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कोरोना वायरस की दूसरी लहर पहली के मुकाबले ज्यादा ताकतवर लग रही है. इसे काबू में करने की कोशिशें नाकाफी साबित हुई हैं. ऐसे में फिर से लॉकडाउन की चर्चा शुरू हो गई है. इस बीच, उद्योग जगत का मानना है कि आंशिक लॉकडाउन भी काफी नुकसानदेह साबित होगी. प्रमुख उद्योग चैंबर के एक सर्वे से इस बात के संकेत मिले हैं. ज्यादातर सीईओ का मानना है कि आंशिक रूप से लॉकडाउन लगाये जाने से श्रमिकों के साथ-साथ वस्तुओं की आवाजाही प्रभावित हो सकती है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
चंपारण, यहां के प्राकृतिक नजारे जितने खूबसूरत हैं उससे कहीं ज्यादा समृद्ध है यहां का इतिहास. चंपारण वह धरती है जहां भारत महात्मा गांधी ने 1917 में किसानों को शोषण से मुक्त करवाने के लिए सत्याग्रह शुरू किया था और यह जगह ऐतिहासिक हो गई. लेकिन दशकों बाद एक बार फिर चंपारण नए सत्याग्रह के लिए तैयार है. क्या आप नहीं जानना चाहेंगे कि यह कौन सा सत्याग्रह है...? सुनिए और हिस्सा बनिए नेटिव पिक्चर संस्था और ग्रामवाणी की संयुक्त मुहिम का
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बिहार राज्य के नालंदा जिला के नगरनौसा प्रखंड के गोरायपुर पंचायत से पूनम जी जीविका मोबाइल वाणी के माध्यम से अपनी संघर्ष की कहानी साझा कर रही है।जिसमें इन्होनें कहा कि जीविका मोबाइल वाणी पर इन्होने कई बार शौचालय के बारे में सुना और उस समय इन्हे बहुत शर्म आती थी लोगो को बताने में कि इनके घर पर शौचालय नहीं है।इनका कहना है कि पहले इनका घर मिटटी का था,इस कारण ये शौचालय नहीं बना पाईं।इनकी सी.एम प्रतिमा दीदी शौचालय बनवाने को लेकर बार-बार इन्हे प्रेरित करती रही और इन्होनें अपने घर वाले को भी बताया, पर उस समय कोई माना ही नहीं।घरवालों का कहना था कि खाने के लिए कुछ नहीं है और शौचालय कैसे बनाये।तब इन्होनें इस बारे में सी.एम दीदी से बात की और सी.एम दीदी ने बताया कि जीविका से पैसा लेकर इस काम को किया जा सकता है।फिर इन्होनें सी.एम दीदी से पैसे लेकर ईंटे मंगवाई और खुदाई भी शुरू कर दी।दिवार के ऊपर खड़पा लगा हुआ था,जो ये मोबाइल वाणी सुनते-सुनते उतारा करती थी।काम के दौरान ही इन्होनें मोबाइल वाणी पर शौचालय पर जानकारी सुना और तुरंत जाकर अपने पति को भी उस जानकारी को सुनाया।कार्यक्रम को सुनकर इनके पति जागरूक हुए और पूनम जी को शौचालय बनाने में मदद किये।आखिरकार अंत में आज ये शौचालय बनाने में सफल हुई।