बगवन्ती लड़कियों की सुरक्षा के बारे में बोल रहे है | उनका यह कहना है कि लड़कियां जब भी घर से निकलती है, रस्ते पर कही न कही कोई न कोई लड़का या कदको का झुण्ड उनसे बत्तमीज़ी करते है | यह सारी बात लड़किया अपनी माँ बाप को बोल नहीं पाते है और उनको सुरक्षित भी महसूस नहीं होता | वह बोल रहे है की हमें लड़कियों को उत्साह दिलाना चाइये ताकि वह अपनी सुरक्षा को लेकर बातें अपनी माँ बाप को बता पाएं और अपने ज़हन में लेकर न घूमे हमेशा |

उदयपुर के वल्लभनगर से सुरक्षा सखी मंजू लोहार जी सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा के बारे में बात करना चाहती है, उनका कहना है की यदि सार्वजनिक स्थान सुरक्षित होने तो वहां पर कोई यौन और छेड़छाड़ संबधित अपराध नहीं होंगे और ऐसे अपराध रुक जाएंगे और महिला बच्चे सुरक्षित रहेगी।

बलवनगर से मंजु लोहार, बोल रहे है कि सार्वजनिक स्थानों पर भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है | इसी को लेकर वह क्या करना चाहते है और लड़कियों को अपने सुरक्षा के लिए आवाज़ उठने के लिए उत्साहित करेंगे | सब महिलाओ को एकटा हो कर इसका उपाए निकलना पड़ेगा और महिलाओ और बच्चो के सुरक्षा के लिए वह काम करेंगे |

आज की ट्रेनिंग से उनको जानकारी मिली की कैसी पुलिस के साथ समस्या का सुझाव मिल सकता है

सुरक्षा सखी पूजा राणा, जो बड़गांव उदयपुर से महिला और लड़कियों के लिए बोलना चाहती है की सार्वजनिक जगह या कहीं भी स्कूल के टाइम पर अगर लड़के बैठे रहते है तो इससे लड़कियों की सुरक्षा प्रभावित होती है और किडनैपिंग के केस ज्यादा बढ़ता है.

अस्तु सिंघल, जो की रामसीन की रहने वाली है और वह बच्चों के लिए कुछ कहना चाहती है की हमारे सार्वजनिक स्थान है जैसे मंदिर है और चौराहा हैं और मंदिर के पास में जो नदी हैं वहां पर चाहती है कि लाइट लगे क्योंकि वहां पर अंधेरा रहता है और वहां पर कुछ सुनसान जगह पड़ी है क्योंकि वहां बच्चे को सबसे ज्यादा खतरा है और दूसरी बात यह थी कि जो बच्चिया स्कूल जाती है, उसके एकदम सामने होटल है वहां शराबी लोग बैठे रहते है, बुरी निगाहो से देखते रहते है. तो चाहती है की वहां पर पुलिस-प्रशासन रहे और जो मैं यह बात स्कूल से प्रिंसिपल से कहु तो वह मेरे बात को सुने और साथ ही पुलिस कर्मी भी उस पर गौर करें और उस पर कदम उठाएं

राजस्थान राज्य के लिए जिला जालोर से एक श्रोता ने बताया कि लड़कियों के लिए सार्वजानिक जगहों पर शांति का माहौल होना चाहिए ताकि लड़कियां बेझिझक बाहर निकल पाएं

प्रभा देवी, जो की आंगनवाड़ी वर्कर है, उनका कहना है यहाँ पर लोग पढ़े लिखे नहीं है वह अपने बच्चो की पढ़ने नहीं भेजते है और मजदूरी पर भेज देते है, उनको कोई समझ नहीं है, बोलते है की छोरियो की पढ़ा लिखा कर क्या करना है, हम तो गरीब है हमारे पास पैसा नहीं पढ़ने के लिए. जबकि सरकार छात्रावास दे रही है, आंगनवाड़ी से पोषाहार मिल रहा है, सब कुछ कर रही है सरकार फिर भी नहीं समझते है, यह परिस्थिति है.

प्रभा देवी जी बोल रही है की शौचालय है, मेन बाज़ार है वहां पर महिलाओं और बच्चियो को जाने में तकलीफ होती है, वहां पर फालतू आवारा लडके दारू पीकर बैठे रहते है, जिनकी वजह से बच्चो की स्कूल छूट जाती है, फिर घर के घरेलु कामो में माँ बाप लगा देते है और बच्चो की लाइफ ख़राब हो जाती है, उनकी जल्दी शादी भी कर दी जाती है.

सुरक्षा सखी सहनाज है, जो बता रही है की आज सुरक्षा सखी की मीटिंग हुई, जिसमे उन्हें यौन उत्पीड़न के बारे में पूरी जानकारी मिली जो की उन्हें पहले नहीं पता था, जैसे कि इशारा करना, सिटी बजाना, कमेंट करना, आदि जानकारी मिली, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहती है, यह सब घटनाये होती है तो लड़कियां अंदर अंदर घुटने लगती है, घर पर बता नहीं सकती है और कुछ तो लड़कियां आत्महत्या करने तक आ जाती है.