कोविड महामारी के चलते कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करने की सुविधा दी हुई है. इस दौरान कई ऐसे प्रोजेक्‍ट या नौकरियां सामने आ रही हैं, जिसमें लोगों को घर बैठे ही काम करना है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

मनरेगा के ज़रिए ग्रामीण इलाके के एक परिवार को एक साल के भीतर रोजगार मांगने पर कम से कम 100 दिन का रोजगार देने का प्रावधान है. सभी परिवारों को 100 दिन का रोजगार भी नहीं मिल पाता है. अशोका यूनिवर्सिटी के इकनोमिक डिपार्टमेंट का अध्ययन बताता है कि साल 2020-21 में महामारी की वजह से मनरेगा में पिछले 5 सालों में सबसे अधिक काम मिला.विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

सोशल मीडिया के इस जमाने में अक्सर मैसेजेस वायरल होते रहते हैं. कुछ मैसेज तो लोगों को जानकारी देने का काम करते हैं, लेकिन कुछ मैसेज भ्रमित करने वाले भी होते हैं. व्हाट्सएप की अगर बात करें तो आज के समय में अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल करने लगे हैं और भ्रमित करने वाले वायरल मैसेज अक्सर देखने को मिल जाते हैं। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार शुरू होने से पहले, संयुक्त किसान मोर्चा, जोकि 40 से अधिक किसान यूनियनों का एक सामूहिक मंच है और जो तीन विवादित कृषि-क़ानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर व्यापक आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है, ने लखनऊ में 22 नवंबर को किसान महापंचायत करने की घोषणा की है. टिकैत ने ट्वीट कर कहा है कि, 22 नवंबर को होने वाली किसान महापंचायत अपने आप में ऐतिहासिक होगी.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

भारत में पत्रकारों को फर्जी मामलों में गिरफ्तारी से लेकर हत्या तक कई तरह की हिंसा झेलनी पड़ी है जिस कारण भारत में पत्रकारिता एक खतरनाक पेशा बन गया है. न्यू यॉर्क स्थित पोलीस प्रोजेक्ट ने यह निष्कर्ण एक विस्तृत अध्ययन के बाद निकाला है. इस अध्ययन में पिछले मई 2019 से लेकर इस साल अगस्त तक की घटनाओं को शामिल किया गया है. पोलीस प्रोजेक्ट ने अलग-अलग विषयों की कवरेज के दौरान हुईं घटनाओं को जमा किया है. इसके मुताबिक जम्मू कश्मीर में 51, सीएए कानून के विरोध प्रदर्शनों के दौरान 26, दिल्ली दंगों के दौरान 19 और कोविड मामलों की कवरेज के दौरान 46 घटनाएं हुईं. किसान आंदोलन के दौरान पत्रकारों के खिलाफ हिंसा की अब तक 10 घटनाएं हो चुकी हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

इस साल डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी के साथ ही, पपीता पत्तियों की तस्वीर के साथ 2012 का एक फेसबुक पोस्ट फिर से वायरल है. इसे पहले पोस्ट किए जाने से अबतक इसके 9,95,000 के करीब शेयर हो चुके हैं. यह फेसबुक पोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लेख को सूचना का स्रोत बताते हुए सुझाव देता है कि पपीता पत्तियों के रस से डेंगू का चमत्कारिक इलाज हो सकता है.

पराली जलाने की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले चार सालों में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और हरियाणा की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी रही है. इस राशि में से 1,050.68 करोड़ रुपये पंजाब को दिए गए थे, लेकिन यहां अभी भी भारी तादाद में खेतों में पराली जलाए जा रहे हैं. विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया है कि देश में 33 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं और इनमें से आधे से अधिक अत्यंत कुपोषित की श्रेणी में आते हैं. कुपोषित बच्चों वाले राज्यों में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात शीर्ष पर हैं. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने निर्धन से निर्धनतम लोगों में कोविड महामारी से स्वास्थ्य और पोषण संबंधी संकट और अधिक बढ़ने संबंधी आशंका जताते हुए अनुमान व्यक्त किया कि 14 अक्टूबर, 2021 की स्थिति के अनुसार देश में 17,76,902 बच्चे अत्यंत कुपोषित तथा 15,46,420 बच्चे अल्प कुपोषित हैं.

साल 2020 में 11,716 व्यापारियों ने आत्महत्या कर लिया जो इसके पिछले साल की तुलना में 29 फीसदी अधिक है.राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में 9,052 व्यापारियों ने आत्महत्या की थी, लेकिन साल 2020 में इस तरह के मामलों में 2,664 की बढ़ोतरी हुई है. मालूम हो कि यह वही समय था, जब देश में कोरोना महामारी ने दस्तक दी थी और व्यापक स्तर पर लोगों को नुकसान झेलना पड़ा था.

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