दिल्ली के सुन्दर नगरी से उमावती की राय है कि माता - पिता के सम्पत्ति में बेटी को हिस्सा नही मिलना चाहिए। भाई शादी -ब्याह में आकर खड़े हो जाए उतना ही काफी है।जिसके पास है वो दे तो सही रहता है। लेकिन जिसके पास नहीं होता है वो कहां से देंगे ?
दिल्ली के सुन्दर नगरी से उमावती की राय है कि माता - पिता के सम्पत्ति में बेटी को हिस्सा नही मिलना चाहिए। भाई शादी -ब्याह में आकर खड़े हो जाए उतना ही काफी है।जिसके पास है वो दे तो सही रहता है। लेकिन जिसके पास नहीं होता है वो कहां से देंगे ?