उत्तरप्रदेश राज्य के गाज़ियाबाद ज़िला से रवि ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि कम्पनियाँ लेबर चैट से बाल श्रमिकों को कम वेतन पर काम देते है। बच्चों को पीस बनाने का काम देते है जिसमे उन्हें पीस के हिसाब से पैसे नहीं देते उन्हें 5 या 6 हज़ार रूपए ही सैलरी दे देते है वहीं काम पर रखने से पहले बच्चों का आधार कार्ड भी नहीं मांगते है।