दोस्तों, केन्द्र सरकार ने 1995 में देश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना की शुरूआत की थी. पहले यह योजना कुछ चुनिंदा राज्यों और स्कूलों में शुरू हुई, फिर धीरे—धीरे करके गांव कस्बों तक पहुंच गई. लेकिन क्या है इस योजना के फायदे ?और क्यों है इसकी ज़रूरत ? जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें
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दोस्तों, शिक्षक का पद बहुत ही गरिमामय है, वे हमेशा अपने छात्रों को स्वाभिमानी बनने की शिक्षा देते हैं, सोचिए उनके लिए यह समय कितना विकराल रहा है? स्कूल बंद, कोचिंग बंद, नौकरी नहीं, तनख्वाह नहीं... हाथ खाली और वे बस बेबस! सरकार ने गरीबों को राशन दिया, अच्छी बात है पर एक शिक्षक का आत्मसम्मान तो उसे वहां तक भी नहीं पहुंचा सकता. सरकारी शिक्षकों के पास तो फिर भी तनख्वाह पहुंच रही थी लेकिन संविदा शिक्षक, निजी स्कूल में आॅनलाइन कक्षाएं ना ले पाने वाले शिक्षकों या फिर ऐसे शिक्षक जो छात्रों तक नहीं पहुंच पाए क्या उनके साथ सबकुछ ठीक रहा? अब जबकि हालात सामान्य की ओर हैं, तब भी स्कूलों से शिक्षक नदारद हैं. कुछ ने अपने लिए नए काम की तलाश कर ली है तो कुछ रोजगार की तलाश में हैं. साथियों, हम आपसे जानना चाहते हैं... कि क्या आपने इस कोरोना काल के दौरान आपने शिक्षकों को तलाशने की कोशिश की? क्या आपने उनसे उनका हाल जाना? क्या आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो पहले शिक्षक थे लेकिन कोविड काल में नौकरी जाने के बाद अब कोई दूसरा काम कर रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर ध्यान देने की जरूरत है? स्कूल बंद होने और शिक्षकों के ना रहने से आपके बच्चों की पढ़ाई पर कितना असर पड़ा है? अगर आप शिक्षक हैं, तो हमें बताएं कि कोविड काल के दौरान आपको किस तरह की परेशानियां आईं और क्या अब आपके हालात पहले जैसे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.
सोमवार 5 अप्रैल को बिहार का सासाराम शहर अचानक भड़क उठा.शहर के कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे बच्चे सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो मामला और गरमा गया. ये सारा गुस्सा इसलिए था क्योंकि सरकार बिहार में कोचिंग संस्थानों को बंद किए हुए है. वैसे ये फैसला देश के बाकी राज्यों के लिए भी लिया गया है
तो साथियों, अब तक आप जान गए होंगे कि गाँव के विकास के लिए पंचायतों में समितियों के साथ साथ खुद जागरूक रहना भी बहुत ही आवश्यक है । और हम अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाकर स्थानीय स्वशासन की जड़ें भी मज़बूत कर सकते है । तो आप हमें बताएं कि क्या आपके गाँव में स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना की स्थिति ठीक है साथ ही क्या आपके यहाँ स्वास्थ्य केंद्र सही ढंग से चल रहे है ? क्या आप अपने गांव की समितियों के बारे में जानते है और इन समितियों की बैठक में क्या आप शामिल होते है ? इन सवालों के जबाब देने के लिए अभी दबाएं अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन।
कोरोना माहामारी के कारण सारे स्कुल बंद है। और बच्चो को पढ़ने का मन नहीं कर रहा है। क्या आप भी परेशान है कि आपका बच्चा कैसे पढ़ेगा ? तो जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें
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