हमारे एक श्रोता अनिल कुमार साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि वो उद्योग विहार स्थित 153 नंबर की कंपनी सरगम में ठेकेदारी में कार्य करते हैं। कंपनी द्वारा सारी सुविधा जैसे पी.एफ,ईएसआई आदि दी जाती थी। लेकिन ठेकेदार 20 लोगों का वेतन ले कर फ़रार हो गया। कंपनी से वेतन संबंधी पूछताछ करने पर ,कंपनी इधर उधर की बातें बोलता हैं।
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अगर कोई ठेकेदार श्रमिक को वेतन नहीं देता हैं तो श्रमिक प्रतिनिधि के माध्यम से या खुद से श्रम कार्यालय में शिकायत करें।शिकायत करने के बाद समझौता प्रक्रिया शुरू होती हैं जिसमें ठेकेदार और श्रमिक के बीच समझौता करवाने की कोशिश की जाती हैं।यह समझौता प्रक्रिया 45 दिनों के अंदर ख़त्म हो जानी चाहिए। अगर इन 45 दिनों के अंदर समझौता नहीं होता हैं तो श्रमिक को प्रतिनिधि के माध्यम से या खुद से श्रम न्यायालय में अर्ज़ी लगानी चाहिए ताकि सबूतों व गवाहों के आधार पर मामलें का निबटान किया जा सके। क्योंकि अक्सर ऐसा देखा जाता हैं कि 45 दिन बीतने के बाद मामला श्रम न्यायालय में पड़ा रह जाता हैं। इसलिए 2013 में यह प्रावधान किया गया कि 45 दिनों के अंदर श्रम कार्यालय को समझौते की प्रक्रिया को ख़त्म करना ज़रूरी हैं। 45 दिनों के बाद श्रम कार्यालयों की ज़िम्मेदारी हैं कि वो मामले को श्रम न्यायालय में ट्रांसफर कर दे। लेकिन अक्सर ऐसा होता नहीं हैं। इसलिए श्रमिक 45 दिनों का इंतज़ार खुद करें, जितने तारीखें श्रम कार्यालय में लगती हैं वहाँ पर जाए और 45 दिनों के बाद में खुद या किसी यूनियन के प्रतिनिधि के माध्यम से श्रम न्यायालय में अपनी अर्ज़ी दाख़िल करें।
May 9, 2019, 10:51 a.m. | Tags: int-PAJ industrial work wages