राज्य झारखण्ड के जिला बोकारो के प्रखंड कसमार से आशीष कुमार गुहा जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि दामोदर नदी के प्रदूषित पानी के विषाणु और जीवाणु से इंसानो और मवेशियों पर बुरा प्रभाव डालती है इन्हे विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो रही है जिससे इनकी मृत्यु दर वृद्धि हो रही है।इससे किसानों को भी नुकसान हो रहा है उनकी फसलों को कीटाणु नष्ट क्र रहे है जिससे उन्हें खेती में आर्थिक नुकसान ही हो रहा है।दामोदर नदी को साफ़ करने के लिए हरेक इंसान को जुड़ना चाहिए।

झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला से जेएम रंगीला जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दामोदर नदी पश्चिम बंगाल तथा झारखंड में बहने वाली एक नदी है।दामोदर नदी पलामू जिले से निकलकर हजारीबाग, गिरीडीह, धनबाद होते हुए बंगाल में प्रवेश करती है।वर्षों से दामोदर नदी झारखण्ड के लोगों के लिए वरदान था। परन्तु प्रदूषण के कारण दामोदर नदी विषाक्त होती जा रही है।दामोदर नदी के प्रदूषण का खामियाजा पूरा झारखण्ड भुगत रहा है।सरकार के द्वारा स्वतंत्र भारत की प्रथम बहुद्देशीय परियोजना का विस्तार झारखण्ड और प.बंगाल में किया गया।संयुक्त राज्य अमेरिका की टेनेसी घाटी परियोजना, (1933) के आधार पर 1948 में इसका विकास किया गया.1948 से “DVC” दामोदर वैली कोपेरेशन की शुरुआत हुई.दामोदर नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से निकलकर प.बंगाल में हुगली नदी से मिल जाती है।इस परियोजना पर तिलैया, कोनार, मैथन, पंचेत बाँध बनाए गए.बोकारो, दुर्गापुर, चंद्र्पुआ, पतरातू में ताप बिजली गृहों का निर्माण किया गया। इस कारण दामोदर नदी कि निर्मल धार में इन कंपनीओं का विषैला पदार्थ प्रवाहित कर दिया गया।जिस कारण दामोदर नदी का जल प्रदूषित हो कर विषाक्त हो गई । लोग दामोदर नदी से पानी नहीं लें पा रहे है।क्योंकि हानिकारक विषैला पदार्थ मिल जाने से कई बड़ी -बड़ी बीमारियां से लोग ग्रसित हो रहे हैं, और कई लोंगो की जाने भी इस दूषित पानी को पिने और नहने से चली जा रही है।

झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से दामोदर नदी पर आधारित एक कविता प्रस्तुत कर रहे हैं। इस कविता में यह बताते हैं, कि कि दामोदर नदी झारखंड की प्रमुख नदियों में एक है। इस नदी के दोनों ओर कोयले का भण्डार है।कल-कारखानों से निकलने वाली कैमिकल कचड़ों के कारण दामोदर नदी पुरी तरह से प्रदूषित हो गई है। इस नदी के पानी को पी कर मवेशी कई तरह के रोगों से ग्रसित होकर अपना जान गवा रहें हैं। साथ ही मनुष्यों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ने लगा है।

झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के कसमार प्रखंड से कमलेश जायसवाल मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताते हैं, कि झारखंड प्रदेश की जीवनदायनी नदी है दामोदर। इसकी देख रेख ,संरक्षण की अनुकूल व्यवस्था होनी चाहिए। दामोदर नदी को प्रदूषित करने वाले सभी कारको पर सरकार की नजर होनी चाहिए। इस नदी के दोनों ओर कोयले का भंडार है, जहाँ उत्खन्न एवं साफ-सफ़ाई के दौरान कोयले का मलबा सीधे दामोदर नदी में बहा दिया जाता है। इसे रोकने के लिए सरकार को कोई कठोर कदम उठाना चाहिए। दामोदर नदी के आस-पास बसे छोटे-बड़े शहर के साथ किरसालय के अवशिष सहित आबादी वाले क्षेत्र का कूड़ा-कचड़ा मलबा को फेंकने के लिए कोई ठोस प्रबन्ध किया जाए। जिससे नदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। साथ ही सरकार डीप बोरिंग पर अविलम्ब रोक लगाए, जिससे दामोदर नदी का जल श्रोत के साथ-साथ पुरे क्षेत्र का जल बच सके।क्योंकि डीप बोरिंग के कारण जल का श्रोत काफी घटता जा रहा है। इसके बचाव के लिए लोग डीप बोरिंग की जगह नलकूप,तालाब तथा डैम का निर्माण करे। साथ ही मिट्टी कटाव को रोकने हेतु नदी के दोनों तरफ फलदार इमारती पेड़-पौधे लगाए जाएं। जिससे बरसात के समय तेज गति से पानी बहाव से मिट्टी कटाव एवं छरण को प्रतिकूल रोका जा सके । साथ ही पेड़-पौधे लगने से उसमे जीव-जन्तुओं का बसेरा होगा तथा स्वच्छ पर्यावरण होने से हमारा जीवन समृद्ध होगा।

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ ज़िला के बड़कागाँव प्रखंड से रुपेश राज मोबाइल वाणी के माध्यम से अपना विचार साझा करते हुए कहते हैं, कि झारखंड में स्थित दामोदर नदी बहुत ही बड़ी और प्रवित्र नदी मानी जाती है। कई नदियों के संगम से दामोदर नदी का निर्माण होता है। लेकिन आज इस नदी का पानी प्रदूषित होता जा रहा है।इसका मुख्य कारण है,कल-कारखानों एवं नालियों से निकलने वाला गंदा पानी जो इस नदी में जा कर मिल जाते है, जिससे पानी पूरी तरह से प्रदूषित होता जा रहा है।जिसके कारण नदी के किनारे बसे गाँवों में पशुपालन करने वाले लोग नदी का पानी अपने पशुओं को पिलाने में असमर्थ हो रहें हैं। मोबाइल वाणी के माध्यम से सभी को सन्देश देते हुए कहते हैं, कि जल ही जीवन है। जल का रक्षा करना हमारा दायित्व ही नहीं, हमारा धर्म भी है।इसलिए जल को हमेशा शुद्ध और पवित्र बनाए रखने की जरुरत है।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दामोदर नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से 610 मीटर की ऊँचाई से निकलकर लगभग 290 किलोमीटर झारखण्ड में प्रवाहित होने के बाद पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर 240 किलोमीटर प्रवाहित होकर हुगली नदी में मिल जाती है।इस नदी कि वर्तमान स्थिति ऐसी है,कि दामोदर नदी के प्रदूषण का खामियाजा पूरा झारखण्ड भुगत रहा है।दामोदर नदी को प्रदूषित करने में कोल इण्डिया की सहायक कम्पनियां , लोगों के द्वारा फेका जाने वालें कचरा ,सरकार की लापरवाही और हजारीबाग, बोकारो एवं धनबाद जिलों में इस नदी के दोनों किनारों पर बसे कोलवाशी हैं।जो दामोदर नदी को निरन्तर प्रदूषित करते रहते हैं।दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार के द्वारा कोई भी योजना काम नहीं कर रही है।मंत्रीगण आ कर केवल दामोदर बचाव का नारा देतें हैं।प्रदूषण के कारण दामोदर नदी विषाक्त होती जा रही है।विषाक्त जल पीने और कृषि कार्य योग्य अब नहीं रहा।इंसानी जिंदगी और पशुधनों के लिए यह पूरी तरह से हानिकारक बन गया है।वायु प्रदूषण एवं पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा।जिस कारण से आसपास के गांवों में घातक बीमारियां फैल रही है।जिसमें प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की जाने जा रही है।

झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिला के बेंगाबाद प्रखंड से राम जीत कुमार ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारे समाज में कई तरह के कल कारख़ाने एवं फैक्ट्रियाँ हैं, उससे निकलने वाली गन्दगी को लोग नदी नाले में फैंक देते हैं।जो बह कर दामोदर नदी में मिल कर उसे प्रदूषित कर देता है।अतः लोगों को दामोदर नदी बचाने के लिए अपने स्तर से यह प्रयास करना चाहिए कि वे अपने घरों में एक गड्ढ़ा बना कर कूड़ा कचड़ा को उसी में फैंके तथा बरसात के दिनों में एक सोखता बना कर बरसात के पानी को उसमें जमा करे।

झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के नवाडीह प्रखंड से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि दामोदर नदी घाटी के दायरे के किनारे में कई जिले बसे हुवे हैं। इसके पानी पर लाखों लोगों का जीवन निर्भर है। औधोगिक कारण एवं शहरीकरण में इसे दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में शामिल कर दिया गया। अब दामोदर नदी का किनारा काला रेगिस्तान बनने के कगार पर है।भारत सरकार ने बहुउद्देशीय दामोदर परियोजना की घौषणा की थी। इसकी हकीकत को बया करने के लिए नदी के किनारे बसे बदहाली की दास्तान ही काफी है।दामोदर नदी का पानी अब पीने के लायक नहीं रह गया है।पीने की बात तो दूर, पानी इतना कला और प्रदूषित है कि लोग यहां नहाने से भी कतराते हैं। इस प्रदूषण के जिम्मेदार कलकारख़ाने और खदान है। प्रदूषण का आलम यह है कि नदी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा औसत से काफी कम है। पहले इस नदी की यह मान्यता थी की इस पानी में नहाने मात्र से सभी तरह के चर्म रोग दूर हो जाते थे। परन्तु आज यह जीवनदायनी नदी लोगों के मौत का कारण बनता जा रहा है।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से जयराम बाबा ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दामोदर नदी जीवनदायनी नदी थी।दामोदर नदी झारखण्ड के छोटा नागपुर क्षेत्र से निकलकर पश्चिमी बंगाल में पहुँचती है। इस नदी से ग्रामीण जन अपना रोजमर्रा के पिने खाने और अपनी निजी जीवन के लिए पानी लेतें है।परन्तु आज कोल इण्डिया की सहायक कम्पनियों - सीसीएल, बीसीसीएल, बोकारो थर्मल, पावर प्लांट, बोकारो स्टील प्लांट और झारखण्ड सरकार की कम्पनियाँ पतरातु थर्मल एवं चंद्रपुरा थर्मल पावर प्लांट द्वारा दामोदर का भीषण प्रदूषण हो रहा है।ग्रामीण जन का कहना है की एक समय यह नदी शुद्ध और पानी की निर्मल धार लिए रहती थी। परन्तु कंपनियों के प्रदूषण से दामोदर नदी कि स्थिति दयनीय हो गई है।दामोदर नदी के प्रदूषित होने से ग्रामीण जनों को अब पानी की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है।ग्रामीणों का कहना है कि दमोदर नदी की ऐसी स्थिति हम लोगो से देखी नहीं जाती। दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनएं निकली गई। परन्तु इन योजनाओं का कोई लाभ नहीं हूआ।

दामोदर नदी झारखण्ड की सबसे प्रमुख नदी है। जिसके दोनों ओर कोयले की अपार भंडार है । इस नदी को झारखंड की रीढ़ कहा जाता है।पर विगत कुछ समय से यह नदी प्रदुषण का शिकार हो कर सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है और दामोदर नदी के प्रदूषण का खामियाजा पूरा झारखण्ड भुगत रहा है।श्रोताओ आपके अनुसार वो कौन कौन से कारण है जो दामोदर नदी को प्रदूषित करने में अहम् भूमिका निभा रही है।सरकारी स्तर पर दामोदर नदी की सफाई के लिए कौन कौन से उपाय किये जा रहे है ? दामोदर नदी का प्रदूषित पानी का सेवन करने से लोगों और मवेशियों के स्वास्थ्य पर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है साथ ही स्वच्छ जल ना मिलने के कारण किसानों को किन किन समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है ? दोस्तों, क्या आपने कभी अपने क्षेत्र में नदी की सफाई के लिए अपने स्तर पर कोई पहल की है ?दामोदर नदी की वर्तमान स्थिति से सम्बंधित अगर आपका भी कोई अनुभव या फिर सुझाव है ,तो हमारे साथ जरूर बाटे नंबर 3 दबाकर।