झारखंड राज्य के बोकारो राज्य के चन्द्रपुरा प्रखंड से नरेश महतो ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि प्रखंड क्षेत्र में स्थित सभी पंचायतों में आज भी कई समस्याएं है। परन्तु इन सभी समस्याओं में सबसे मुलभुत पानी की समस्या। सदियों से भारत को गाँव का देश कहा जाता है। क्योंकि गाँव में ही किसान अधिक संख्या में मिलते हैं। किसान भाई गाँव में रह कर खेती करते हैं, दिन रात मेहनत करते हैं और अनाज उपजा कर अपने परिवार वालों की हर छोटी-बड़ी ज़रूरतों,बेटे बेटियों की शादी,उनकी शिक्षा,इलाज इत्यादि की पूर्ति किया करते हैं। इन्हीं गाँवों में से चन्द्रपुरा प्रखंड क्षेत्र भी आता है और इस प्रखंड में लगभग 90 प्रतिशत किसान निवास करते हैं। किसान खेती-बारी कर फ़सल उगाते हैं- जिसमे मुख्य रूप से धान,गेहूं,आलू,गोभी,टमाटर,बैंगन,पालक आदि फसलों की खेती किया करते हैं। लेकिन खेती हमेशा मौसम पर भी निर्भर करता है। यदि धान की खेती के समय मानसून अच्छी रही तो धान की पैदावार बहुत हो जाती है। हर वर्ष किसान मानसून आधारित ही खेती किया करते हैं क्योंकि किसानों के पास सिंचाई व्यवस्था ना के बराबर होती है।खेती करने के लिए सबसे अधिक पानी की जरुरत होती है।जिससे किसान वंचित रहते हैं क्योंकि यह देखा जाता है कि गाँव में सबसे अधिक पानी की समस्या है। जिसका सामना गाँव की महिलाओं को भी करना पड़ता है। ग्रामीण मिलो दूर चल कर पोखर से पानी लाते हैं और उससे पूरे दिन का गुजारा किया करते है। आज़ादी के 70 वर्षों के उपरान्त यदि इस छोटी सी समस्या का समाधान नहीं हो पाया तो, इससे विकास का अंदाजा लगाया जा सकता है। जबकि चन्द्रपुरा प्रखंड क्षेत्र के दशवीं छोर पर दामोदर नदी बहती है तथा उत्तरी छोर पर जमुनियां नदी । पर अब तक किसी भी पदाधिकारियों की नजर किसानों की इस छोटी सी समस्या पर नहीं पहूँच पााया है।चुनाव के समय भोली भाली जनता पदाधिकारियों की बातों से लुभ कर मतदान कर देते हैं लेकिन चुनाव के बाद समस्या का समाधान करने वाला कोई नहीं होता है ।नतीजतन किसान अपने बच्चों के साथ रोज़गार हेतु अन्य शहरों में पलायन कर जाते हैं और गाँव में अकेले उनके बूढ़े माँ-बाप रह जाते हैं। जो अपने बच्चों के घर वापस आने का इंतजार करते रहते हैं और वापस दूसरी राज्यों से उनकी लाश आती है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाँव में कितना विकास हुआ है।