हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

टाइगर और चीता के बाद प्रदेश ने इस बार भी तेंदुआ स्टेट होने का तमगा बरकरार रखा है । देश में 13,874 तेंदुओं में से सबसे ज्यादा 3907 तेंदुए मध्यप्रदेश में हैं

विश्व वन्यजीव दिवस जिसे आप वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे के नाम से भी जानते है हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य है की लोग ग्रह के जीवों और वनस्पतियों को होने वाले खतरों के बारे में जागरूक हो इतना ही नहीं धरती पर वन्य जीवों की उपस्थिति की सराहना करने और वैश्विक स्तर पर जंगली जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य या दिवस मनाया जाता है.विश्व वन्यजीव दिवस के उद्देश्य को पूरा करने के लिए है हर वर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है जिससे लोगो में इसके प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता को बढ़ावा मिले . हर वर्ष की तरह इस वर्ष 2024 का विश्व वन्यजीव दिवस का थीम है " लोगों और ग्रह को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज" है। "तो आइये इस दिवस पर हम सभी संकल्प ले और वन्यजीवों के सभी प्रजातियों और वनस्पतियों के संरक्षण में अपना योगदान दे।

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नर्मदापुरम बंद्रभान संगम तट पर हुआ सम्मेलन

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मध्य प्रदेश राज्य के जिला दतिया से मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रियंका जाटव बोल रही हैं की जलवायु परिवर्तन का असर हमारे उम्र पर भी पद रहा है। एक सदी पहले लोग लम्बा जीवन जीते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। जलवायु परिवर्तन इंसानो का जीवन छीन रहा है इसका कारन जानवर और जीव जंतु है। इंसानो ने जंगल को काटकर घर और फैक्ट्री बनाना लिया है जिसके के कारन फंगस ाऔर बैक्टीरिया तेजी से फ़ैल रहा है। इससे बीमारी भी लोगो में ज्यादा हो रहा है। इंसानो जीवो को खाते हैं जिससे जीवो में पनपने वाले बैक्टीरिया के डायरेक्ट संपर्क में ा जाते हैं। और बढ़ते तापमान का भी झेलने वाले लोगो की संख्या भी बढ़ती जा रही है। जर साल करीब दो करोड़ लोग जलवायु परिवर्तन के कारन विस्थापित होते हैं। यह सब कारन बीमारिया फैलने के लिए परिस्थिति बना रही हैं

जलवायु की पुकार [श्रोताओं की सरगम] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे अलग अलग लोगों के योगदान के बारे में की कैसे पर्यावरण के समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।

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जलवायु की पुकार [छोटे कदम, बड़ा परिवर्तन ] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे  बिजली बचाना,कचरा का सही निपटान करना और पानी का कम उपयोग करना हमारे पर्यावरण के लिए क्यों जरुरी है ?