहुत परेशान है।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से अंकिता मिश्रा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सरकार द्वारा लाया गया बेटी बचाओ बेटी का प्रभाव पी. आर. ए. डब्ल्यू. ए. वाई. योजना का निश्चित रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सरकार बेटियों के विकास और शिक्षा के लिए इस अभियान के तहत लगातार कई योजनाएं ला रही थी। जिसकी वजह से आज गरीब परिवार की बेटियों को पढ़ाई के लिए सरकार की तरफ से कई सुविधाएं दी जा रही हैं। इस अभियान के कारण आज समाज में बेटियों की आबादी संतुलित हुई है। ऐसा हो रहा है और बेटियों की स्थिति में भी पहले की तुलना में काफी सुधार हुआ है। इस अभियान के कारण समाज में सदियों से दहेज प्रथा चली आ रही है।
2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।
भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से स्मृति मिश्रा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पिछले कुछ वर्षों में इस संबंध में कई रिपोर्टें आई हैं , जिनमें भारत में गंभीर से लेकर उस स्थिति तक जब देश की सरकार राशन मुफ्त या कम कीमत पर राशन देती है , और तब भी भारत की गरीबी के मामले में पिछड़ी हुई है । ऐसे में सरकारी नीतियों और बदलावों की सख्त जरूरत है ताकि कोई भी बच्चा भूखे न सो सके ।
भारत गंभीर भुखमरी और कुपोषण के से जूझ रहा है इस संबंध में पिछले सालों में अलग-अलग कई रिपोर्टें आई हैं जो भारत की गंभीर स्थिति को बताती है। भारत का यह हाल तब है जब कि देश में सरकार की तरफ से ही राशन मुफ्त या फिर कम दाम पर राशन दिया जाता है। उसके बाद भी भारत गरीबी और भुखमरी के मामले में पिछड़ता ही जा रहा है। ऐसे में सरकारी नीतियों में बदलाव की सख्त जरूरत है ताकि कोई भी बच्चा भूखा न सोए। आखिर बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं।स्तों क्या आपको भी लगता है कि सरकार की नीतियों से देश के चुनिंदा लोग ही फाएदा उठा रहे हैं, क्या आपको भी लगता है कि इन नीतियों में बदलाव की जरूरत है जिससे देश के किसी भी बच्चे को भूखा न सोना पड़े। किसी के व्यक्तिगत लालच पर कहीं तो रोक लगाई जानी चाहिए जिससे किसी की भी मानवीय गरिमा का शोषण न किया जा सके।
उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से विभा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की जब तक कि दुनिया में गरीब और गरीबी को समाप्त नहीं किया जा सकता है। लेकिन रहने के लिए घर पहनें और भोजन और उपचार आदि की उचित व्यवस्था के बाद लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया जा सकता है। भारत सरकार के पास संसाधनों की भारी कमी है । गरीबों और बेसहारा लोगों को खत्म करने का दावा गलत है।वास्तविकता यह है कि गरीब बहुत खराब स्थिति में हैं
Comments
लैंगिक असमानता घरेलू हिंसा महिलाओं के प्रति भेदभाव करना सही नहीं है
June 11, 2024, 2:59 p.m. | Tags: autopub
भारत में हम लड़कियों को शिक्षित करके उन में भेदभाव या अन्य चीजों से उन्हें शिक्षा से विकसित कर सकते हैं
June 11, 2024, 3:05 p.m. | Tags: autopub
लैंगिक स असमानता से समाज में बहुत ही असमानताएं होती हैं
June 11, 2024, 3:07 p.m. | Tags: autopub