घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है।आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हो जबकि वास्तविकता में महिलाओं पर होने वाली घरेलु हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है। अगर कुछ महिलाएँ आवाज़़ उठाती भी हैं तो कई बार पुलिस ऐसे मामलों को पंजीकृत करने में टालमटोल करती है क्योंकि पुलिस को भी लगता है कि पति द्वारा कभी गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देना या पिता और भाई द्वारा घर की महिलाओं को नियंत्रित करना एक सामान्य सी बात है। और घर टूटने की वजह से और समाज के डर से बहुत सारी महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकायत दर्ज नहीं करतीं। उन्हें ऐसा करने के लिए जो सपोर्ट सिस्टम चाहिए वह हमारी सरकार और हमारी न्याय व्यवस्था अभी तक बना नहीं पाई है।बाकि वो बात अलग है कि हम महिलाओं को पूजते ही आए है और उन्हें महान बनाने का पाठ दूसरों को सुनाते आ रहे है। आप हमें बताएं कि *-----महिलाओं के साथ वाली घरेलू हिंसा का मूल कारण क्या है ? *-----घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें अपने स्तर पर क्या करना चाहिए? *-----और आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा होती देखी तो क्या किया?

पूर्ण शुचिता व शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होगी पुलिस भर्ती परीक्षा : डीएम शासन के निर्देशों का कड़ाई से होगा पालन, अफवाहों पर रहेगी विशेष निगरानी केंद्र पर मोबाइल, पेन ड्राइव, कैमरा, घड़ी,चाबी,ब्लूटूथ सहित इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस व अन्य सामग्री प्रतिबंधित रहेगी सेक्टर, स्टेटिक, जोनल मजिस्ट्रेट व केंद्र व्यवस्थापकों को पूर्व से ही व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने व भ्रमणशील रहने के निर्देश सीसीटीवी की निगरानी में संपन्न होगी परीक्षा, केंद्रवार पुलिस बल की तैनाती ललितपुर। दिनांक 17 और 18 फरवरी 2024 को आयोजित होने वाली पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा की व्यवस्थाओं एवं नकलविहीन, शुचितापूर्ण व शांतिपूर्ण परीक्षा सम्पन्न कराने हेतु जिलाधिकारी अक्षय त्रिपाठी ने सेक्टर, स्टेटिक, जोनल मजिस्ट्रेटों एवं केंद्र व्यवस्थापकों के साथ कलैक्ट्रेट सभागार में बैठक की। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि परीक्षा से एक दिन पूर्व केंद्रों पर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर लें, कमी है तो उसे पूर्ण करा लें। परीक्षा पूर्ण रूप से सीसीटीवी की निगरानी में संपन्न होगी इसलिए कंट्रोल रूम में सीसीटीवी मानक के अनुसार हैं या नहीं, स्पष्ट कर लें। शासन के निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए। इसलिए सभी गाइडलाइंस का अच्छी तरह अध्यन कर लें, साथ ही भ्रामक खबरों वा अफवाहों पर निगरानी रखें व उसकी सूचना तत्काल जिला प्रशासन को दें। केन्द्रों पर परीक्षार्थियों के बैठने की उचित व्यवस्था करने, सीसीटीवी कैमरों को चेक करने, परीक्षा में नकल पर पूर्णतः रोक लगाने और परीक्षा की शुचितापूर्ण संपन्न कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी परीक्षा केन्द्रों पर सुरक्षा के दृष्टिगत पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती रहे,  जनपद में यातायात व्यवस्था सुचारू रखें तथा संबंधित अधिकारी पुलिस बल के साथ अपने-अपने क्षेत्रों में परीक्षा की संवेदनशीलता के दृष्टिगत भ्रमणशील रहें। उन्होंने कहा कि परीक्षा केंद्रों पर कागज, पेंसिल बाक्स, कैलकुलेटर, पर्स, सनग्लासेस, टोपी, ज्वैलरी, खाने-पीने के सामान, मोबाइल, पेन ड्राइव, कैमरा, घड़ी, चाबी, ब्लूटूथ, डिजिटल पेन, हेल्थ बैंड का सामान नहीं लाया जा सकेगा। परीक्षा केंद्रों के दो सौ मीटर दायरे में फोटोकॉपी की दुकानें बंद होंगी। इसके साथ ही परीक्षार्थियों की सुविधा के लिए रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर हेल्प डेस्क बनाए जाएंगे।

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हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

टनल से मजदूरों को बाहर निकालने में लगे 17 दिनों में हर बार की तरह इस बार भी नेताओं से लेकर मीडिया का भारी जमावड़ा आखिरी दिन तक लगा रहा, जो हर संभव तरीके से वहां की पल पल की जानकारी साझा कर रहे था। इन 17 दिनों में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हो गए, क्रिकेट विश्वकप का आयोजन हो गया,

सरकारी संस्था आईसीएमआर के डाटाबेस में सेंध लगाकर चुराया गया 81 करोड़ लोगों का डाटा इंटरनेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डाटा में लोगों के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी, पासपोर्ट, नाम, फ़ोन नंबर, पते सहित तमाम निजी जानकारियां शामिल हैं। यह सभी जानकारी इंटरनेट पर महज कुछ लाख रुपये में ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसे डाटा लीक के इतिहास का सबसे बड़ा डाटा लीक कहा जा रहा है, जिससे भारत की करीब 60 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी।