उत्तर प्रदेश के हाथरस में अचानक से भारी भीड़ पहुंच जाती है। तो जाहिर सी बात है की सिस्टम अस्त व्यस्त हो जाती है। लेकिन अगर जिला प्रशासन इन बातों पर ध्यान दें और उन सब चीजों को व्यवस्थित करें या अगर कोई कार्यक्रम हो रहा है तो उसे कार्यक्रम के पूर्व एक निर्धारित मापदंड बनाया जाए जिससे उसे कार्यक्रम को सफल कराया जाए ।

साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

दोस्तों इस तरह के बाबाओं द्वारा चलाई जा रही धर्म की दुकानों पर आपका क्या मानना है, क्या आपको भी लगता है कि इन पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर इनको ऐसे ही चलते ही रहने देना चाहिए? या फिर हर धर्म और संप्रदाय के प्रमुखों द्वारा धर्म के वास्तविक उद्देश्यों का प्रचार प्रसार कर अंधविश्वास में पड़े लोगों को धर्म का वास्तविक मर्म समझाना चाहिए। जो भी आप इस मसले पर क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं और सत्तारूढ़ दल की लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं ऐसी ही एक व्यवस्था है। जिसमें सरकार और सत्तारूढ़ दल को नियमित अंतराल पर लोगों द्वारा चुना जाता है, वे दुनिया भर में फैले हुए हैं और लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित हैं जिसमें लोगों को अपने नेताओं को चुनने की स्वतंत्रता है। सरकारी निर्णयों को चुनने और उनमें भाग लेने की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को समान संवेदनशीलता और सरकारी प्रतिनिधित्व के माध्यम से संरक्षित किया जाता है। ये प्रक्रियाएँ लगातार विकसित हो रही हैं ताकि लोगों का विश्वास और विश्वास सुरक्षित रहे। सत्तारूढ़ दल के लिए समर्थन बनाए रखना लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका अर्थ है कि सरकार की स्थापना लोगों द्वारा चुने गए नेताओं और उनके कार्यकाल को पूरा करने के माध्यम से की जानी चाहिए।

दोस्तों नई सरकार का गठन हो गया है। ऐसे में सरकार से आपकी क्या अपेक्षाए हैं, क्या आपको भी लगता है कि लोकतंत्र के संस्थानों के उनके नियमों के अनुसार ही काम करना चाहिए या सरकार का रुख ठीक है कि वह चुनकर सत्ता में आए हैं, तो अब उनकी मर्जी है कि वे कैसे चलाते हैं। इस मसले पर अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर

उत्तर प्रदेश राज्य के श्रावस्ती जिला से पूनम वर्मा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लोकतंत्र में चुनाव एक प्रक्रिया है। किसी भी आदमी को समान अधिकार व हक देने के लिए उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए। ऐसा करने के पीछे उद्देश्य होता है। कुछ नागरिक समूह किसी नागरिक अधिकार के लिए ऐतिहासिक राजनितिक दलों के सामने अपनी मांगे उठाते हैं। साथ ही देश के विकाश में भागीदारी निभा सके।

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दोस्तों, हमारे यह 2 तरह के देश बसते है। एक शहर , जिसे हम इंडिया कहते है और दूसरा ग्रामीण जो भारत है और इसी भारत में देश की लगभग आधी से ज्यादा आबादी रहती है। और उस आबादी में आज भी हम महिला को नाम से नहीं जानते। कोई महिला पिंटू की माँ है , कोई मनोज की पत्नी, कोई फलाने घर की बड़ी या छोटी बहु है , कोई संजय की बहन, तो कोई फलाने गाँव वाली, जहाँ उन्हें उनके मायके के गाँव के नाम से जाना जाता है। हम महिलाओ को आज भी ऐसे ही पुकारते है और अपने आप को समाज में मॉडर्न दिखने की रीती का निर्वाह कर लेते है। समाज में महिलाओं की पहचान का महत्व और उनकी स्थिति को समझने की आवश्यकता के बावजूद, यह बहुत दुःख कि बात है आधुनिक समय में भी महिलाओं की पहचान गुम हो रही है। तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----आप इस मसले को लेकर क्या सोचते है ? *-----आपके अनुसार से औरतों को आगे लाने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है *-----साथ ही, आप औरतों को किस नाम से जानते है ?

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किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें