राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से आयुष विभाग स्थापित किया गया है।और सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर आयुष के डॉक्टर नियुक्त किये गएँ। राज्य में आयुष चिकित्सकों की बहाली किये लगभग 8 से 9 साल हो गएँ हैं लेकिन अभी तक सरकारी अस्पतालों में बिहार सरकार द्वारा ना तो आयुष का दवा उपलब्ध करवाई गई है और ना ही आयुर्वेदिक या होम्योपैथ की।बावजूद इसके विडम्बना यह है कि सरकारी अस्पतालों में आयुष डॉक्टरों से एलोपैथी का इलाज कराया जाता है।दोस्तों , क्या ऐसे में सरकारी अस्पतालों में मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज की सुविधा मिल पायेगी ? आखिर क्या वजह है कि आयुष डॉक्टरों की नियुक्ति के इतने साल बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में आयुर्वेदिक दवाइयां उपलब्ध नहीं कराई गई है ? श्रोताओं, सरकारी अस्पतालों में आयुर्वेदिक दवाइयां उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों एवं उनके परिजनों को इलाज़ के दौरान किस तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है ? दोस्तों ,सरकारी अस्पतालों की मौजूदा हालात में सुधार लाने हेतु क्या आपने अपने स्तर पर कोई पहल की है? आपके अनुसार सरकारी अस्पतालों में मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज की सुविधा मिल सके इसके लिए सरकार को किस तरह की कठोर कदम उठाने की जरुरत है ? साथ ही इसमें सुधार लाने में समाज की क्या भूमिका होनी चाहिए ?