उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से आराधना श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि घटती गरीबी और सरकारी आंकड़ों की वास्तविकता यह है कि आज जो सरकारी आंकड़े प्रस्तुत किए जा रहे हैं , वे वास्तविक नहीं हैं । लोग बैठे हैं , उन्हें सच नहीं बता रहे हैं , सच को दबा रहे हैं , गरीबी की समस्या अभी भी वही है , लेकिन आज यह और भी बढ़ गई है क्योंकि गरीबी कम नहीं हो रही है , लोगों की आजीविका के साधन नहीं बढ़ रहे हैं , जिसके कारण गरीबी कम नहीं हो रही है । हम मानते हैं कि जो भी डेटा प्रस्तुत किया जा रहा है वह संशोधित डेटा है जिसे उपलब्ध कराया जा सकता है । यह दिखाने के लिए समय कम किया जाता है कि लोगों को किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं मिल रही है । सरकार जो कुछ भी गरीबों के लिए कर रही है , वह जनता के लिए है । बंदरबन के कारण वास्तविक लोगों तक पहुंच की कमी भी सरकार के साथ लोगों की भागीदारी के कारण गरीबी की कमी के मुख्य कारणों में से एक है । यह लोगों के लिए उपलब्ध होना चाहिए , यह आसानी से उपलब्ध होना चाहिए , लोग उन्हें प्राप्त करने के लिए भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं , लेकिन कभी - कभी ऐसा होता है कि सरकार कुछ चीजों के लिए शासन करती है । सरकारी डेटा निर्माताओं का मानना है कि अगर वास्तविक डेटा को सार्वजनिक किया जाता है , तो सरकार इन सभी समस्याओं के कारण के लिए प्रतिबद्ध नहीं हो सकती है । इस वजह से वे लोग जानबूझकर डेटा छिपाने का काम करते हैं , जहां गरीब लोगों की संख्या सौ है , यह चालीस दिखाता है ।ऐसा इसलिए है क्योंकि यह उनकी प्रतिष्ठा बचाता है , कुछ अधिकारियों के कारण , कुछ राजनेताओं के कारण , यह समस्या समय के साथ बढ़ रही है जब तक कि उनकी मानसिकता बनी रहती है । और हमारी मानसिकता तब तक नहीं बदलेगी जब तक कि हम वास्तव में गरीबी पर सरकारी डेटा प्रदान नहीं कर सकते

फसलों को मौसम से बचने के लिए ऐसे किसानों की मदद करेंगे वस इस शहर में लगे ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन

कृषि छात्रों ने बताई स्मार्ट फार्मिंग की तकनीक

फसलों की सुरक्षा के लिए प्रदेश के किसानों को सरकार दे रही है 90 फीसदी तारबंदी अनुदान खजनी गोरखपुर।। आवारा छुट्टा पशुओं और नीलगायों से अपनी फसलों की सुरक्षा किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा एक महत्वपूर्ण सरकारी योजना चलाई जा रही है। जिसमें किसानों को अपने खेतों के चारों तरफ तार का बाड़ लगाने के लिए सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। इस यूपी तारबंदी योजना के तहत किसानों को इसका लाभ कैसे मिलेगा,इसका रजिस्ट्रेशन कैसे होगा,और उसमें कौन से दस्तावेज़ चाहिए,यह सारी जानकारी दी जा रही है। दरअसल छुट्टा पशुओं से प्रदेश में किसानों की समस्याएं बढ़ गई हैं, किसान अपने खेतों में घुमंतू आवारा पशुओं से परेशान हैं। छुट्टा पशु गाय,सांड,नीलगाय आदि पशु इस समस्या की जड़ बने हुए हैं और ये किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए,सरकार ने उत्तर प्रदेश तारबंदी योजना की शुरुआत की है। जिससे किसानों को अपने खेतों की तारबंदी करने में मदद मिल सके।योजना में सरकार किसानों को 80 से 90 प्रतिशत की छूट दे रही है। यदि किसी किसान ने अपने खेत में ₹10 हजार के तार लगाए हैं, तो सरकार उसे ₹9 हजार की सब्सिडी देगी इस तरह किसानों को सिर्फ ₹1हजार ही देना होगा। इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों के पास आधार कार्ड,बैंक पासबुक,मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, और खरीदे हुए तार की रसीद या बिल की आवश्यकता होगी। तारबंदी योजना की आॅनलाइन आवेदन की प्रक्रिया के जरिए किसान जैसे ही दस्तावेज अपलोड करेंगे तो कुछ ही दिनों में उनके आधार कार्ड से लिंक बैंक खाते में सरकार द्वारा अनुदान (सब्सिडी) की धन राशि भेज दी जाएगी। इस योजना का लाभ प्रदेश के सभी किसान उठा सकते हैं।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा प्याज व लहसुन फसल को कीटों से कैसे बचाये इस बारे में जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

15 हजार रूपए में शुरू करें सहजन की खेती, मुनाफा होगा 60 हजार रुपए। एक बार खेती करके आप पांच साल तक इसकी फसल ले सकते हैं। मुनाफा बढ़ता ही है। अगर आप बेहद कम लागत में मुनाफे की खेती करना चाहते हैं तो आप सहजन उगा सकते हैं। इसकी खास बात यह है कि आप बंजर-ऊसर जमीन पर भी सफलतापूर्वक सहजन की खेती कर सकते हैं। इस पौधे को बेहद कम पानी की जरूरत होती है। अगर एक एकड़ में आप इसकी खेती करते हैं तो आपको 15 हजार रुपए की लागत आएगी और आप 60 हजार रुपए तक मुनाफा कमा सकते हैं। एक बार खेती करके आप कम से कम पांच साल तक इसकी फसल ले सकते हैं। प्रति वर्ष मुनाफा बढ़ता ही है। एक साल में आने लगती है सहजन की फली गोरखपुर के अविनाश कुमार ने एक साल पहले इसकी खेती शुरू की है। उन्होंने बताया कि 15 हजार रुपए में तीन से चार किलो बीज और खेत की जुताई और बीज रोपाई में मजदूरी शामिल होगी। वे खेती में देसी खाद का प्रयोग करते हैं क्योंकि खेती प्राकृतिक तरीके से करते हैं। उन्होंने बताया कि एक साल में फली आने लगती है। आजकल बाजार में इसकी पत्तियों की काफी मांग है। इसकी पत्तियों की पहली कटाई 6 माह में की जाती है। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था शबला सेवा संस्थान इसकी पत्तियां खरीद लेती है। संस्था के साथ जुड़कर बहुत से किसान सहजन की खेती कर रहे हैं। उनकी अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती में कम लागत से मुनाफा अधिक होता है। औषधीय गुणों से भरपूर सहजन अविनाश कुमार ने बताया कि सेंजन, मुनगा या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके पेड़ के अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों से रोकथाम दिलाने के गुण मौजूद हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के अमीनो एसिड मिलते हैं। चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि होती है। संस्था खरीद लेती है किसानों की उपज सबला सेवा संस्थान की अध्यक्ष किरण यादव का कहना कि संस्था किसानों के साथ मिलकर खेती करवाती है। साथ ही उन्हें बाजार भी उपलब्ध करवाती है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई किसान उनकी संस्था के मिलकर इस खेती को करता है तो समयावधि पूरी होने पर किसान की उपज भी संस्था खरीद लेगी, जिससे किसान को बाजार में भटकना न पड़े।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा ग्रीष्मकालीन भिंडी की खेती कैसे करे सम्बंधित जानकारी दे रहे हैं । विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से आकांशा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि किसान भारतीय अर्थव्यवस्था एक कृषि अर्थव्यवस्था है ऐसी कृषि अर्थव्यवस्था के साथ कठिनाई यह है कि कृषि क्षेत्र उत्पादन का वितरण करता है । कृषि अर्थव्यवस्था की एक अन्य समस्या उत्पादकता है , जो कृषि के चक्र पर अत्यधिक निर्भर है । वर्तमान में , भारतीय किसान प्रति हेक्टेयर दो दशमलव चार टन चावल का उत्पादन करते हैं , जो इसकी वास्तविक क्षमता से बहुत पीछे है । दूसरी ओर , चीन और ब्राजील प्रति हेक्टेयर कम चावल का उत्पादन करते हैं ।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अगर किसान कड़ी मेहनत करते हैं और खाद्यान्न का उत्पादन करते हैं , तो अर्थव्यवस्था में उनकी हिस्सेदारी होनी चाहिए क्योंकि अगर किसान खाद्यान्न का उत्पादन नहीं करेंगे , तो देश में भुखमरी होगी । लोग बिना भोजन के मरने लगेंगे , इसलिए किसानों के पक्ष में , हमारे दो नेताओं ने आवाज उठाई , एक थे एमएस स्वामीनाथन जी और दूसरे थे हमारे चौधरी चरण सिंह जी , जो किसानों के पक्ष में थे । पक्ष में , उन्होंने आंदोलन भी किया था और अपने हक के लिए अनाज की कीमत तय की थी , जिस पर किसानों से शुल्क लिया जाएगा । मतलब कोई नुकसान नहीं , लेकिन उनकी बात बीच में काट दी गई और कोई महत्व नहीं दिया गया , किसानों पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए ।

पक्ष विपक्ष कड़ी संख्या 49 किसान भी है अर्थव्यवस्था का हिस्सा