झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से टेक नारायण प्रसाद कुशवाहा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि देश में चुनाव का माहौल है। ऐसे में विभिन्न राजनितिक पार्टियां लुभावने चुनावी मुद्दे लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। लगभग सभी राजनितिक पार्टियां सड़क,शहरीकरण,आवास,इत्यादि सहित कई सुविधाएं देने की बात करते हैं । मगर जंगल,पर्यावरण और सूखते जल स्रोत से जुड़े मुद्दे नही उठाए जाते हैं। वन और जल के कारण मानव जीवन बचा हुआ है.लेकिन दुर्भाग्यवश किसी भी राजनितिक दल को ये मुद्दे दिखाई नही देते हैं । जल,वन और पर्यावरण चुनावी मुद्दा जरूर होना चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

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दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।

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