आपलोग हमें बताएं कि केवल परीक्षा में लाये हुए अच्छे नंबर ही एक अच्छा और सच्चा इंसान बनने का माप दंड कैसे हो सकता है? अक्सर देखा जाता है कि माता पिता अपने बच्चों के तुलना दूसरे बच्चों से करते है. क्या यह तुलना सही मायने में बच्चे को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करती है या उनके मन में नकारात्मक सोच का बीज बो देती है ? आपको क्या लगता है? इस पर आप अपनी राय, प्रतिक्रिया जरूर रिकॉर्ड करें। और हां साथियों अगर आज के विषय से जुड़ा आपके मन में किसी तरह का सवाल है तो अपने सवाल रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन नंबर 3 दबाकर। हम आपके सवालों का जवाब ढूंढ कर लाने की पूरी कोशिश करेंगे।
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बुलिंग का सामना करना कोई आसान काम नहीं होता हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं जो इसका शिकार है क्या आपने या आपके किसी जानने वाले ने कभी अपने जीवन में बुलिंग का सामना किया है ? आखिर क्या वजह है कि हमारे समाज में बुलिंग जैसी समस्या मौजूद है और लोग इस समस्या से जूझने के लिए मजबूर होते हैं ? अगर कोई व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है तो ऐसी स्थिति में वह खुद को इससे बाहर निकालने के लिए क्या कर सकते हैं ? और बुलिंग जैसी समस्या को समाज से मिटाने के लिए सामुदायिक स्तर पर किस तरह की पहल की जा सकती ?
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के गिद्धौर प्रखंड के रतनपुर से 30 वर्षीय पूनम कुमारी , मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि इनके गाँव क्षेत्र में बच्चे परीक्षा ,प्रतियोगिता और अच्छे अंक लाने के दबाव के कारण मानसिक रूप से बीमार पड़ते है।
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गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय रतनपुर में बुधवार को शिक्षा विभाग की बिहार राज्य पीएम पोषण योजना समिति ने मध्याह्न भोजन योजना के तहत तिथि भोजन का आयोजन किया। एमडीएम प्रभारी अमीर दास की देख रेख में आयोजित इस तिथि भोजन कार्यक्रम में सरपंच नीलू वर्मा, बीआरपी केदार प्रसाद सिंह, रीना कुमारी शामिल हुए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
