हिमाचलप्रदेश से हस्मत अली साझा मंच के माध्यम से एक बुज़ुर्ग मज़दूर से बातचीत कर रहें हैं, इनका नाम महबूब है और झांसी से आकर गोलथआइ में रह रहें हैं चार माह से. ये ठेकेदार के अंडर रोज़ाना मज़दूरी पे लोहा लगाने का काम करते हैं. इनका कहना है की चार दिन में दो से तीन हज़ार रुपए देहादि बन जाती है. लेकिन ये घर जाना चाहते हैं और इन्हें पेमेंट नहीं दे जा रही है. यहां स्वछता और सुविधाओं का भी आभाव है.