दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर और इनके साथ राम किशोर जी है वे साझा मंच के माध्यम से मेरा मुखिया कैसा हो कार्यक्रम के तहत कहते हैं कि गाँव के विकास और शहर के विकास में आज भी काफी अंतर देखने को मिलता है। शहर में कोई भी योजना धरातल पर उतरते ही उस पर कार्य शुरू हो जाता है। लेकिन इसके विपरीत गाँव में मुखिया को योजना के बारे में समझने में ही कई महीने गुजर जाते हैं। आज जब राम किशोर अपने गाँव जाते हैं तो उन्हें गाँव में कई बदलाव देखने को मिलता है। जहाँ पहले सड़क नहीं थी, नाली नहीं बना था, लोगों के पास रहने के लिए कच्चा मकान नहीं था इन सभी जरुरी सुविधा लोगों को मुहैया मुखिया के द्वारा किया जाने लगा है