नरेश आनंन्द कि रिपोर्ट

विश्व स्तनपान दिवस सप्ताह पर निकाली प्रभातफेरी किया जागरूक

हवेली खड़कपुर स्थित एक आंगनबाड़ी में बच्चों को बांटा गया पोशाक राशि उस में देखा गया की वह के वार्ड पार्षद भी थे

बच्चों के सर्वांगीण शारीरिक व मानसिक विकास के लिए संतुलित आहार है जरूरी - संतुलित आहार से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता होगी विकसित - बच्चों के भोजन में दूध और अनाज की मात्रा बढ़ाएं - पानी और जूस भी अधिक से अधिक देने की करें कोशिश

धरहरा : सरकार के निर्देश पर आईसीडीएस विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों के नौनिहालों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए घर तक पोषणयुक्त आहार पहुंचाने का निर्देश सभी आंगनवाड़ी केंद्र के सेविका एवं सहायिका को सौपी थी। इसी आलोक में गुरुवार को धरहरा प्रखंड के विभिन्न केंद्रो पर सेविका एवं सहायिका ने मिलकर सरकार द्वारा दी जाने वाली पोषाहार का वितरण किया। ईटवा पंचायत के कमलदह आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 113 की सेविका प्रतिमा देवी ने बताया कि बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाकर एक कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण करने हेतु सरकार लगातार प्रयासरत हैं जिसके आलोक में हमलोग बच्चों को सरकार द्वारा दी जा रही पोषाहार का वितरण कर रहे हैं।सनद रहे कि कंपकंपाती ठंड को देखते हुए सरकार अगले आदेश तक के लिए आंगनवाड़ी केंद्र को बंद रखने का आदेश जारी किया है साथ ही पोषाहार को बंद न करते हुए बच्चों के घरों तक पहुंचाने का भी फरमान जारी किया है।

कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता की वजह से बार-बार बीमार होता है नवजात, करें उचित देखभाल - नवजात को जन्म के छह महीने तक कराएं सिर्फ स्तनपान तो विकसित होगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता - मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए संपूर्ण टीकाकरण आवश्यक, संक्रामक बीमारी से भी होगा बचाव

आरोग्य दिवस पर गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच से जिलाभर में सुरक्षित मातृत्व को मिल रही गति - गर्भवती महिलाओं को चिकित्सीय सलाह के अनुसार लेनी चाहिए आयरन व कैल्सियम की दवा - गर्भवती महिलाओं को प्रोटिनयुक्त आहार का सेवन जरूर करना चाहिए मुंगेर, 21 नवम्बर। जिला भर में सुरक्षित प्रसव को लेकर स्वास्थ्य विभाग अपनी ओर से पूरी तरह से सुदृढ़ है। अब जरूरत है गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों के जागरूक होने की। इसके लिए लोगों को समझना होगा कि सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रसव पूर्व प्रबंधन बहुत जरूरी है। इसमें जांच से लेकर सरकारी अस्पतालों में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। सदर अस्पताल के साथ- साथ अनुमंडल और पीएचसी स्तर के सरकारी अस्पतालों में भी वैसी ही तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं । आरोग्य दिवस के दिन बुधवार और शुक्रवार को आंगनबाड़ी केंद्र में भी गर्भवती माता की जांच की जा रही है। जिससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिले। यहां पर प्रसव पूर्व जांच से लेकर प्रसव कराने तक की बेहतर व्यवस्था है। सुरक्षित मातृत्व के लिए एएनसी जांच कराना अत्यंत आवश्यक है। एएनसी जांच का मकसद मातृ- शिशु मृत्यु दर में कमी लाना होता है। हालांकि, एएनसी जांच के लिए प्रत्येक माह की 9वीं व 21 वीं तिथि को शिविर लगाया जाता है। लेकिन, सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाएं एएनसी जांच के लिए कभी भी चिकित्सकों से संपर्क कर सकती हैं। गर्भधारण से लेकर 12वें सप्ताह तक पहली जांच जरूरी : एसीएमओ डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि सुरक्षित मातृत्व को लेकर सदर अस्पताल में बेहतर व्यवस्था उपलब्ध है। गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व चार जांच होती है। पहली जांच गर्भधारण से लेकर 12वें सप्ताह तक, दूसरी जांच गर्भधारण के 14 वें से लेकर 26वें सप्ताह तक, तीसरी जांच गर्भधारण के 28वें से 34वें सप्ताह तक और आखिरी जांच 36वें सप्ताह से लेकर प्रसव होने के पहले तक कराई जाती है। इसे एएनसी जांच कहते हैं। इस जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं को जो भी सलाह दी जाती उस पर अमल करने की जरूरत है। इससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिलता है । इसके अलावा महिलाओं को अपने खानपान पर भी विशेष ध्यान रखना होगा ताकि वो एनीमिया की चपेट में आने से बचें । इसके लिए गर्भवती महिलाओं को आयरन और कैल्सियम की दवा भी चिकित्सीय सलाह के अनुसार लेनी चाहिए। एएनसी जांच के दौरान आयरन और कैल्सियम की गोली कब लेनी है, इसकी सलाह डॉक्टर से अवश्य ले लें। डॉक्टर जैसी सलाह दें, उसका पालन करें। प्रसव को लेकर आवश्यक तैयारी जरूरी : उन्होंने बताया कि प्रसव का समय नजदीक आए तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे कि सबसे पहले एम्बुलेंस या फिर किसी गाड़ी वाले का नंबर को पास में रखें। अगर दर्द शुरू हो तो तुरंत गाड़ी वाले को फोन कर बुलाएं। इसके अलावा दो- तीन ऐसे लोगों को तैयार रखें, जो कि जरूरत पड़ने पर रक्तदान कर सकें। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को प्रोटीनयुक्त आहार का जरूर सेवन करना चाहिए। दूध, अंडा, मछली, मांस के साथ हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को एक साथ दो जान की परवाह करनी पड़ती है। पौष्टिक और प्रोटीनयुक्त आहार लेने से दोनों का ध्यान रखा जाता है। जो गर्भवती महिलाएं मांसाहार का सेवन नहीं करती हैं, उन्हें दूध, हरी सब्जियों और फल के सेवन पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। परिवार नियोजन सुविधाओं के लाभार्थियों को दी जाती है प्रोत्साहन राशि : जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नसीम रजी ने बताया कि सभी एएनएम् एवं आशा को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में परिवार नियोजन की सभी सुविधाओं का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि की भी जानकारी प्रदान की गयी है। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में पुरुष नसबंदी का लाभ उठाने पर लाभार्थी को ₹3000/- व उत्प्रेरक को ₹400/- रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है । महिला बंध्याकरण के लिए लाभार्थी को ₹2000/- व उत्प्रेरक को ₹300/-, प्रसव उपरांत बंध्याकरण पर लाभार्थी को ₹3000/- व उत्प्रेरक को ₹400/-, प्रसव उपरांत कॉपर-टी लगाने पर लाभार्थी को ₹300/- व उत्प्रेरक को ₹150/-, गर्भपात उपरांत कॉपर-टी लगाने पर लाभार्थी को ₹300/- व उत्प्रेरक को ₹150/-, गर्भनिरोधक सूई (अंतरा) का लाभ उठाने पर लाभार्थी को ₹100/- व उत्प्रेरक को ₹100/- की सहायता राशि प्रदान की जाती है।

दोस्तों, केन्द्र सरकार ने 1995 में देश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना की शुरूआत की थी. पहले यह योजना कुछ चुनिंदा राज्यों और स्कूलों में शुरू हुई, फिर धीरे—धीरे करके गांव कस्बों तक पहुंच गई. लेकिन क्या है इस योजना के फायदे ?और क्यों है इसकी ज़रूरत ? जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

सदर प्रखंड के विभिन्न आंगनवाड़ी केंद्रों पर विभागीय निर्देशानुसार आंगनवाड़ी सेविका द्वारा 6 माह के बच्चे को फिर से मौजूद था कर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया वही सेविका द्वारा बच्चे के माता पिता को बताया गया कि अब आपके बच्चे अच्छे मौके हो चुके हैं इन्हें दाल का पानी ,दलिया, दूध रोटी मसल कर ,दिन में दो या तीन बार दें ताकि आपके बच्चे कुपोषण से दूर रहें और सुपोषित हो सके।

मुंगेर, स्वस्थ व सक्रिय जीवन के लिये हमें उचित व पर्याप्त पोषक तत्वों की जरूरत होती है। शरीर के आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिये अच्छा पोषण या उचित आहार का सेवन बेहद जरूरी है। इसके साथ ही नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ पर्याप्त, उचित व संतुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य का आधार है। खराब पोषण से शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होने के साथ ही हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है। लगातार बढ़ते शहरीकरण और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का उपभोग व बदलते जीवन शैली के कारण हमारे आहार संबंधी व्यवहार में भी काफी बदलाव हुआ है। इससे लोगों में पोषण से जुड़ी कई गलत धारणाएं व अंधविश्वास भी बढता जा रहा है। जो हमारे संपूर्ण शारीरिक विकास में बाधक बन रहा है।