Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

शैलेन्द्र सिन्हा साथ में अजय सिन्हा दुमका से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बढ़ती यौन हिंसा पर कहते है कि इसका सबसे बड़ा कारन है हमारे सामाजिक मूल्यो का तेजी से बदलना इसे रोकने के लिए सबसे पहली शुरआत हमें अपने घर और परिवार से करनी होगी माताओ कि जिम्मेदारी सबसे ज्यादा होती है बाल यौन हिंसा के आकड़ो को देखने से पता चलता है 90% बाल यौन हिंसा घर-परिवार और अपने मित्रो के द्वारा किया जाता है इस संधर्भ में परिवार के सदस्यो और माताओ द्वारा अपने बच्चो को बाल यौन हिंसा के बारे में समझाना चाहिए और इसके बारे सचेत करते रहना चाहिए।इस संदर्भ में 2013 में काननू भी बना हुआ है जो कार्यस्थल पर यौन हिंसा को रोकने में कारगर है इंडियन पैनल कोर्ट के द्वारा कानून में काफी परिवर्तन किया गया जो लोगो को नहीं पता है लोगो में जागरूकता कि कमी है इस हिंसा को लोग सामान्य रूप में लेते है यौन हिंसा का बच्चो पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और एक प्रकार कि कुंठा उनके मन में घर कर जाती है.

शैलेन्द्र सिन्हा दुमका से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बाल यौन शोषण पर कहते है कि बढ़ती बाल यौन हिंसा समाज के लिए एक अभिशाप और चिंता का विषय बन गया है इसका बच्चो पर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है उनमे उत्साह कि कमी जाती है और बहुत खुलकर समाज में आगे आने कि कोशिश नहीं करते यह नकारत्मक प्रभाव कई रूपो में देखे जाते है यह केवल लड़कियो के साथ नहीं होता बल्कि लड़को के साथ भी होता है वैसे बच्चे जो ईट भट्टो में काम करते है या फिर होटलो में काम करते,पत्थर तोड़ने का कार्य करते है बीड़ी बनाते है उनके साथ भी यौन हिंसा जारी है और वैसे बच्चे जिनके साथ यह हादसा होता है वे इसको बताने में अपने आप को असहज महसूस करते है इसे रोकने और यौन हिंसा ग्रसित बच्चो के लिए दुमका में बाल श्रमिक विशेष शिक्षा केंद्र खोला गया है वैसे बच्चे जो 9-14 वर्ष के है,जो बाल श्रमिक का कार्य करते है उनको इस केंद्र में 1-5 क्लास कि शिक्षा दी जाती है.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

शैलेन्द्र सिन्हा साथ में अधिवक्ता ज्वेनाइल कोर्ट के चित्रगुप्त नारायण गुप्त झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बाल यौन हिंसा के कानून के बारे में जानकारी दे रहे है कहते है कि बाल यौन हिंसा हो रही है अगर कोई बच्चा 18 वर्ष से नीचे का कोई लड़का लड़की बाल यौन हिंसा के अंतर्गत आता है तो उसे 3 वर्ष कि सजा होगी और बाल सुधार गृह में रखा जायेगा।ऐसे बच्चे जो मानसिक तौर पर परिपक्व नहीं होते है और वे अपराध दूसरे के उकसाने या प्रेरित से करते है तो उनपर 367 का दूसरा नियम लागु होता है.चित्रगुप्त नारायण गुप्त झारखण्ड मोबाइल वाणी पर बाल यौन शोषण के काननू कि जानकारी दे रहे है.

Transcript Unavailable.