कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

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झारखंड राज्य के हजारीबाग जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता गीता सिंह जानकारी दे रही हैं की फैक्ट्री से निकलने वाले कचरे के कारण ग्रामीण बहुत परेशान हैं। नदी में सारे कचरे के डाले जाने से पानी दुषित हो रहा है। साथ ही क्षेत्र में बदबु भी फैल रही है। जिसके कारण बच्चे और ग्रामीण बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। जल्द से जल्द इस समस्या समाधान के लिए आवाज उठाई गई है

मनरेगा योजना एक महत्वाकांक्षी योजना है लेकिन जन प्रतिनिधि और शीर्ष अधिकारी की लापरवाही के कारण यह योजना जमीन पर कहीं न कहीं कागज पर सिमट कर जाती है। विष्णुगढ़ ब्लॉक में एक आर. टी. आई. के तहत जानकारी मिली है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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साइबर ठगी का हुए शिकार, एटीएम निकलने के दौरान १६ हजार रूपये की ठगी का शिकार हुए है , विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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