बुलिंग का सामना करना कोई आसान काम नहीं होता हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं जो इसका शिकार है क्या आपने या आपके किसी जानने वाले ने कभी अपने जीवन में बुलिंग का सामना किया है ? आखिर क्या वजह है कि हमारे समाज में बुलिंग जैसी समस्या मौजूद है और लोग इस समस्या से जूझने के लिए मजबूर होते हैं ? अगर कोई व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है तो ऐसी स्थिति में वह खुद को इससे बाहर निकालने के लिए क्या कर सकते हैं ? और बुलिंग जैसी समस्या को समाज से मिटाने के लिए सामुदायिक स्तर पर किस तरह की पहल की जा सकती ?

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के गिद्धौर प्रखंड के रतनपुर से 30 वर्षीय पूनम कुमारी , मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि इनके गाँव क्षेत्र में बच्चे परीक्षा ,प्रतियोगिता और अच्छे अंक लाने के दबाव के कारण मानसिक रूप से बीमार पड़ते है।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय रतनपुर में बुधवार को शिक्षा विभाग की बिहार राज्य पीएम पोषण योजना समिति ने मध्याह्न भोजन योजना के तहत तिथि भोजन का आयोजन किया। एमडीएम प्रभारी अमीर दास की देख रेख में आयोजित इस तिथि भोजन कार्यक्रम में सरपंच नीलू वर्मा, बीआरपी केदार प्रसाद सिंह, रीना कुमारी शामिल हुए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

गिद्धौर प्रखंड के रतनपुर पंचायत के भौराटांड़ गांव में समग्र सेवा जमुई द्वारा 14 से 22 आयु वर्ग के किशोरियों एवं युवतियों को बी बॉस दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से मैट्रिक की परीक्षा की तैयारी एवं नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था को लेकर भौराटांड़ गांव में मुफ्त शिक्षण संस्थान का वार्ड सदस्य अजीत कुमार यादव द्धारा फीता काट कर निःशुल्क शिक्षण संस्थान का शुभारंभ किया गया।उक्त संस्थान का शुभारंभ भौराटांड़ महादलित टोला के नव सृजित प्राथमिक विधालय में किया गया है।

बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से निकिता कुमारी से हुई। निकिता कुमारी यह बताना चाहती है कि आर्थिक दृश्टिकोण से महिला कमजोर दिखाई देती है, क्योंकि वह घर से बाहर नहीं निकल पाती है। आज भी पुरुष महिला को खुली आज़ादी नहीं दे रहे है। पुरुष के मुकाबले महिला में असमानता अधिक दिखाई देता है। अचल संपत्ति का हक़ महिलाओं को नहीं दिया गया है। महिलायें पुरुष के डर से अपना अधिकार नहीं मांग पाती है। महिला कम पढ़ी - लिखी होती है। महिलाओं के नाम से अगर भूमि दिया जाए तो निश्चित ही वह आत्मनिर्भर हो सकती है और परिवार का परवरिश अच्छी ढंग से कर सकती है