मुकेश कुमार तिसरी गिरिडीह से झारखण्ड मोबाइल वाणी पर बंगलौर की पत्रिका में पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए कहा की झारखण्ड में परम्परिक तरीके से जल का सरक्षण किया जाता है जैसे यहाँ की जमीन कहीं समतल तो कहीं ढलाऊँ तो कही की जमीन ऊँची होने के कारण पानी का सरक्षण करने में पारंपरिक विधिय सहायक साबित होती हैं जैसे छोटी छोटी नदियों में चेकडेम पोखर, तालाब बना कर पानी का सरक्षण किया जाता हैं.दुसरे प्रश्न में पुछा गया है की आपके यहाँ जल प्रदुषण के क्या कारण हैं जिसके जवाब में उन्होंने बताया की झारखण्ड में अधिक कल कारखाने नदियो के किनारे ही लगाये गए हैं जिससे की उनका कचरा नदियों में बहा दिया जाता हैं जिससे नदी का पानी प्रदुषित हो रहा हैं.जिसके बचाओं के लिए चिमनी बनाई जाये और कारखानो के कचरे नदियों में न बहाया जाये और अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाये जाये.