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प्रखंड के सोलह गाँवों से आचार्य दीदी का प्रशिक्षण गिरडी जिले के खंडुली नामक कसान प्रखंड में किया गया है । ये सभी आचार्य डेडी को यह प्रशिक्षण देकर यह बताने का काम कर रहे हैं कि आज बच्चों को संस्कारों और शिक्षा से भरना है जिसमें संस्कृत पढ़ाई जाती है । आश्लोक सिखाएँ , हनुमान चरित पर मंत्रों का जाप करें और ऐसे कई कार्यक्रम हैं जिनमें संस्कृति पर जोर दिया जा रहा है और साथ ही बच्चे व्यायाम भी कर सकते हैं । रा और वन पर्यावरण और स्वस्थ पर स्व - शिक्षा पर विभिन्न विषयों पर रुझान दिया जाता है और आचार्य डेडी के पास इन सभी बच्चों को अपने एकल विद्यालय में पढ़ाने का काम है ।

भारत में शादी के मौकों पर लेन-देन यानी दहेज की प्रथा आदिकाल से चली आ रही है. पहले यह वधू पक्ष की सहमति से उपहार के तौर पर दिया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में यह एक सौदा और शादी की अनिवार्य शर्त बन गया है। विश्व बैंक की अर्थशास्त्री एस अनुकृति, निशीथ प्रकाश और सुंगोह क्वोन की टीम ने 1960 से लेकर 2008 के दौरान ग्रामीण इलाके में हुई 40 हजार शादियों के अध्ययन में पाया कि 95 फीसदी शादियों में दहेज दिया गया. बावजूद इसके कि वर्ष 1961 से ही भारत में दहेज को गैर-कानूनी घोषित किया जा चुका है. यह शोध भारत के 17 राज्यों पर आधारित है. इसमें ग्रामीण भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है जहां भारत की बहुसंख्यक आबादी रहती है.दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आप क्या सोचते है ? और इसकी मुख्य वजह क्या है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *----- और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

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