जून 2011 से 18 जुलाई 2012 के दौरान मारुति सुजुकी मानेसर के मजदूरों ने भी कंपनी के भीतर कुछ ऐसा ही अव्यवहारिक किया था... जिसने वहां के दशा और दिशा को बदलकर रख दिया. 4 जून 2011 को ए और बी शिफ्ट के मजदूरों ने मिलकर फैक्ट्री पर से कम्पनी और सरकार का कब्जा हटा दिया. ऐसा करने से पहले मजदूरों ने 13 दिन तक अव्यवहारिक माहौल बनाएं रखा. कंपनी ने भी मजदूरों को सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोडी. कंपनी ने एक ओर जहां पुराने मजदूरों को बाहर कर दिया वहीं दूसरी ओर नई भर्ती कर नए कर्मचारियों को फैक्ट्री में जगह दी. इतना ही नहीं... उस समय कंपनी में पुलिस भी आई थी. बाद में एक समझौते के तहत 44 कर्मचारियों को फिर से नौकरी पर रखा गया पर ठेका कर्मचारी कंपनी से बाहर ही रहे. इसके बाद आंदोलन और तेज हो गया और कंपनी के कई और प्लांट में मजदूरों ने एक होकर अपने साथी मजदूरों को काम पर वापिस रखने की मांग की. नतीजतन कंपनी ने बाकी मजदूरों को भी वापिस काम पर रख लिया. आज हमारे चारों तरफ मारुति सुजुकी मानेसर जैसी घटनाएं हो रही हैं. आज हमारे चारों तरफ मारुति सुजुकी मानेसर जैसी घटनाएं हो रही हैं. अगर आपने भी अपनी कंपनी में ऐसा कुछ देखा है तो उसके बारे में हमें बताएं. साथ ही बताएं कि आपको एफएमएस कार्यक्रम कैसा लग रहा है?