जीएसटी भुगतान नहीं करनेवाले मनरेगा योजना के आपूर्तिकर्ताओं के विरुद्ध वाणिज्य कर विभाग ने सख्त रुख अख्तियार किया है। मनरेगा योजना में सामान की आपूर्ति कर उसपर लगने वाले टैक्स का भुगतान नहीं करनेवालों पर पेनाल्टी लगा कर वसूली की कार्रवाई शुरू की गयी है। मार्च महीने में वित्तीय वर्ष का टारगेट पूरा करने के लिए विभाग ने वैसे 68 आपूर्तिकर्ताओं को चिह्नित किया है। जिसमें 20 वेंडरों के द्वारा 25 लाख रुपये टैक्स जमा कराया गया है। लेकिन अभी भी 48 आपूर्तिकर्ताओं के द्वारा जीएसटी का भुगतान नहीं किया गया है। जिसको लेकर उनके विरूद्ध कार्रवाई शुरू की गयी है। दो वित्तीय वर्ष का बकाया है जीएसटी मनरेगा में सामान आपूर्तिकर्ताओं पर वर्ष 2019-20 व 2021-22 तक जीएसटी बकाया का मामला सामने आया है। इनके द्वारा दाखिल किये गये रिटर्न की जांच में कम टैक्स भुगतान का मामला पकड़ाया है। बताया जाता है जितना कर बकाया है,उसपर पेनाल्टी लगा दोगुना कर की वसूली का प्रावधान है। ईंट भट्ठा व्यवसायियों से बकाया वसूली को लेकर होगी छापेमारी ईंट भट्ठा व्यवसायियों पर भी बकाया कर वसूली को लेकर छापेमारी की कवायद शुरू की जा रही है। वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक ईंट भट्ठा व्यवसायियों के द्वारा जो रॉयल्टी जमा कराया गया है उसपर 18 प्रतिशत की दर से वाणिज्य कर विभाग को जीएसटी जमा कराना है। विभाग के द्वारा करीब 623 ईंट भट्ठा व्यवसायियों को चिन्हित किया है जिसमें 40 व्यवसायियों ने ही जीएसटी जमा कराया है। 31 मार्च तक जीएसटी जमा कराने के लिए विभाग ने अल्टीमेटम दिया है। कहते हैं अधिकारी राज्य कर संयुक्त आयुक्त मोहन कुमार ने बताया कि मनरेगा आपूर्तिकर्ता जो टैक्स का भुगतान नहीं किये हैं उनके विरूद्ध पेनाल्टी लगाने की कार्रवाई शुरू की गयी है। 31 मार्च के पहले जीएसटी नहीं जमा कराने वाले ईंट भट्ठा संचालकों से कर वसूली के लिए छापेमारी की जाएगी। छापेमारी कर टैक्स की वूसली करने के लिए पहले की जाएगी। रविवार को खुले रहे कार्यालय मार्च माह में कर एसजीएसटी कैश वसूली का लक्ष्य 5 करोड़ 38 लाख रुपये है। इसके विरूद्ध 4 करोड़ 40 लाख रुपये की वसूली की गयी है। मार्च का लक्ष्य पूरा करने के लिए रविवार को कार्यालय खुले रहे। कर जमा कराने के लिए विभागीय अधिकारी लगातार मैसेज कर रहे हैं। मोतिहारी अंचल के तहत करीब 11 हजार 138 व्यवसायी निबंधित हैं।