राजीव की डायरी को सुनने के बाद जिज्ञासा से सीतापुर की कुछ गॉव में जाकर मिडडे खाने के बारे में जानकारी ली। तो लोगों से बात की लोगों से बात करके यह पता चला कि स्कूलों में जो मिडवे यानी कि यह स्कूलों में जो खाना दिया जाता है, वह कितना स्वास्थ्य होता है या स्वास्थ्य लाभ इसकी जानकारी के लिए स्कूल के प्रधानाचार्य से बात की और साक्षात वहां पर देखा तो सीतापुर की कई स्कूलों में स्थिति काफी अच्छी है| खाना पौष्टिक रहता है और जो समय-समय पर दिया जाता है,वह भी अच्छा होता है| कई शिक्षक मिडिल का ही खाना खाते हैं, जिससे उनको स्वाद का भी पता चलता है कि बच्चों को कैसा खाना दिया जा रहा है| सबसे अच्छी बात यही है कि टीचर और प्रिंसिपल दोनों ही क्योंकि खाने को लेकर बहुत ही सजक रहते हैं|

किसान सहकारी चीनी मिल महमूदाबाद का उद्घाटन हो गया, लेकिन तैयारियां अधूरी होने से पेराई अब तक शुरू नहीं की जा सकी है। मिल गेट पर सन्नाटा पसरा है। 16 हजार से अधिक किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जिले में पांच चीनी मिलें हैं। इनमें चार निजी, एक सरकारी है। निजी चीनी मिलों ने नवंबर में ही पेराई सत्र शुरू कर दिया था। लेकिन महमूदाबाद की किसान सहकारी चीनी मिल का पेराई सत्र अब शुरू नहीं हुआ। पेराई शुरू न होने के पीछे मिल प्रशासन मशीनों की मरम्मत का हवाला दे रहा है। मिल गेट के लिए 15 हजार क्विंटल का इंडेंट रविवार को जारी किया गया है, लेकिन मिल के 26 गन्ना क्रय केंद्रों का इंडेंट अभी जारी नहीं किए जाने से हाल-फिलहाल पेराई शुरू होने पर संशय बरकरार है। मिल न चलने से किसानों का गन्ना खेत में खड़ा है। खेत खाली न कर पाने से किसान रबी की बोआई नहीं कर पा रहे हैं।

सीतापुर में परिषदीय विद्यालय की सुविधाओं में इजाफा होगा। कंपोजिट ग्रांट से स्कूलों में टाइलीकरण, रंग-रोगन सहित कई विकास कार्य होंगे। इन पर 16.42 करोड़ रुपये खर्च होंगे। शासन से बजट मिलते ही स्कूलवार डिमांड लेने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जिले के करीब 3500 परिषदीय विद्यालयों में कहीं पर रंग-रोगन नहीं है तो कहीं पर फर्श टूटी पड़ी है। स्कूल की छोटी-मोटी समस्याओं के लिए बजट की कमी आड़े आती थी। इस पर शासन ने जिले को 16.42 करोड़ का बजट आवंटित किया है। यह बजट सीधे विद्यालय के खातों में भेजा जाएगा। इस बजट से स्कूल परिसर में शौचालय व कमरों में टाइलीकरण कराया जाएगा। परिसर की रंगाई-पुताई भी होगी। प्राथमिक चिकित्सा के लिए बाॅक्स खरीदा जाएगा। स्कूल में अलमारी, डबल लॉक, सहित अन्य सुविधाओं बढ़ाई जाएगी। अब विद्यालयों से डिमांड ली जाएगी। उसके बाद विद्यालयवार बजट दिया जाएगा।

लहरपुर में गोभी की फसल ने इस बार किसानों को तगड़ा झटका दिया है। इस समय थोक बाजार में गोभी एक से दो रुपये प्रति पीस में बिक रही है। इससे मुनाफा तो दूर लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। मजबूरी में किसान उपज को जानवरों के खिला रहे हैं। क्षेत्र में करीब पांच सौ बीघा क्षेत्रफल में फसल का उत्पादन हुआ है। नगर व ग्रामीण इलाके में गोभी की खूब पैदावार होती है। पिछले साल गोभी के अच्छे भाव मिलने से किसानों को उम्मीद थी कि इस बार भी दामों में और इजाफा होगा। इसके चलते इलाके में करीब 500 बीघा जमीन पर इस बार पैदावार की गई थी। तीन माह के अंदर फसल तैयार हो गई। अब किसान इसे बाजार में लेकर पहुंच रहे हैं तो खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। अगर वह खरीदते हैं तो उन्हें बहुत ही कम रेट मिल रहा है। किसानों का कहना है एक पीस गोभी पर करीब चार रुपये की लागत आती है। अगर यह बाजार में सात से आठ रुपये तक बिके तो फायदा है वरना नुकसान हो रहा है। कुछ यही हाल बाजार का बना हुआ है।

सिधौली ग्रामीण उपकेंद्र से जुड़े करीब 100 गांवों में बिजली कटौती ने लोगों को खूब परेशान किया। दिनभर में महज तीन घंटे ही बिजली आई। कारण, ट्रांसफॉर्मर की क्षमता वृद्धि के चलते शटडाउन लिया गया था। दूसरे ट्रांसफॉर्मर से जोड़कर गांवों में कुछ घंटे ही बिजली दी गई। सुबह के समय बिजली न होने से पेयजल संकट भी खड़ा हो गया। बिजली न होने से सिंचाई भी प्रभावित हुई। करीब एक आबादी को परेशानी उठानी पड़ी। सिधौली ग्रामीण उपकेंद्र पर दो ट्रांसफॉर्मर रखे हुए हैं। एक पांच एवीएम व दूसरा 10 एमवीए का है। इस पांच एमवीए ट्रांसफॉर्मर की क्षमता बढ़ाकर 10 एमवीए की जाएगी। इसके लिए रविवार को शटडाउन लिया गया था। ट्रांसफॉर्मर से मास्टरबाग व महमूदाबाद मार्ग के करीब 100 गांव जुड़े हैं। इन गांवों में रविवार को बिजली आपूर्ति बाधित रही। दूसरे ट्रांसफॉर्मर के जरिए इन गांवों में दोपहर के समय महज तीन घंटे ही आपूर्ति दी गई।

हरगांव समिति के सचिव ने टिकरा गन्ना क्रय केंद्र का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों ने गन्ना किसानों से बात ही नहीं की। कुछ देर तक धर्मकांटे व दस्तावेज का जायजा लेने के बाद सब कुछ ओके बताकर चले गए। टिकरा में गन्ने की अवैध मंडी लगाकर औने-पौने दाम पर खरीदारी को लेकर अमर उजाला ने खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद डीसीओ रत्नेश त्रिपाठी व सचिव भूपेश कुमार राय टिकरा क्रय केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे थे। लेकिन निरीक्षण रस्म अदायगी तक सीमित रहा। अधिकारियों ने न तो किसानों की समस्याओं को जाना और न ही पर्चियों के असमान वितरण पर कोई बात की। वहीं, जिला गन्ना अधिकारी रत्नेश त्रिपाठी व हरगांव गन्ना समिति के सचिव भूपेश कुमार राय के निरीक्षण की भनक दलालों को पहले लग गई।

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मोबाइल वाली सीतापुर में किसानों की तमाम समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कृषि एक्सपर्ट से सरसों की फसल को लेकर खास बातचीत की है विभिन्न रोग व निदान के लिए

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