मैं सामुदायिक संवाददाता आशीष कुमार आज चेनारी प्रखंड के मल्हिपुर पंचायत के नायकपुर गांव में आयुष्मान कार्ड के बारे में दिया गया जानकारी l
शुक्रवार को प्रखंड मुख्यालय के बैठक सभागार में प्रखंड प्रमुख सुदो राम एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी भरत कुमार सिंह द्वारा उपस्थित जनप्रतिनिधियों एवं प्रखंड कर्मियों को पोषण के महत्व पर जानकारी दी एवं शपथ ग्रहण करवाते हुए बताये की भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष सितम्बर माह को उत्सव के तरह पोषण माह के रूप में मनाया जाता है । पोषण स्तर को सुदृढ़ करने के लिए बच्चे के जीवन के प्रथम एक हजार दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण होता है ।इस दौरान अगर बच्चे के माता पिता ध्यान दें तो बच्चे को कुपोषण से बचाया जा सकता है ।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य से सुनील कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जिला में पोषण माह के तहत विभिन्न कायर्क्रम प्रभावी तरीके से चलाने के लिए बैठक का आयोजन किया गया। जिला में आंगनवाड़ी सेविका और सहायिका के हड़ताल के कारण पोषण माह के कार्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। बैठक में इस पूरे माह के कार्यक्रमों के बारे में प्रचार प्रसार पर बल दिया गया। बैठक में पोषण कार्यक्रम के बहाने जिले के मतदाता सूचि में लिंगानुपात को भी बढ़ाने के साथ स्वीप के अन्य कार्यक्रम आयोजित करने की रणनीति बनायीं गयी। बैठक में विभिन्न विभागों के साथ समन्वय कर इस कार्यक्रम को तेज़ करने पर जोड़ दिया गया। बैठक में आंगनवाड़ी डीपीओ को निर्देश दिया गया कि सेविका और सहायिका के हड़ताल के स्थान पर महिला पर्यवेक्षिका को उनके स्थान पर तैनात कर पोषण जैसे महत्वपूर्ण कार्य का निष्पादन करें. सभी को समाज कल्याण विभाग द्वारा तिथिवार जारी कार्यक्रमों के अनुसार जिले में पोषण कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया गया।
राष्ट्रीय पोषण मिशन अंतर्गत डीडीसी की अध्यक्षता में सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाए जाने को लेकर बैठक किया गया
पटना( मेहताब आलम)- वर्ष 2018 के सितंबर माह से प्रधानमंत्री द्वारा पहली बार राष्ट्रीय पोषण माह की शुरूआत की गई थी देश भर में से कुपोषित खत्म करने की दिशा में शुरुआत किए गए राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत तृतीय पोषण माह आयोजन किया गया है कोरोना संक्रमण के कारण पोषण माह का आयोजन चुनौतीपूर्ण है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य से हमारे श्रोता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि राष्ट्रीय पोषण माह के तहत शेखपुरा जिला के 4 प्रखंडों अरियरी, चेवाड़ा, शेखपुरा सदर एवं घाट कुसुंबा में विभिन्न तरह के कार्यक्रम 1 सितंबर से चलाए जा रहे हैं ।सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज दिल्ली के आर्थिक सहयोग और राघो सेवा संस्थान के द्वारा प्रशिक्षण पाई हुई महिला वार्ड प्रतिनिधियों ने कई तरह के कार्यक्रम जैसे रंगोली कार्यक्रम ,मेहंदी कार्यक्रम माता बैठक, किशोरी बैठक ,रैली इत्यादि का आयोजन करके लोगों को कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए जागरूक किया lइस साल के राष्ट्रीय पोषण माह के थीम किचन गार्डन लगाने पर ज्यादा जोर दिया गया l बिहार को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए सभी एक साथ जोर लगाना होगा और कुपोषण बच्चों को पूर्ण आवास केंद्र भेजने की जिम्मेदारी भी लेनी होगी। राष्ट्रीय पोषण माह 30 सितंबर 2020 तक देश में और भी तरह के कार्यक्रम करके लोगों को कुपोषण से कौशल तक जाने के लिए प्रेरित किया जाएगा
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बिहार के जिला जमुई,प्रखण्ड सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि सिकंदरा प्रखण्ड के मंजुष गाँव में अवस्थित प्राथमिक स्वाथ्य उपकेंद्र जर्जर अवस्था में थी।सरकार के प्रयास के बाद अस्पताल के भवन की सुंदर व्यवस्था तो हुई।परन्तु सालो बीतने को है अभी तक स्वाथ्य केंद्र में कोई भी कर्मचारी दिखाई नहीं दिया।भवन हाथी के दाँत साबित हो रहे है।यहाँ के लोगों को हर छोटी-बड़ी समस्या के समाधन के लिए गाँव के झोलाछाप डॉक्टर पर निर्भर रहना पड़ता है।जो मरीजों का खून चूसने का काम करते है।आखिर अस्पताल बन जाने के बाद भी विभाग इस अस्पताल की सुधी क्यों नहीं लेता है।विभागीय पदाधिकारी केवल कार्यालय में बैठ कर जन-कल्याण की बातें सोचते है।केंद्र के नाम पर आवंटन भी होता है किन्तु सब चिकित्सा पदाधिकारी के पेट में चला जाता है।बार-बार अखबार की सुर्ख़ियों में रहने के बाद भी आज तक इस अस्पताल के माध्यम से यहाँ के ग्रामीणों को किसी प्रकार की स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।जिला में अधिकांश स्वास्थ्य केन्द्र की हालत यही है।
बिहार के जिला जमुई,प्रखण्ड सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बात रहे है कि बिहार में डॉक्टरों की संख्या में कमी एवं सरकारी अस्पतालों में नियुक्त डॉक्टर अपनी सेवा सही से नहीं देते है जिसके कारण बिहार की आम जनता के मन में यह बात घर कर गयी है की सरकारी अस्पातलो में पदस्थापित डॉक्टर सही ईलाज नहीं कर पाते। सही ईलाज नहीं होने के कारण रोगी ईलाज से संतुष्ट नहीं हो पाते है।डॉक्टर को भगवन माना गया है लेकिन कुछ डॉक्टर कसाई से कम नहीं है।रोगी की मृत्यु हो जाने के बाद भी पैसे के लालच में इलाज जारी रहता है और लोगो को पैसा भरना पड़ता है।सरकारी अस्पतालों में सरकार के द्वारा दिए गए उपकरण को सही से इस्तेमाल ना कर ख़राब कर देते है।और रोगियों के सामने उपकार ख़राब का बहाना बनाकर केवल अपनी जगह बैठ कर गप्पे मारते रहते है।आज अस्पताल और स्कूल राजनीती का अड्डा बना हुआ है।अगर सरकार इसपर उचित ध्यान नहीं देगी तो यह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पायेगा।चाहे सरकार इसके पीछे जितना खर्च कर ले।
