दोस्तों, हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार चुटकुला, तो रिकॉर्ड करें मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

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हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

दोस्तों, हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार चुटकुला, तो रिकॉर्ड करें मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

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भारत में सिर्फ बच्चों में ही नहीं हर आयु वर्ग में पोषण की कमी अर्थात कुपोषण के शिकार लोग औसत से अधिक हैं। किंतु बच्चों और महिलाओं की स्थिति अधिक चिंताजनक है। सरकारी योजनाएं जब तक धरातल पर नहीं उतरतीं उसका समुचित लाभ वास्तविक हकदार लोगों को नहीं मिल पाता है तो ऐसी योजनाएं कागजों में सिमट कर रह जाती हैं। मुफ्त खाद्यान्न को अपने घरों से चुरा कर उसे बेच कर शराब पीने वाले भी इसी समाज में मौजूद हैं। वहीं दावतों में मंहगे व्यंजन बना कर उन्हें प्लेट में परोस कर डस्टबिन में फेंकने वाले भी नजर आते हैं। महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग की कार्यशैली से देश का हर व्यक्ति परिचित है। फिर भला यह कैसे मान लिया जाए कि सरकारें कुछ नहीं जानती हैं। अपने देश में कुपोषण की स्थिति ऐसी है कि आज भी हमारे बीच (15-49 वर्ष) पुरुष वर्ग 25.0% (15-49 वर्ष) महिलाएँ 57.0% (15-19 वर्ष) पुरुषों की किशोर आयु वर्ग में 31.1% (15-19 वर्ष) महिलाओं की किशोर जनसंख्या में 59.1% (15-49 वर्ष) गर्भवती महिलाएँ 52.2% 6 से 69 माह के बच्चों में 67.1% कुपोषित हैं। जिसका मूल कारण इतना सामान्य नहीं है कि सभी को आसानी से समझ आ जाए। इसकी असली वजह जानने के लिए हमें अपनी जड़ों को भी कुरेदना होगा। एक स्वस्थ सभ्य समाज और सामाजिक चोरों की तलाश करनी होगी। हमारे देश की लगभग 74% आबादी स्वस्थ आहार ग्रहण करने की रेटिंग ही नहीं रखती है बस जो मिला उसे खा लिया, जबकि 39% खाद्य सुरक्षा और पोषण प्राप्त करने में अक्षम हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 55 प्रतिशत बच्चे कम वजन के है। और 55 प्रतिशत बच्चों की मौते कुपोषण के कारण होती है। यूनिसेफ और महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रकाशन-बाल संजीवनी के अनुसार कुछ और महत्वपूर्ण बिंदु भी हैं, जैसे देश के मध्यप्रदेश में देश में सर्वाधिक कम वजन के बच्चे हैं और यह स्थिति 1990 से यथावत बनी हुई है। सरकार कुपोषण दूर करने के लिए मुफ्त खाद्यान्न में फोर्टिफाइड चावल के दाने मिलाकर दे रही है। टीकाकरण आयरन फोलिक एसिड कैल्शियम की गोलियां मुफ्त दी जाती हैं। किंतु जागरूकता के अभाव में इसका लाभ अंतिम पायदान तक नहीं पहुंच रहा है।

दोस्तों, हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे।अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार चुटकुला, तो रिकॉर्ड करें मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर और जीतें आकर्षक इनाम।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में एक महिला क्या सोचती है... यह जानना बहुत दिलचस्प है.. चलिए तो हम महिलाओं से ही सुनते हैं इस खास दिन को लेकर उनके विचार!! आप अपने परिवार की महिलाओं को कैसे सम्मानित करना चाहेंगे? महिला दिवस के बारे में आपके परिवार में महिलाओं की क्या राय है? एक महिला होने के नाते आपके लिए कैसे यह दिन बाकी दिनों से अलग हो सकता है? अपने परिवार की महिलाओं को महिला दिवस पर आप कैसे बधाई देंगे... अपने बधाई संदेश फोन में नम्बर 3 दबाकर रिकॉर्ड करें.

दोस्तों, हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार चुटकुला, तो रिकॉर्ड करें मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर और जीतें आकर्षक इनाम।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अर्जुन त्रिपाठी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जब तक दुनिया है गरीब और गरीबी को समाप्त नहीं किया जा सकता है। किंतु जन सामान्य को रहने के लिए घर पहनने के लिए वस्त्र और भोजन तथा उपचार आदि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराने के बाद लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया जा सकता है। गरीब और गरीबी को मापने का पैमाना चाहे जैसा भी हो वास्तविकता यही है कि भारत में सरकारी संसाधनों का भरपूर अभाव है। किंतु विकासित राष्ट्रों में जन उपयोगी संसाधन अधिक सुलभ हैं।अमेरिका की कुल आबादी 40 करोड़ के सापेक्ष लगभग 4 करोड़ गरीब हैं। अर्थात महज 10% लोग जबकि भारत में कुल 140 करोड़ की आबादी में 23 करोड़ गरीब हैं। अर्थात 17% से अधिक लोग गरीब हैं।अमेरिका में प्रति व्यक्ति औसत आय के आधार पर गरीबी का पता लगाया जाता है। और वहां सरकार के द्वारा जन सामान्य के लिए पर्याप्त संसाधनों की भरपूर व्यवस्था की जाती है।जबकि भारत में गरीबी का आंकलन आय और क्रय शक्ति के आधार पर किया जाता है यहां प्रति व्यक्ति आय का औसत भी अमेरिका तथा यूरोप के विकसित देशों के मुकाबले बहुत कम है। तथा संसाधनों का पर्याप्त अभाव बना हुआ है।सच भले ही कड़वा लगे लेकिन सच यही है कि गरीब और गरीबी मिटाने के दावों के आंकड़े कुछ और हैं तथा वास्तविकता के धरातल पर गरीबी का हाल बहुत ही बुरा और भयावह है। आज भी ऐसे बहुत से परिवार हैं जिनके पास रहने के लिए छत और दोनों वक्त भरपेट भोजन करने की व्यवस्था नहीं है। सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी सच को झूठ और झूठ को सच बताने में प्रशासन के खेल को भी देश का हर नागरिक जानता है। भारत में बढ़ती जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की घातक प्रवृत्ति से भी गरीबी और गरीबों की रफ्तार बढ़ती नजर आ रही है।