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आज के समय पर्यावरण नाम समर्पित है इसे कहना अनुचित नही होगा। प्रकृति ही जान और जहान है।
प्रकृति कभी किसी के भाव से नहीं चलता, इसका संरक्षण बहुत जरूरी है। किसी भी वस्तु का अत्यधिक होना या उसके पीछे भागना नुकसान देह है। प्यार और भावना हमे पर्यावरण से जोड़ता जरूर है, पर उसके प्रति झुकाव होना जरूरी है।
प्राकृतिक जीवन के हर पहलू को एक साथ ले चलने की आवश्कता है।इसलिए कृषि का वैज्ञीकरण अतिआवश्य होना भी एक जरूरत हे।
