इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?

साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

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नरसिंहपुर नगर पालिका के द्वारा चलाए जा रहा है मुक्त पॉलिथीन अभियान नागरिकों को दी जा रही है समझाइए कि अगर वह घर से निकल रहे हैं तो कपड़े का थैला लेकर निकले पॉलिथीन को छोड़े नरसिंहपुर को पॉलिथीन से मुक्त बनाएं

आवारा पशुओं के पेट में जा रही है पनी

नगर पालिका के नरसिंहपुर क्षेत्र में चलाया जा रहा है पॉलिथीन मुक्त अभियान और बाजार आए हुए सभी लोगों को समझाएं दी जा रही है कि वह पहले का कपड़ा लेकर ही बाजार आए पॉलिथीन का बहिष्कार करें

मां नर्मदा में घाटों के किनारे जगह-जगह गंदगी का फैलाव श्रद्वालुजनों द्वारा निरंतर ही किया जा रहा है। एक ओर जहां सरकार साफ सफाई अभियान चलाकर देश को स्वच्छ बनाने का प्रयास कर रही है, वहीं लोग इस/में अपनी जनभागीदारी न दिखाते हुए गंदगी फैला रहे हैं। मां नर्मदा के बरमान घाट पर जगह-जगह इस तरह के नजारे दिखाई देना आम है। प्रशासन के सख्त निर्देशों को भी इन पर कोई असर नहीं दिखाई दे रह नागरिकों में जागरूकता जरूरी वहां निवास कर रहे दिनेश, राहुल, मनोज ने बताया कि हम यहां पर आने वाले श्रद्घालुओं से गंदगी फैलाने के लिए मना करते हैं तो कुछ तो मान जाते हैं लेकिन कुछ नहीं मानते। नहाते समय लोग साबुन का अधिकतर प्रयोग करते हैं और पालीथिन फेंक जाते हैं जो विचरण कर रहे मवेशी भी खाते हैं। आदेश की उड़ रही धज्जिया और साबुन, डिटर्जेन्ट, वाहन धोने जैसे कार्य नित्य किये जा रहे हैं इससे नर्मदा नदी प्रदूषित हो रही है। वहीं श्रद्घालुओं का कहना है कि लोगों को आदेशों का पालन कराने के लिये प्रशासन को सजग रहना चाहिये। इसके लिये आवश्यक है कि स्थल पर प्रशासन ध्यान दे और गंदगी फैलाने वालों पर कार्रवाई करे। इसके लिये सभी को जागरूक होना भी जरूरी है। Posted By

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पॉलिथीन की प्रतिबंध के बाद भी पॉलिथीन का अत्यधिक इस्तेमाल हो रहा है कचरे के धेर में सर्वाधिक पॉलीथिन और डिस्पोजल ही होती हैं पॉलिथीन से बढ़ रही समस्या को देखते हुए इसे पूर्ण रूप से प्रबंधित करने की मांग लगातार उठ रही है लेकिन प्रशासन इस पर गौर नहीं कर रहा लोगों को कहना है की पॉलिथीन तथा डिस्पोजल से सिर्फ कचरा ही नहीं बढ़ रहा इससे प्रदूषण भी बढ़ रहा है और मवेशियों को भी जान का खतरा है नगर में पॉलिथीन के सेवन से कई। गोवंश की जान जा चुकी है जागरूक नागरिकों का कहना है कि ग्राम में बढ़ रही गंदगी के लिए प्रशासन का उदासीन रवैया ही जिम्मेदार है सफाई व्यवस्था कायम रखने के लिए बनाए गए नियमों की लोग अबहिलना कर रहे हैं लेकिन ऐसे लोगों पर प्रशासन कार्यवाही नहीं कर रहा

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