दादाबाड़ी थाने से गिरिजा शर्मा का कहना है की सुरक्षा सखी में जुड़कर बहुत अच्छा लगा है, और आगे भी जुड़े रहना चाहती है.

जोधपुर से उषा सोलंकी का कहना है की उन्होंने ने सुरक्षा सखी ट्रेनिंग/ मीटिंग में भाग लिया है, अपने एरिया के कई लड़कियों के इसके बारे में बताया, स्कूल न जाने वाले बच्चो से मिली उन्हें इस नंबर के बारे में जानकारी दिया, और उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए समझाया, बाल मजदूरी करने वाले बच्चो (जो दुसरो के घरो में जाकर झाड़ू पोछा करती है) से जाकर मिली उन्हें भी समझाया है, सुरक्षा वाणी का यह मंच बहुत अच्छा है और हमें ख़ुशी है की मै इसका हिस्सा हूँ.

भरतपुर जिले के उच्चैन थाने से मंजू जी का कहना है की, यह सुरक्षा वाणी मंच पाकर वह बहुत खुश हुई है, और यह नंबर वह अपने समुदाय के अन्य लड़कियों और महिलाओं तक पहुचायेंगी। इन मंच से उन्हें लडकियों और महिलाओं से सम्बंधित बहुत सारी जानकारी मिली है.

भरतपुर जिले के उच्चैन थाने से मंजू का कहना है की सुरक्षा सखी के रूप में उन्होंने अपने गांव में महिलाओं और बच्चो के लिए बहुत से काम किये है, उन्होंने अभी कुछ समय पहले मुख्यमंत्री से भी बात की है, वह रेगुलर थाने सुरक्षा सखी की मीटिंग में जाती है और पुलिस के समक्ष मुद्दों को रखती है और पुलिस उन्हें सहयोग करती है

आरती कुमारी को सुरक्षा वाणी का जानकारी प्राप्त करके बहुत अच्छा लगा

संगीता कुमारी, थाना पत्रकार नगर से बोल रहे हैं के उनके क्षेत्र में बाल विवाह, बाल मजदूरी, घरेलु हिंसा आदि के बारे में वे पुलिस के साथ बात किया है और पुलिस ने आश्वासन दिया है की वे हर वक्त उनके सहायता के लिए महूजत रहेंगे

दुर्गा वैष्णव कोटा से, उनका कहना है की हर गांव - ढाणी में एक सुरक्षा सखी होनी चाहिए, ताकि छोटे छोटे क्राइम कोई बड़ा रूप न ले लें उससे पहले ही पुलिस के साथ मिलकर एक सेतु के रूप में उस पर काम करें, हर एक लड़की को पढ़ने का मौका मिले और एक जो बाल विवाह होते हैं यह बाल विवाह में लड़की का पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है और वह आगे कुछ नहीं कर पाती हूं जितना हो सकता है अपन बाल विवाह को रोकने की कोशिश करते हैं, और जो यह लड़कियां होती है बहक जाती है लड़को के साथ में, पूरा जीवन लड़के नष्ट कर देते हैं और ठाणे में जाने से वह लड़कियां डरती है, ठाणे में नहीं जायेंगे, कुछ उनके अपने ही रक्षक ही भक्षक बन जाते है, परिवार की इज्जत कम हो जाएगी पुलिस में जाएगी, ऐसा है वैसा है. हमें बहुत कुछ सीखने को मिला और यह जो छोटे छोटे ढाणी होते है जहाँ पुलिस नहीं पहुंच पाती है, हमें उनके साथ मिलकर इस पर काम होना चाहिए इस तरह का एक मौका मिला, जिसे पाकर बड़ी खुशी हूँ, और मै हर एक लड़की से मिलती हूँ, उनको मोटीवेट करती हूँ, घरेलु हो जाती है तो हम तीन चार सखियाँ मिलकर उसे समझाते है. फिर भी नहीं मानते है तो उस केस को हम पुलिस ठाणे तक ले जाते है. और अभी हमने दो चार केस हैंडल किये है. और हमारा कुणादि थाना बहुत सहयोग करता है. धन्यवाद

कंचन कोरिया, जो सुरक्षा सखी सदस्य है, का कहना है महिलाओं के साथ हो रहे हिंसा और अत्याचार से सहमत है, जिससे महिलाओं को हम सुरक्षा सखी का सहयोग मिल सकें, मुझे बहुत इस ग्रुप से जुड़कर बहुत अच्छा लगा, जिससे मै घरेलु हिंसा से महिलाओं को बचा सकूँ, जो महिलाएं अपनी बात दबा कर रखती किसी से कह नहीं पाती है, उनसे एक बहन की तरह उनकी बात को समझू और पुलिस के साथ मिलकर होने वाले उत्पीड़न से उसे बचा सकूँ।

मनीषा का कहना है की, सुरक्षा सखी के रूप में जुड़कर बहुत ख़ुशी हुई है, इससे महिलाओं और लड़कियों को काफी प्रोत्साहन मिला है.

पूनम गुप्ता, खुसरतपुर से, यह जानकारी मिली कि यह मंच बनाया गया है महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए, ये मंच अच्छा लगा मैं काफी उत्साहित हूं इस मंच को पाकर बहुत अच्छी कोशिश की गई है कि महिलाएं और बच्चियां अपनी कहानी और अपने बारे में अपनी बात रख सकती हैं इस मंच के द्वारा थैंक यू