देश के किसान एक बार फिर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवंबर 2020 में किसानों ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था और इसके बाद अगले साल 19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए थे, हालांकि इस दौरान करीब सात सौ किसानों की मौत हो चुकी थी। उस समय सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर विचार करने और उन्हें जल्दी पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा अब तक नहीं हआ है। और यही वजह है कि किसान एक बार फिर नाराज़ हैं।

साथियों गर्मी का मौसम आने वाला है और इसके साथ आएगी पानी की समस्या। आज की कड़ी में हम आपको बता रहे है कि बरसात के पानी को कैसे संरक्षित कर भूजल को बढ़ाने में हम अपना योगदान दे सकते है। आप हमें बताइए गर्मियों में आप पानी की कौन से दिक्कतों से जूझते हैं... एवं आपके क्षेत्र में भूजल कि क्या स्थिति है....

ललितपुर की बेधा ब्लॉक निवासी महिला सुखवाती जी चाहती है। जो मध्यप्रेश में लाडली बहन योजना चल रही है। वही योजना ललितपुर मे भीं चले।

जमालपुर में ग्राम प्रधान व अधिकारियों की जुगलबंदी से मछुआ आवासीय योजना में किया जा रहा जमकर भ्र्ष्टाचार आवास योजना में आवास बनवाने के नाम पर पात्र लाभार्थियों से मांगे जा रही बीस हजार की रिश्वत ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाकर जिलाधिकारी को दिया ज्ञापन लिस्ट में नाम शामिल होने के बाबजूद सुविधा शुल्क के अभाव में नाम कटवाने का भी आरोप ललितपुर। जहां एक ओर मोदी सरकार और योगी सरकार मछुआ समुदाय के पात्र लाभार्थियों को मछुआ आवास के रूप में पक्का मकान देंकर उन्हें परिबार के साथ छत के नीचे रहने का मौका दे रही है, तो वही दूसरी ओर सरकार की इस योजना को पलीता लगाने का काम गांव के ग्राम पंचायत अधिकारी और ग्राम प्रधान मिलकर कर रहे हैं । आलम यह है कि ग्राम प्रधान और अधिकारियों की जुगलबंदी के चलते पात्र लाभार्थियों से आवास मुहैया कराने के नाम पर बीस-बीस हजार रुपयों की रिश्वत मांगी जा रही है और जो लाभार्थी रिश्वत नहीं दे पाते उनका नाम सूची से कटवाने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही रिश्वत लेकर अपात्रों को आवास बनवाए जा रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में विकासखंड तालबेहट की ग्राम पंचायत जमालपुर के कुछ ग्रामीण बुधवार को जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे, जहां उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर अपने गांव के ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी पर मछुआ आवास दिलाने के नाम पर 20-20 हजार की घोष लेने के आरोप लगाए और घूस लेकर अपात्र लाभार्थियों को आवास बनवाने के भी आरोप लगाकर पूरे मामले की जांच कर कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की मांग उठाई। बुधबार को तालबेहट अन्तर्गग ग्राम जमालपुर के करीब एक दर्जन से अधिक ग्रामीण कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन करते हुए नजर आए, क्योंकि उनके गांव की ग्राम प्रधान नन्हे राजा और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा मछुआ आवास बनवाए जाने के नाम पर पात्र लाभार्थियों से अबैध रूप से प्रति लाभार्थी 20-20 हजार रुपए की मांग की जा रही है। इसके संबंध में उन्होंने जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी पर घूस मांगने के आरोप लगाए और पैसा लेकर अपात्र लाभार्थियों को आवास दिलाने और पात्र लाभार्थियों का मछुआ आवास की लिस्ट से नाम काटने के भी आरोप लगाए। इसके साथ ही उन्होंने पूरे मामले की जांच कर कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की मांग उठाई। पात्र लाभार्थियों द्वारा डीएम को दिए गए ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि सरकार की मछुआ आवास योजना के तहत उन्होंने पात्र लाभार्थी होने के नाते आवेदन किया था। आवेदन करने के बाद आवासीय योजना की लिस्ट में उन सभी का नाम शामिल किया गया था। लेकिन गांव के ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा आवास बनवाने के नाम पर उनसे 20-20 हजार की घोष मांगी जा रही है और जो लाभार्थी ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी की मनसा की अनुरूप सुविधा शुल्क नहीं दे रहा उनका नाम आवास की लिस्ट से कटवा कर अपात्र का नाम जोड़ा जा रहा है, क्योंकि अपात्र ग्राम प्रधान को पैसा दे रहे हैं। वह आवेदन करने के बाद आवास बनवाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनके आवास इसलिए नहीं बन पा रहा है कि वह ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी को पैसा देने में सक्षम नहीं है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि गांव में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी और प्रधान द्वारा अपात्र लाभार्थी हर कंवर पत्नी नरेश प्रीति पत्नी हरकिशन का नाम सूची में जोड़ दिया गया है और इसे 15-15 रुपए की रिस्पत भी ली गई है जबकि पहले से पात्र लाभार्थियों की सूची में इनका नाम नहीं था। बॉक्स : इन ग्रामीणों का कहना है : इस मामले में गांव के लाभार्थी मंजू, संगीता, बैजू, मुकेश के साथ अन्य ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास रहने के लिए पक्का मकान नहीं था जिसके लिए उन्होंने ग्राम प्रधान के माध्यम से मछुआ आवास के लिए आवेदन किया था। आवास की लिस्ट में नाम आने के बाद ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा आवास बनवाने के नाम पर 20-20 हजार रुपए प्रति लाभार्थी की मांग की जा रही है । जो लाभार्थी ग्राम प्रधान और अधिकारियों को पैसा दे रहे हैं उनके आवास बनाए जा रहे हैं और जो लाभार्थी ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा मांगी गई रकम देने में सक्षम नहीं है, उनका नाम लिस्ट से हटाया जा रहा है। गांव में ऐसे कई लोगों की आवास बन चुके हैं जो कहीं से भी पात्र लाभार्थी नहीं है। गांव में कई अपात्र लाभार्थियों की आवास बनवा दिए गए हैं, जबकि पात्र लाभार्थी दर-दर भटक रहे हैं।

गौपालकों को खातों में गायों के पालने के खर्चे का पैसा ना आने से ग्रामीण परेशान डीएम को शिकायती पत्र देकर उठाई कार्यावाही की मांग अमझरा गौशाला से सरकारी खर्चे पर पालने के लिए ली गई गाय का पैसा सालों से गौपालकों के खातों में नहीं भेजी गई धनराशि गौपाल का आरोप : 2020 से खातों में नहीं आई धनराशि, जनसूचना मांगने पर नहीं दी सूचना ललितपुर। प्रदेश सरकार ने आवारा गोवंसों के संरक्षण के लिए जहां एक और स्थाई और अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल को खुलवाने का काम किया, तो वहीं पर उन्होंने एक योजना को और लागू किया कि जो भी ग्रामीण गौशाला से पालने के लिए गायों को लेगा, उन्हें सरकार गौवंश के संरक्षण हेतु अनुदान भी देगी। प्रदेश सरकार की इस योजना को धरातल पर उतार भी गया, लेकिन अब उसके हालत बद से बत्तर हो रहे है। क्योंकि गौपालको के खातों में सरकार द्वारा भेजे जाने वाली महीने की धनराशि नहीं आ रही है, जिससे गोपालक परेशान दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में गोपालक के परेशान होने का मामला विकासखंड मड़ावरा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम परौल का है, जहां के ग्रामीण में इलाके की गौशाला से एक गए पालने के लिए ली थी। लेकिन अब उसके खातों में गाय के संरक्षण के लिए धनराशि नहीं भेजी जा रही, जबकि एक गए के साथ अब उसके चार बछड़े और भी है, जिनके पालने की जिम्मेदारी अब उसे ग्रामीण पर है, जिसके पास उन्हें भोजन कराने के लिए धन की व्यवस्था नहीं हो पा रही। उक्त मामले में पीड़ित ग्रामीण ने जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर पूरे मामले से अवगत कराया और सहायता राशि उपलब्ध कराने की मांग उठाई। इसके साथ ही ग्रामीण का आरोप है कि जब उसने इस मामले में जन सूचना मांगी, तो उसे जन सूचना भी नहीं दी गई। जिससे उसे खातों में भेजी जाने वाली धनराशि के बारे में स्पष्ट जानकारी भी नहीं हो पा रही है। विकासखण्ड मडाबरा के ग्राम पारौल निवासी जगलाल पुत्र कडोरी लाल मंगलबार को जिलाधिकारी कार्यालय पर उपस्थित हुआ, जहां उसने जिला अधिकारी को शिकायती पत्र देकर अपने गोपालक होने का दावा किया और गौशाला से ली गई गाय और उसके बछड़ों को पालने के लिए मिलने वाले सरकारी धन को दिलाए जाने की मांग उठाई। दिए गए ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि उसने प्रदेश सरकार की योजना के तहत करीब 4 वर्ष पूर्व इलाके में संचालित होने वाले अमझरा गौवंश आश्रय स्थल से एक गाय पालने के लिए ली थी। क्योंकि सरकार की योजना के तहत एक गाय पालने की एवज में 900 रुपये प्रतिमाह गोपालको के खातों में भेजा जाता है। गाय लेने के बाद कुछ समय तक तो उसके खाते में योजना के अनुसार गाय की संरक्षण और देखरेख के लिए धनराशि भेजी गई लेकिन सन 2020 से भेजी जाने वाली धनराशि बंद कर दी गई जबकि वह लगातार गाय को पल रहा है और वर्तमान समय में गाय के साथ उसके तीन बछड़े भी है जिनके पालने की जिम्मेदारी उसे पर है इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा उसके खातों में गाय को पालने वाली धनराशि नहीं भेजी जा रही जिससे उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है कई बार उसने इस बाबत अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया लेकिन इस मामले में अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उसने 11 जनवरी 2024 को एक प्रार्थना पत्र दिया था इसके बाद माह अक्टूबर नवंबर दिसंबर 2023 की 2700 रुपए की धनराशि उसके बैंक खाते में भेजी गई थी और उसके बाद अब तक कोई धनराशि नहीं आई इसके पहले पिछले 3 सालों की भी कोई धनराशि उसे नहीं दी गई इसके संबंध में उसने एक जन सूचना भी मांगी थी तो अधिकारियों ने उसे उक्त जन सूचना नहीं दी जिससे उसे जानकारी नहीं हो पा रही कि पिछले समय में पैसा उसकी खाते में भेजा गया है या नहीं। ग्रामीण ने एक बार फिर जिला प्रशासन से गाय और बछड़ों को पालने के संबंध में धनराशि दिलाए जाने की गुहार लगाई है।

मेरा नाम राधिका है ललितपुर मोबाइल वाणी से जी जी आपका नाम क्या है मेरा नाम है मनीषा से मनीषा कहाँ से बड़म्ब बड़बेलोक से क्या करते है आप । खाना पकाने वाले बच्चे क्या झंझट करते हैं हमारा पति बना है ना कलश काट बना हैरा नहीं बटा है क्या मदद किया है हमें यह मदद चाहिए ।

मेरा नाम मेरा नाम समा तिवारी है जिला ललितपुर गाँव बतासी मैं कहना चाहता हूँ कि जो विवाहित महिलाएँ हैं , उनका मतलब परेशानी है , बहुत सारी विधवा पेंशन नहीं आ रही है । उनके लिए कम से कम एक साल के लिए जाएं ।

अब 12 फरवरी तक जमा होंगे पीएम कुसुम योजना के टोकन ललितपुर। उप कृषि निदेशक ने किसानों को अवगत कराया है कि कृषि विभाग से संचालित पी.एम. कुसुम योजना अन्तर्गत 20 जनवरी 2024 को सोलर पम्प के आप द्वारा ऑन लाइन टोकन किये गये थे। जिन किसानों को टोकन प्राप्त हो गया है। वह किसान अपने चालान का प्रिंट निकलवाकर धनराशि बैंक में जमा कर दें। धनराशि जमा करने की अन्तिम तिथि 05 फरवरी 2024 थी, जिसको संयुक्त कृषि निदेशक (अभियंत्रण), कृषि भवन लखनऊ के आदेश के क्रम में बढ़ाकर 12 फरवरी 2024 कर दी गयी है। अतएव जिन किसानों ने आज दिनांक तक चालान की धनराशि जमा नहीं कि वह निर्धारित तिथि में प्रत्येक दशा धनराशि जमा करवा दें, इसके पश्चात आपके टोकन स्वत: निरस्त कर दिये जायेंगे एवं टोकन की धनराशि भी जब्त हो जायेगी।

चौरसिया समाज द्वारा नवकुण्डात्मक श्रीराम यज्ञ 11 फरवरी से बसंत पंचमी पर 36 वां सामूहिक विवाह सम्मेलन नगर पंचायत पाली में विंध्याचल की वादियों में स्थापित हनुमान गढ़ी ढबुआ आश्रम में चौरसिया समाज के तत्वावधान में नवकुण्डात्मक श्रीराम यज्ञ के साथ बसंत पंचमी के पावन पर्व पर 36 वां चौरसिया आदर्श सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन होगा । कार्यक्रम को सकुशल पूर्ण कराने के लिए आयोजन कमेटी के पदाधिकारियों को उनके पदो की जिम्मेदारी सौप दी गयी है।धार्मिक एवं वैवाहिक कार्यक्रम की तैयारियों जोर-शोर से शुरू हो गयी हैं ।

मड़ावरा किला व अमझरा घाटी का दो करोड़ 83 लाख से होगा विकास विभाग ने वित्तीय स्वीकृति प्रदान करते हुए एक करोड़ रुपये किए अवमुक्त ललितपुर। मड़ावरा किला व अमझरा घाटी मंदिर पर पर्यटन विकास के लिए शासन ने दो करोड़ 83 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। प्रथम किस्त में दोनों ही जगहों पर कार्य प्रारंभ करने के लिए 50-50 लाख रुपये भी जारी कर दिए हैं। यहां से कई प्रस्ताव पर्यटन विभाग को भेजे गए हैं, कई कार्यों की कार्ययोजना तैयार कर धनराशि भी मांगी है। मड़ावरा, सौरई, बानपुर के किला, अमझरा, देवगढ़, - बंदरगुढ़ा व रणछोर क्षेत्र इसमें - शामिल हैं। जिला प्रशासन की पहल पर मड़ावरा किला व अमझरा घाटी के पर्यटन विकास की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है। मड़ावरा किला व उसके आसपास पर्यटन सुविधाएं व अन्य सौंदर्याकरण के लिए शासन से एक करोड़ 32 लाख रुपये की धनराशि मांगी गई थी। इसके साथ ही अमझराघाटी पर भी पर्यटन विकास के लिए एक करोड़ 50 लाख की कार्ययोजना तैयार की थी।