अजय कुमार की खास बातचीत सत्येंद्र भगत भगत जी के साथ।।।
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नमस्कार, आदाब दोस्तों ! स्वागत है आपका मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। साथियों, हर माता-पिता को अपने बच्चों से पढ़ लिखकर कुछ अच्छा करने की उम्मीद होती है तभी तो किसी ने अपनी कलम से यह लाइन खूब लिखी है की पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा, मगर ये तो कोई न जाने के मेरी मंजिल है कहाँ ...........और सही मायने में ज़िन्दगी मंजिल तो हर किसी का अलग अलग होता है पर आज के समय में माता पिता ज़िन्दगी के दौड़ में हर बच्चे का मंजिल एक ही बनाना चाहते है। आज की जेनेरशन के भी माता -पिता अपने बच्चों के ऊपर एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए दबाव तो डालते ही हैं पर गौर करने वाली बात तो यह है कि इन सब के बीच बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में हम भूल जाते है। तो चलिए आज की कड़ी में जानते है कि साथियों बच्चें देश के भविष्य होते हैं और बच्चों के भविष्य से ही देश की भविष्य की कल्पना की जाती है ऐसे में उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना। तो चलिए, सुनते है आज की कड़ी।.....साथियों, अभी आपने सुना कि कैसे बच्चों पर शैक्षणिक दबाव का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य का प्रभावित करता है और इससे कैसे निपटा जा सकता है। अब अगली कड़ी में सुनेंगे की आखिर कभी कभी पुरुषों के लिए भी रोना क्यों जरुरी हो जाता है। लेकिन तब तक आपलोग हमें बताएं कि केवल परीक्षा में लाये हुए अच्छे नंबर ही एक अच्छा और सच्चा इंसान बनने का माप दंड कैसे हो सकता है? अक्सर देखा जाता है कि माता पिता अपने बच्चों के तुलना दूसरे बच्चों से करते है. क्या यह तुलना सही मायने में बच्चे को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करती है या उनके मन में नकारात्मक सोच का बीज बो देती है ? आपको क्या लगता है? इस पर आप अपनी राय, प्रतिक्रिया जरूर रिकॉर्ड करें। और हां साथियों अगर आज के विषय से जुड़ा आपके मन में किसी तरह का सवाल है तो अपने सवाल रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन नंबर 3 दबाकर। हम आपके सवालों का जवाब ढूंढ कर लाने की पूरी कोशिश करेंगे। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani
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इंटरमीडिएट की परीक्षा के 7वां दिन सोनपुर में बनाए गए 6 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थी समय से पूर्व ही पहुंच गए थे। परीक्षा केंद्र में प्रवेश के पहले परीक्षार्थियों की गहन जांच की गई। जांच करते कर्मी ने देखा कि कोई चिट पुर्जा तो नहीं है। इस बार बिहार बोर्ड परीक्षा समिति ने परीक्षार्थियों को जूता-मोजा पहनने की इजाजत नहीं दी है। प्रवेश पत्र जांच के बाद हिदायत के साथ कदाचार न करने के लिए भी प्रेरित किया गया।
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बिहार में ध्वस्त हो रही शिक्षा व्यवस्था और बिपीएससी परीक्षा में हुई अनियमितता के खिलाफ सोनपुर अनुमंडल क्षेत्र से भारी संख्या में जन सुराज से जुड़े लोगों ने पटना पहुंचकर ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ को लेकर अभ्यर्थियों के साथ गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के समीप अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर 2 जनवरी 25 गुरूवार से जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर के साथ बैठ गए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।