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जिला दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी दे रहे है की दुमका जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रो में रेडी टू ईट पैकेट इस माह से दिया जा रहा है। पर आंगनबाड़ी केन्द्रो का अपना भवन नहीं होने से आगनबाडी केंद्र घरो में चल रहे है बाल विकास परियोजना के तहत भवन तो है पर छत से पानी टपकने की वजह से रेडी टू ईट पैकेट को रखने में भी समस्या आ रही है। दुमका के 10 प्रखंडो में ये सुविधा शुरू की गयी है। बाल विकास परियोजना पधाधिकारी के समक्ष यह समस्या आ रही है की रेडी टू ईट पैकेट को कहा रखा जाए क्योकि इसको रखने के लिए अतरिक्त गोदाम नहीं है. साथ ही सहिया का कहना है की ग्रामीणों के बीच इसको लेकर काफी भ्रान्तिया है। और 15 अगस्त तक इसको केन्द्रो तक उपलब्ध कराना है

जिला दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी दे रहे है की दुमका जिले के सदर अस्पताल हाथी के दांत हो गए है. सदर अस्पताल में मामूली आपरेशन के लिए भी मरीज को दुसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। आपरेशन थियेटर का कोई उपयोग नहीं होता है। यहाँ पर सर्जन का पद रिक्त है। मरीजो को बाहर रेफर करने की वजह से मरीज और उनके परिजन को पैसा और समय दोनो बर्बाद होता है। महिला चिकित्सा पधाधिकारी द्वारा बताया गया की 300 बीएड वाले अपग्रेड सदर अस्पताल में एक भी महिला चिकित्सक नहीं है। और सर्जन भी नहीं है। अत: सरकार से अनुरोध है की इस सदर अस्पताल की स्थिती को सुधारा जाए।

जिला दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी दे रहे है की दुमका जिले में मलेरिया भयावह स्थिती में पहुच चूका है जिले के प्रखंड गोपिकंदर में लोग ब्रेन मलेरिया से पीड़ित है.एक माह में ब्रेन मलेरिया के 126 मरीज को चिन्हित किया गया है।जिला मलेरिया पधाधिकारी डाक्टर अभय यादव ने बताया है की इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी जा चुकी है 126 मरीज में से किसी के मरने की पुष्टि नहीं हुई है 126 मरीज को ब्रेन मलेरिया होना अपने आप में एक बड़ी घटना है और इन मरीजो के लिए सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं दी जा रही है.ये मरीज नीम-हकीम से अपना इलाज करवा रहे है गोपिकंदर की आब्दी है 41000 हजार है और 935 लोगो का खून जांच किया गया जिसमे से इन लोगो की पहचान हुई है.औरे ये बीमारी धीरे-धीरे आस-पास फ़ैल रही है.

जिला दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी दे रहे है की दुमका सदर अस्पताल में जेनरेटर में तेल नहीं रहने के कारण और बिजली भी नहीं रहने से अस्पताल में रहता है अंधेरा।बिजली नहीं रहने से मरीज की स्थिती काफी नाजुक हो जाती है.अस्पताल में जेनरेटर है पर ऑपरेशन और प्रसव के दौरान ही चलाये जाते है.15 केवी का जेनरेटर चलाने के लिए प्रति घंटा के हिसाब से 5 लीटर डीजल की आवश्यकता होती है और वर्ष भर के लिए इसके लिए राशि 10000 हजार ही आबंटित किये जाते है जो की वर्ष भर के लिए अपर्याप्त है अत: मरीजो की हालत को मद्देनजर देखते हुए सरकार इस अस्पताल में सुविधाओ की पूर्ति की जाए.

जिला दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी दे रहे है की झारखण्ड राज्य NRHM अनुबंध कर्मियो द्वारा पीएस कार्यालय में तालाबंदी की गयी। वे अपने चार सूत्री मानगो को लेकर कर्मी रांची रवाना हो रहे है और 8 तारीख को नेपाल हॉउस का घेराव करेंगे। इन्होने तालाबंदी के दौरान जिला कार्यक्रम इकाई और प्रखंड कार्यक्रम इकाई में हो रहे बैठक और समीक्षा का बहिस्कार किया।

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सैलेन्द्र सिन्हा दुमका से झर्कह्न्द मोबाइल वाणी के माध्यम से कहना चाहते है की प्रखंड के सदर अस्पताल में सफाई भगवान् के भरोसे चल रहा है। अस्पताल की सफाई का दायित्व एक निजी कम्पनी को दिया गया है लेकिन सफाई के नाम पर केवल कूड़ा का अम्बार दिखाई देता है कचड़ो का निष्पादन के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।अस्पताल में सफाई के अतिरिक्त दावइयो और x-ray मशीन की कोई उचित व्यवस्था भी नहीं है। स्वस्थ विभाग द्वारा दिए जा रहे सुविधाओ का लाभ आम लोगो को नहीं मिल रहा है।