किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें
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हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार बीस तीन सालों में दुनिया के पांच बड़े व्यापारियों की संपत्ति में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिस समय इन अमीरों की दौलत में इजाफा हो रहा था, ठीक उसी समय पांच मिलियन लोग गरीब से और ज्यादा गरीब हो रहे थे। इससे ज्यादा मजे की बात यह है कि हाल ही में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक में शीर्ष पांच उद्योगपतियों ने एक नई रणनीति पर चर्चा और गठबंधन किया।
शेखपुरा जिलाधिकारी जे प्रियदर्शिनी के द्वारा लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम अंतर्गत अपील वाद की सुनवाई की गई। अपील वाद के प्रथम मामले में इसुआ ग्राम निवासी नरेश राम जो बरबीघा प्रखंड के डुमरी स्थित उत्क्रमित मध्य विधालय डुमरी के शिक्षक है। विगत 22 माह से उनका वेतन का भुगतान नही किया गया है। जिला पदाधिकारी महोदया ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शिक्षा विभाग को 07 दिनों के अंदर शिक्षक नरेश राम के बकाये वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया। साथ ही भुगतान के पश्चात जिला पदाधिकारी को अवगत कराने को भी कहा गया। ज्ञात हो कि उक्त मामले में पूर्व में की गई सुनवाई के दौरान जिला पदाधिकारी महोदया द्वारा वर्ष 2021 से अबतक वेतन मद मे प्राप्त आवंटन की प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया था। वहीं दूसरा अपील वाद जो गडुआ निवासी परिवादी नवीन सिंह से संबंधित हैं । जिसमें वे सर्वे में अपनी भूमि की नापी कराना चाहते हैं। जिला पदाधिकारी महोदया द्वारा वादी को संबंधित अंचल में जाकर विधिवत आवेदन करने एवं नापी संबंधी शुल्क जमाकर अंचल अमीन से नापी कराने का निदेश दिया। साथ ही सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि सर्वे से संबंधित शिकायतों को जाँचोपरांत कार्रवाई करते हुए कार्रवाई प्रतिवेदन से अवगत करायें। एक अन्य मामले में जयमंगला निवासी राम कुमार द्वारा विधुत विभाग द्वारा मनमाने ढंग से बिजली बिल बढ़ाकर देने संबंधी आरोप विधुत विभाग पर लगाये गये। जिसके संदर्भ में सहायक विधुत अभियंता (राजस्व) द्वारा बताया गया कि जाँचोपरांत इनके मीटर संख्या का सुधार करते हुए वास्तविक माँग पठन पर विधुत विपत्र सुधार किया जा रहा है। आवेदक द्वारा अपने विधुत कनेक्शन की तिथि से ही एक बार भी विधुत विपत्र का भुगतान नही किया है। जिला पदाधिकारी महोदया ने आवेदक को सुझाव देते हुए निदेश दिया गया कि सुधार विधुत विपत्र का भुगतान अबिलंब करना सुनिश्चित करेंगे।ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।
स्वच्छता कर्मियों ने विधायक को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। शेखपुरा।। शनिवार को जिला स्वच्छता पर्यवेक्षक संघ शेखपुरा के द्वारा शेखपुरा के राजद विधायक विजय सम्राट से मुलाकात कर अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा है। इस मौके पर स्वच्छता पर्यवेक्षक संघ के अध्यक्ष ब्रजेश कुमार, सचिव चंदन कुमार, कोषाध्यक्ष रामप्रवेश कुमार सहित कई स्वच्छता पर्यवेक्षक शामिल रहे। सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने कहा कि लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्र के 54 पंचायतों में 54 स्वच्छता पर्यवेक्षक व 2698 स्वच्छता कर्मी कार्यरत हैं। सरकार के द्वारा पर्यवेक्षक को पांच हजार और स्वच्छता कर्मी को 15 सौ रुपए मानदेय दिया जाता है। उसमें भी समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है। इनकी मांगों मे स्वच्छता पर्यवेक्षक व स्वच्छता कर्मी का वेतन पंचायत से हटाकर जिला अथवा प्रखंड स्तर से करने, स्वच्छता पर्यवेक्षक का वेतन बीस हजार रुपए करने के अलावा स्वच्छता पर्यवेक्षक का इपीएफ, मोबाइल भत्ता का लाभ और साठ वर्ष सेवाकाल स्थाई करने सहित कई मांगों को लेकर विधायक को ज्ञापन दिया है। साथ हीं वित्तिय वर्ष की समाप्ति पर 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी और स्वच्छता पर्यवेक्षक का एल. एस. बी. ए. आई. डी.जेनरेट करने सहित कई मांगों को लेकर विधायक को पत्र सौंपा है। जहां विधायक ने मांग पत्र को विधानसभा में पटल पर रखने की बात कही।
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दोस्तों, दुनिया भर में काम के घंटे घटाए जाने की मांग बढ़ जा रही है, दूसरी तरफ भारत काम के घंटों को बढ़ाए जाने की सलाह दी जा रही है। भारत में ज्यादातर संस्थान छ दिन काम के आधार पर चलते हैं, जिनमें औसतन 8-9 घंटे काम होता है, उस हिसाब से यहां औसतन पैंतालिस घंटे काम किया जाता है। जबकि दुनिया की बाकी देशों में काम के घंटे कम हैं, युरोपीय देशों में फ्रांस में औसतन 35 घंटे काम किया जाता है, ऑस्ट्रेलिया में 38 घंटे औसतन साढ़े सात घंटे काम किया जाता है, अमेरिका में 40 घंटे, ब्रिटेन में 48 घंटे और सबसे कम नीदरलैंड में 29 घंटे काम किया जाता है। दोस्तों, बढ़े हुए काम घंटों की सलाह देना आखिर किस सोच को बताता है, जबकि कर्मचारियों के काम से बढ़े कंपनी के मुनाफे में उसका हक न के बराबर या फिर बिल्कुल नहीं है? ऐसे में हर बात पर देशहित को लाना और उसके नाम पर ज्यादा काम की सलाह देना कितना वाजिब है? इस मसले पर अपना राय को मोबाईल वाणी पर रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आप भले ही मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में, इसे रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं अपने फोन से तीन नंबर का बटन
दोस्तो, आज अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस है... यह दिन खासतौर पर उन महिलाओं को समर्पित है... जो काम तो पुरुषों के बराबर करती हैं पर जब वेतन की बात आती है तो उन्हें कम आंका जाता है... क्या आप भी ऐसी परिस्थितियों से गुजरे हैं? इस खास दिन पर आपके क्या विचार है.. फोन में नम्बर 3 दबाकर रिकॉर्ड करें.