नोखा से संगीता शर्मा बोल रहे है की महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए हर स्कूल में, कॉलेज में पुलिस प्रशाशन की बैठक हो | इन बैठकों में सोशल मीडिया के द्वारा बच्चियों और औरतों पर होते हुए हानि के बारे में बोला जाये | और इन बैठकों में बच्चो की माँ-बाप को भी यह साड़ी चीज़ों के बारे में बोला जाये | और इसके द्वारा माँ-बाप को यह बोला जाये कि बच्चों को फ़ोन न दे और इस विषय में स्कूल के टीचर भी अपनी राए आगे रखें |
नोखा थाने से रेखा जी का कहना है की अभी कुछ समय पहले मीटिंग हुई थी नोखा में तो उसमे सुना था की हम बाल विवाह होने से पहले ही कदम उठा सकते हैं, बाद में कुछ नहीं कर सकते। तो मेरा मानना है की इसमें पहले निर्णय लेने से अच्छा है की बाद में ले, क्योंकि पहले तो क्या करते हैं की पड़ोस के घरों में, या ननिहाल में या चाचा के घर ले जाकर बच्चों की शादी कर दी जाती है पता ही नहीं लगने देते, क्योंकि उनको डर है कि पुलिस आ जाएगी, लेकिन इसके बाद में डर होना चाहिए, क्योकि उन्हें यह लगना चाहिए की किसी को अब भी पता चल गया की बच्चे की शादी हुई है तो भी एक्शन ले सकते है, तो जैसा की हम लोगो ने मीटिंग में बात की तो मैडम ने कहा की पहले ही कदम हो सकता है, बाद में कुछ नहीं हो सकता , तो मेरा राय है की यदि इसमें ज्यादा गहरा, कड़क निर्णय लेना है तो वह बाद में होना चाहिए, शादी होने के बाद में भी कुछ कर सकते है, तो इससे वह बच्चो की शादी करेंगे ही नहीं, तो अपने बाल विवाह अपने आप बंद हो जाएगी।
मेरा नाम रेखा है, मैं नोखा थाने से हूं, मुझे बाल विवाह के बारे में यह बताना है कि हम सिर्फ लड़कियों को यह सब बताते हैं जबकि हमें लड़कों के साथ भी स्कूलों में जाकर बाल विवाह को लेकर मीटिंग करनी चाहिए, क्योकि वहां तो किसी का भाई भी पढ़ता होगा तो किसी की बहन, तो ऐसे उसके विचार बदल सकते हैं तो भाई के भीतर भी बदलाव आएगा तो वह अपने घर में भी अपनी माता पिता से कहेंगे कि बाल विवाह नहीं करना चाहिए। तो मैं कहूँगी की स्कूलों में भी जाए और उनको भी यह सब समझाएं कि बाल विवाह नहीं होना चाहिए, तो लड़कों को भी समझ होगी तभी तो वो रोक पाएंगे।