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प्रदेश सरकार हो या केंद्र सरकार दोनों के नेता यह दावा करते हैं कि उनकी सरकार ने घर-घर गैस सिलेंडर पहुंच कर महिलाओं को धुएं से निजात दिला दी परंतु यह दवा गांव में कहीं भी खुश होता देखा जा सकता है गांव में आज भी सैकड़ो घरों में उपले या लड़कियों से खाना बनता है क्योंकि गैस सिलेंडर इतना महंगा है कि हर व्यक्ति हर महीने नहीं भर सकता।

एक सामान्य समझ है कि कानून और व्यवस्था जनता की भलाई के लिए बनाई जाती है और उम्मीद की जाती है कि जनता उनका पालन करेगी, और इनको तोड़ने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके उलट भारतीय न्याय संहिता में किये गये हालिया बदलाव जनता के विरोध में राज्य और पुलिस को ज्यादा अधिकार देते हैं, जिससे आभाष होता है कि सरकार की नजर में हर मसले पर दोषी और पुलिस और कानून पूरी तरह से सही हैं।

राजधानी के विकासखंड माल अंतर्गत ग्राम पंचायत हसनापुर के मजरे बेल बिरवा के प्राथमिक विद्यालय में एक माह से लड़कियों से खाना बन रहा है यहां गैस सिलेंडर नहीं भराया गया है जबकि गैस पर खाना बनना चाहिए।

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