महिला संरक्षण 2005 के तहत जो आपने जानकारी दी है महिलाओं के लिए वह बहुत ही अच्छी है हमें बहुत ही अच्छा लगा आपसे जानकारी लेकर धन्यवाद।

रहमानपुर से विनीता, जो सुरक्षा सखी में जुडी हुई है, इनके पति का नाम गब्बर सिंह है, इनका कहना है की यह सुरक्षा सखी की बहुत फैन है और कुछ बातचीत करना चाहती है.

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पाली से कविता बोल रहे है की उनके इलाके की लड़कियां जड़ स्कूल जाते थे तब कुछ लड़के उनको रोक देते है बीच रस्ते | लड़के कुछ ज़्यादा बोलते नहीं थे पर लड़कियों के शांति से जाने नहीं देते थे | यह जान लने के बाद उन्होंने स्कूल के हेडमास्टर को कंप्लेंट किये थे और हेडमास्टर ने लड़कों को सजा दिलवाया था | वह यही कह रहे है की सब औरतों को गलत के खिलाफ अपनी आवाज उठाना चाइये और डर डरके जीना नहीं चाइये |

पूनम गोयल, फालना से महिलाओं की मुद्दों पर चर्चा कर रहे है | वह बोल रहे है की परिवार का एक महत्वपूर्ण भाग बच्चे होते है और घर पर लड़का और लड़की दोनों के सामान रूप से देखना चाइये | घर पर बच्चों को लेकर भेदभाव नहीं करना चाइये | माँ-बाप को लड़कियों के साथ अच्छे से पेश आना चाइये और उन्हें यह आश्वासन देनी चाइये की वह हमेशा अपने बच्ची को सपोर्ट करेंगे | नहितोह लड़किया अपनी बातें बोल नहीं पड़ेंगे और इसके ज़रिये बोहोत बरे बरे अपरदों को जमान दे सकती है |

पाली की सदरी थाना से निकिता लड़कियों की सुरक्षा के बारे में बोल रहे है | वह बोल रहे है की लडकिया जो रात की घर से बहार रहते है पर डरते है | इनके आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए उन्हें सही चीज़ों की जानकारी होना ज़रूरी है | वो बोल रहा है कि लड़कियों पास एक ऐसा फोन नंबर होनी चाइये जिसको इमरजेंसी पर कॉल करने से वह हमेशा फ़ोन उठाये, जैसे कोई रिश्तेदार या क्षेत्र की पुलिस को, जिनसे वह अपने लोकेशन शेयर कर सकते है | अगर ऐसी सावधानी बनाये रख सकते है तोह रात को बाहर जाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाइये |

नोखा से संगीता शर्मा बोल रहे है की महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए हर स्कूल में, कॉलेज में पुलिस प्रशाशन की बैठक हो | इन बैठकों में सोशल मीडिया के द्वारा बच्चियों और औरतों पर होते हुए हानि के बारे में बोला जाये | और इन बैठकों में बच्चो की माँ-बाप को भी यह साड़ी चीज़ों के बारे में बोला जाये | और इसके द्वारा माँ-बाप को यह बोला जाये कि बच्चों को फ़ोन न दे और इस विषय में स्कूल के टीचर भी अपनी राए आगे रखें |

नोखा थाने से रेखा जी का कहना है की अभी कुछ समय पहले मीटिंग हुई थी नोखा में तो उसमे सुना था की हम बाल विवाह होने से पहले ही कदम उठा सकते हैं, बाद में कुछ नहीं कर सकते। तो मेरा मानना है की इसमें पहले निर्णय लेने से अच्छा है की बाद में ले, क्योंकि पहले तो क्या करते हैं की पड़ोस के घरों में, या ननिहाल में या चाचा के घर ले जाकर बच्चों की शादी कर दी जाती है पता ही नहीं लगने देते, क्योंकि उनको डर है कि पुलिस आ जाएगी, लेकिन इसके बाद में डर होना चाहिए, क्योकि उन्हें यह लगना चाहिए की किसी को अब भी पता चल गया की बच्चे की शादी हुई है तो भी एक्शन ले सकते है, तो जैसा की हम लोगो ने मीटिंग में बात की तो मैडम ने कहा की पहले ही कदम हो सकता है, बाद में कुछ नहीं हो सकता , तो मेरा राय है की यदि इसमें ज्यादा गहरा, कड़क निर्णय लेना है तो वह बाद में होना चाहिए, शादी होने के बाद में भी कुछ कर सकते है, तो इससे वह बच्चो की शादी करेंगे ही नहीं, तो अपने बाल विवाह अपने आप बंद हो जाएगी।

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विमला मीणा जी का कहना है की, वह लड़किया और महिलाये जिनकी शादी हो चुकी है, वो ऐसे स्थिति में आ जाती है की एक तरफ तो सास ससुर दूसरी तफर पीहर से घरवालों का दबाव रहता है, उन लड़कियों की किस तरीके से निकलना चाहिए, वह लड़किया छटपटा रही है , किसी की पढ़ाई अधूरी रह गयी है , शादी कर दी गयी है माँ बाप उसे ससुराल भेजना चाहते है और सास ससुर उससे बच्चा मांगना चाहते है उन लड़कियों को किस तरह से निकलना है यह हमारा मुद्दा है