बिहार राज्य के पश्चिम चंपारण जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता अशोक शास्त्री जानकारी दे रहे हैं कि विद्यालय भवन चकाचक, शिक्षक भरपुर और छात्र भी समुचित लेकिन सरकारी विद्यालय में आज भी पढ़ाई नदारत है। शिक्षक बैठकर गपशप करते हैं। यह लगभग एक दर्जन स्कूलों की बात है। शिक्षा प्रणाली शिक्षकों की स्थिति में सुधार लाने में लगी हुई है , लेकिन ये माननीय शिक्षक अपनी कार्य शैली में सुधार करने के बारे में नहीं सोचते हैं। बिहार के स्कूलों में सुधार नहीं हो पा रहा है और जिसके कारण बिहार की शिक्षा प्रणाली पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है

बिहार राज्य के पश्चिम चंपारण जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता आरती कुमारी जानकारी दे रही हैं कि हमारे पंचायत में स्कूलों की व्यवस्था बहुत खराब है। इसलिए इन स्कूलों पर जांच होनी चाहिए। जरूरत के अनुसार कारवाई कर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाना चाहिए

दोस्तों, भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट से यह पता चला कि वर्तमान में भारत के करीब 6.57 प्रतिशत गांवों में ही वरिष्ठ माध्यमिक कक्षा 11वीं और 12वीं यानी हायर एजुकेशन के लिए स्कूल हैं। देश के केवल 11 प्रतिशत गांवों में ही 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के लिए हाई स्कूल हैं। यदि राज्यवार देखें तो आज भी देश के करीब 10 राज्य ऐसे हैं जहां 15 प्रतिशत से अधिक गांवों में कोई स्कूल नहीं है। शिक्षा में समानता का अधिकार बताने वाले देश के आंकड़े वास्तव में कुछ और ही बयान करते हैं और जहां एक तरफ शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति समाज की प्रगति का संकेत देती है, वहीं लड़कियों की लड़कों तुलना में कम संख्या हमारे समाज पर प्रश्न चिह्न भी लगाती है? वासतव में शायद आजाद देश की नारी शिक्षा के लिए अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं है। तब तक आप हमें बताइए कि * ------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने लाइन में खड़ी है ? * ------आपके हिसाब से लड़कियाँ की शिक्षा क्यों नहीं ले पा रहीं है ? लड़कियों की शिक्षा क्यों ज़रूरी है ? * ------साथ ही लड़कियाँ की शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?