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गिरिडीह: रविकांत वर्मा ने तीसरी, गिरिडीह से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रश्न पूछा है कि जब हम रासायनिक खाद का प्रयोग करते है तो कहा जाता है की सरे बैक्टीरिया मर जाता है, तो पौधा कैसे बढ़ता हैं. इस पर कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि जब खेतों में गोबर का खाद डाला जाता है जिसके अन्दर जैविक कार्बन होता है यह मिटटी अन्दर जो में सूक्ष्म जीव होते हैं उनका खाना होता है. जो की पौधा को खाना खिलाता है.और जो छोटा-छोटा सूक्ष्म जीव जमीन में होते हैं, और जमीन में जो गोबर का खाद डाला जाता है और जमीन में गिरा हुआ पता सड़ता है उसे खा कर सूक्ष्म विव पौधों को खाना खिलाते हैं और इस तरह से पौधा बढ़ता है.

आशीष कुमार गिरिडीह से झारखण्ड मोबाइल वाणी पर बताया की सड़क पे कचरे की समस्या बढ़ गए हैं जिस कारन प्रदुषण एवं लोगो में बिमारियों की बढोतरी हो रही हैं

पूजा कुमारी तिसरी गिरिडीह से झारखण्ड मोबाइल वाणी पर एक कविता प्रस्तुतं किया जिसका शीर्षक हैं-सुन्दर रंग रंगीले.

मुकेश कुमार तिसरी गिरिडीह से झारखण्ड मोबाइल वाणी पर बंगलौर की पत्रिका में पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए कहा की झारखण्ड में परम्परिक तरीके से जल का सरक्षण किया जाता है जैसे यहाँ की जमीन कहीं समतल तो कहीं ढलाऊँ तो कही की जमीन ऊँची होने के कारण पानी का सरक्षण करने में पारंपरिक विधिय सहायक साबित होती हैं जैसे छोटी छोटी नदियों में चेकडेम पोखर, तालाब बना कर पानी का सरक्षण किया जाता हैं.दुसरे प्रश्न में पुछा गया है की आपके यहाँ जल प्रदुषण के क्या कारण हैं जिसके जवाब में उन्होंने बताया की झारखण्ड में अधिक कल कारखाने नदियो के किनारे ही लगाये गए हैं जिससे की उनका कचरा नदियों में बहा दिया जाता हैं जिससे नदी का पानी प्रदुषित हो रहा हैं.जिसके बचाओं के लिए चिमनी बनाई जाये और कारखानो के कचरे नदियों में न बहाया जाये और अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाये जाये.