मज़दूर वर्ग से जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए फैक्ट्रियों में काम कराया जा रहा है जलवायु परिवर्तन "जीवन अनमोल है" का संदेश दे रहा है जबकि व्यवस्थाएं हमें जंगलों में कंपनियों को स्थापित करने का संदेश दे रही हैं। प्राकृतिक संसाधन नष्ट करने के लिए मानव संसाधन बन गया है। संसाधन को संसाधन नष्ट कर रहें हैं। श्रोताओं क्या आपको लगता है क्या व्यस्थाए बचा रही हैं हमको दंगों से, क्या बचा रही हैं? हमको युद्धों से? क्या व्यस्थायें बचा रही हैं हमको प्रदूषण से?क्या दिला रही हैं हमें सस्ता इलाज ?क्या पढ़ा पा रहें हैं हम अपने बच्चों को उन स्कूलों में जिसमें पढ़ते हैं व्यस्थाओं के ठेकेदारों के बच्चें ? अपने विचार और सवाल हमसे जरूर साझा करें नंबर 3 दबाकर