दिल्ली एनसीआर से हमारे संवाददाता की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से श्रमिक से हुई। श्रमिक बताते है कि वो 2011 से काम कर रहे है,बिहार के रहने वाले है । श्रमिकों ने लॉक डाउन के बाद से दिहाड़ी कम हो गई है। पीस रेट में सही से काम नहीं मिल रहा है। पहले से बहुत बुरा हाल है। श्रमिक से अगर मशीनों का नुकसान होगा तो श्रमिकों के वेतन से काटा जाएगा ,इससे श्रमिकों का ही घाटा है। पुराने मशीन से ही काम हो रही है ,नियम के अनुसार अभी कंपनी से जानकारी नहीं मिली है। इस मसौदे के बारे में जानकारी नहीं मिली है। हफ़्ते में कोई छुट्टी निर्धारित नहीं रहती है। अगर छुट्टी लेते है तो इसके पैसे काटे जाते है।जाँच के लिए अगर श्रम इंस्पेक्टर आते भी है तो श्रमिकों से वार्तालाप नहीं हो पाता है। कानून का कोई मायने नहीं है। अन्य श्रमिक कहते है कि हरियाणा श्रम मसौदा ,श्रमिकों के हित में नहीं है। इसमें ठेकेदारी को बढ़ावा दिया गया है। श्रमिकों के हित में क़ानून हो ,इसको लेकर सरकार को संशोधन करना चाहिए। अगर काम करते है तभी ही वेतन मिल पाता है। क़ानून ज़मीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाते है