बिहार राज्य के जिला जमुई से बुलबुल कुमारी की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अंकित कुमार से हुई। अंकित कुमार यह बताना चाहते है कि शिक्षा में भेद - भाव बहुत होता है। लड़को को पढ़ने की छूट ज्यादा दिया जाता है जबकि लड़कियों को कम छूट दिया जाता है। शिक्षा में दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए। शिक्षा में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है , इसमें और सुधार की जरूरत है। स्कूलों में अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही है। महिलाओं को जमीन पर अधिकार मिलना चाहिए, सिर्फ लड़कों को ही जमीन पर अधिकार दिया जाता है। महिला भी परिवार चलाती है।

बिहार राज्य के जिला जमुई से बुलबुल कुमारी की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से रूबी कुमारी से हुई। रूबी कुमारी यह बताना चाहती है कि शिक्षा में भेद - भाव किया जाता है। पढ़ - लिख कर भेद - भाव को ख़तम किया जा सकता है। आज भी बेटी को कम पढ़ाया जाता है। बेटों को ज्यादा पढ़ाया जाता है। शिक्षा में सुधार नहीं हो रहा है। सरकारी स्कूल में सुधार होना चाहिए। सरकारी स्कूल में ध्यान नहीं दिया जाता है। महिलाओं को शिक्षित होना चाहिए तभी वह जमीनी अधिकार के बारे में जान पाएंगी।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला आलोक यादव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि जब उन्होंने जब अशोक यादव से बात किए तब उन्होंने बताया कि महिला को हक़ मिलना चाहिए। महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं है। महिला सभी कार्यों में अपना योगदान देती है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से साक्षी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से स्थानीय निवासी राघवीर यादव से बातचीत हुई। बातचीत में उन्होंने बताया की महिलाओं को भी पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए।अगर महिला के जीवन साथी नहीं है, तो उन्हें भी संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए।

बिहार राज्य के जिला जमुई से बुलबुल कुमारी की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से नागमणि से हुई। नागमणि यह बताना चाहते है कि समाज में लोग लड़कियों को शिक्षा नहीं देना चाहते है। आज लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं है। दोनों समान तरह के काम कर रहे है। सरकारी स्कूल में गरीब बच्चे पढ़ने जाते है जबकि प्राइवेट स्कूल में बड़े लोगों के बच्चे पढ़ने जाते है। इसीलिए उन्हें लगता है कि शिक्षा के क्षेत्र में भेद - भाव होता है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हो रहा है। सरकार नई शिक्षा निति को भी लायी है , जिसे पारित करना है। जब शिक्षा ही नहीं है तो लोग अधिकार के बारे में नहीं जान पाएंगे। लोग शिक्षित होने पर जमीन सम्बन्धी सभी जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से मोहम्मद आरिफ , की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मनोज से हुई। मनोज यह बताना चाहते है कि छोटे - छोटे जमीन बहुत से किसानो के पास होती है।जिनके पति का देहांत हो जाता है और पत्नियां घर पर रहती है , उन्हें ये मालुम नहीं होता है की उनकी जमीन कहाँ - कहाँ है। पति के देहांत के बाद समाज के लोग या बड़े अधिकारी सभी मिलकर उनके पत्नी को जमीन पर अधिकार दिलाना चाहिए।

बिहार राज्य के जिला जमुई से नागमणि की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से बुलबुल कुमारी से हुई। बुलबुल कुमारी यह बताना चाहती है कि शिक्षा में असमानता है। बेटी को पीछे रखा जाता है। जबकि बेटों को आगे बढ़ाया जाता है। लड़कियों को शिक्षा देना चाहिए। गरीब के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते है जबकि बड़े घर के बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते है। शिक्षा में विकास की जरूरत है। अगर महिला अनपढ़ है तो उनको जमीन के बारे में जानकारी नहीं हो पायेगा।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली ,मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि जब वह लोगों से शिक्षा और अन्य मुद्दों पर लोगों से बात किए तो यह बात सामने आया की महिला को अधिक से अधिक शिक्षा की जरूरत है। बिना शिक्षा के महिला आगे नहीं बढ़ सकती है।वह शिक्षित होगी तभी वह जमीन पर अधिकार ले पाएंगी।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से समसूद्दीन से हुई। समसूद्दीन यह बताना चाहते है कि महिलाओं के नाम से जमीन का रेजिस्ट्री कराने में कम पैसा लगता है। महिला पढ़ - लिख कर आगे बढ़ रही है।

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से सरोज चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के भूमि अधिकारों को मजबूत करने के लिए हमें कानूनी और सामाजिक रूप से भूमि अधिकारों को मान्यता देने की आवश्यकता है।महिलाओं के भूमि अधिकार मिलने से घरों और समुदाय में महिलाओं की भूमिका बढ़ जाती है। महिलाओं के संकल्प को मजबूत करने में अधिक लोगो को शामिल होना चाहिए। महिलाओं को भूमि के माध्यम से सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लेना चाहिए, महिलाओं के भूमि अधिकार उनके मानवाधिकार हैं। महिलाओं के भूमि अधिकार प्राप्त करने की स्थिति तब चुनौतीपूर्ण हो जाती है, जब महिलाएं खुद को भूमि अधिकारों के योग्य नहीं मानती हैं। महिलायें आमतौर पर अपने अधिकारों के बारे में पता नहीं होता है और जब तक उन्हें बताया न जाये तब तक उस बारे में सोचते भी नहीं है