"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा किसानों को बता रहे है कि दुधारू पशुओं को संतुलित आहार दें। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

Transcript Unavailable.

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भारत में सिर्फ बच्चों में ही नहीं हर आयु वर्ग में पोषण की कमी अर्थात कुपोषण के शिकार लोग औसत से अधिक हैं। किंतु बच्चों और महिलाओं की स्थिति अधिक चिंताजनक है। सरकारी योजनाएं जब तक धरातल पर नहीं उतरतीं उसका समुचित लाभ वास्तविक हकदार लोगों को नहीं मिल पाता है तो ऐसी योजनाएं कागजों में सिमट कर रह जाती हैं। मुफ्त खाद्यान्न को अपने घरों से चुरा कर उसे बेच कर शराब पीने वाले भी इसी समाज में मौजूद हैं। वहीं दावतों में मंहगे व्यंजन बना कर उन्हें प्लेट में परोस कर डस्टबिन में फेंकने वाले भी नजर आते हैं। महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग की कार्यशैली से देश का हर व्यक्ति परिचित है। फिर भला यह कैसे मान लिया जाए कि सरकारें कुछ नहीं जानती हैं। अपने देश में कुपोषण की स्थिति ऐसी है कि आज भी हमारे बीच (15-49 वर्ष) पुरुष वर्ग 25.0% (15-49 वर्ष) महिलाएँ 57.0% (15-19 वर्ष) पुरुषों की किशोर आयु वर्ग में 31.1% (15-19 वर्ष) महिलाओं की किशोर जनसंख्या में 59.1% (15-49 वर्ष) गर्भवती महिलाएँ 52.2% 6 से 69 माह के बच्चों में 67.1% कुपोषित हैं। जिसका मूल कारण इतना सामान्य नहीं है कि सभी को आसानी से समझ आ जाए। इसकी असली वजह जानने के लिए हमें अपनी जड़ों को भी कुरेदना होगा। एक स्वस्थ सभ्य समाज और सामाजिक चोरों की तलाश करनी होगी। हमारे देश की लगभग 74% आबादी स्वस्थ आहार ग्रहण करने की रेटिंग ही नहीं रखती है बस जो मिला उसे खा लिया, जबकि 39% खाद्य सुरक्षा और पोषण प्राप्त करने में अक्षम हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 55 प्रतिशत बच्चे कम वजन के है। और 55 प्रतिशत बच्चों की मौते कुपोषण के कारण होती है। यूनिसेफ और महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रकाशन-बाल संजीवनी के अनुसार कुछ और महत्वपूर्ण बिंदु भी हैं, जैसे देश के मध्यप्रदेश में देश में सर्वाधिक कम वजन के बच्चे हैं और यह स्थिति 1990 से यथावत बनी हुई है। सरकार कुपोषण दूर करने के लिए मुफ्त खाद्यान्न में फोर्टिफाइड चावल के दाने मिलाकर दे रही है। टीकाकरण आयरन फोलिक एसिड कैल्शियम की गोलियां मुफ्त दी जाती हैं। किंतु जागरूकता के अभाव में इसका लाभ अंतिम पायदान तक नहीं पहुंच रहा है।

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उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर से अदिति श्रीवास्तव ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत गंभीर भुखमरी और कुपोषण से जूझ रहा है। कई अलग-अलग रिपोर्टों के माध्यम से यह बात सामने आई है। भारत की यह स्थिति तब है जब देश में सरकार द्वारा मुफ्त या कम कीमत पर राशन दिया जाता है। फिर भी भारत गरीबी और भुखमरी से जूझ रहा है। ऐसे में सरकारी नीतियों को बदलने की सख्त आवश्यकता है ताकि कोई भी बच्चा भूखा न सो सके । विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर से राजकिशोरी सिंह ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत ने पिछले चार दशकों से अधिक की समयावधि में खाद्य उत्पाद में आत्मनिर्भरता को प्राप्त कर ले है। लेकिन अब तक खाद्य सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल सकी है। दुर्भाग्यवश देश में खाद्य उपलब्धता के बावजूद देश में भुखमरी की समस्या बानी हुई है।वर्ष 2019-2021 में आयोजित राष्ट्रिय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत में छोटे बच्चों के एक बड़े हिस्से को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है। जो उनके विकास और भविष्य की सेहत के बारे में चिंता उत्पन्न करता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।