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जिला बोकारो से जयनन्द कुमार सिंह ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि नॉन बैंकिंग के लिए निर्देशक होगे गिरफ्तार।कर्मचार्यो ने करोडो रूपये निवेश किये थे और कंपनी में लोग ताला करके भाग गए थे जिसमे दो लोगो को गिरफ्तार कर जैल भेज दिया तथा निवेशक कराने वाले को जल्द ही खोजा जाएगा और ठगे गए लोगो को जल्द ही न्याय दिलाने का परयास किया जायेगा।
जिला बोकारो से अशोक अगरवाल आजाद ने झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि आज जो सस्क्तिकर्ण की बात हो रही है महिलाओ की और पंचायतो मे जो आरक्षण लागु हो रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी बात ये है की उसके पति क्यो न काम करे,उसके रिश्तेदार क्यो न काम करे,उनकी तो मज़बूरी बनती है सरकार का फ़र्ज़ बनता है की उनको वेतन मान दिया जाए,लेकिन कहा गया सहिया को साईकिल दिया जाएगा पर साईकिल भी नहीं दिया गया और मुखिया लोगो को 500-1000 रुपया का वेतन मिलता है एसे पर्थिति में महिलाए कंहा से पैसा लगाएगा और उनकी निभरता तो उस पर रहेगी ही ऐसे ही कारण से वे लोग जो है अपने अधिकार का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं मूल बाते है सिर्फ काननु बनाने से नहीं होता है आरक्षण देने से नहीं होता है आरक्षण मिला है और काननु भी बना है लेकिन उसका स्तेमाल होना चाहिए और काननु के तरीके के तहत में उन्हें आर्थिक मदद मिलाना चाहिए उसे शैक्षणिक मदद मिलना चाहिए उसकी ट्रेनिंग होनी चाहिए और ये सारी विधि व्यवथा कुछ भी सरकार के स्तर पर नहीं है यही कारण है की आज की महिलाए सरपंच मुखिया तो बनी है लेकिन वो कोई कामयाब स्तर पर नहीं है ,और हम लोगो को ये अभियान चलाना चाहिए की चुकी उसको पद मिला है और वो अपने पद का सही उपयोग करे इसके लिए उन्हें पहले ट्रेनिंग देना चाहिए उसे आथिक मदद मिलनी चाहिए और समाज के स्तर पर उसे सहयोग मिलना चाहिए तभी वो सफल हो सकती है अन्यथा नहीं।
जिला बोकारो,से अशोक कुमार अगरवाल ने झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से कहते है कि आज जो महिला सशक्तिकरण कि बात हो रही है पंचायतो में आरक्षण लागु हो रहा है लेकिन जो भी महिला मुखिया है या सहिया है उन्हें सरकार द्वारा वेतन मानदेय मिलाना चाहिए कहा गया था कि सहिया को साईकिल मिलेगा लेकिन उन्हे साईकिल नहीं मिला और जो मुखिया है उन्हें 500 या 1000 रुपये का वेतन मिलता है ऐसी परस्थिति में महिलाये कैसे काम करेंगी और इसी कारन से महिलाये पुरुष पर निर्भर रहती है और अपने अधिकार का प्रयोग नहो कर पा रहे है सिर्फ कानून बबनने से और आरक्षण देने से सिर्फ नहीं होता है अगर कानून बना है आरक्षण बना है तो उसका इस्तेमाल भी होना चाहिए उन्हें शैक्षणिक होना चाहिए ट्रेनिंग मिलनी चाहिए और ये विधि व्यवस्था नहीं है इसलिए जो महिला सरपँच,मुखिया तो बनी है लेकिन वो कामयाब स्तर पर नहीं है इसलिए इन महिलाओ को पहले ट्रेनिंग ,आर्थिक मदद सामाजिक स्तर से सहयोग मिलनी चाहिए ताकि वो अपना पद का सही से इस्तेमाल कर सके
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