उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से आलोक श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से विवेक से बातचीत की।विवेक का कहना है कि महिलाओं को संपत्ति में अधिकार मिलना बहुत जरुरी है। समानता का अधिकार ,शिक्षा और सुरक्षा देकर महिलाओं को विकास होगा। आजकल अपने काम काज के लिए 70 प्रतिसत महिलायें अपने घरो से बहार निकल रही है। पहले महिलाये घुंघट में रहती थी, पर आज ऐसा नहीं है
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से पवन त्रिपाठी से बातचीत की। पवन त्रिपाठी का कहना है निश्चित रूप से महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए क्योंकि बेटियां बेटों के बराबर होती हैं जिस तरह बेटे पिता का प्यारा होती हैं बेटियां भी होती हैं।भले ही पुत्री की शादी हो गयी हो लेकिन वे भी तो पिता की ही संतान होती हैं। विकट परिस्थियों में पिता के द्वारा दी गयी संपत्ति उस समय के बाद वह बच जाएगी, लेकिन वह पिता की बेटी भी है। कठिन परिस्थितियों में पिता द्वारा दी गई संपत्ति से ही उसका समर्थन हो जाएगा। और उन्हें दर दर की ठोकरे नहीं खानी पड़ेंगी। इससे उनका भरण पोषण हो जाएगा और यह एक अधिनियम भी बन गया है। दो हजार पाँच से सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि पिता की संपत्ति में बेटियों का भी बराबर हिस्सा होना चाहिए। ताकि समाज के दोनों पक्ष पुरुषों और महिलाओं के बीच संतुलन बना रहे
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में पैतृक संपत्ति में बेटियों को संपत्ति अर्जित करने, रखने और निपटाने का समान अधिकार है, चाहे वह विरासत में मिली हो या खुद अर्जित की गयी हो। हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत जिसे 2005 में संसोधन किया गया था इसके अनुसार बेटियों को संपत्ति में सामान अधिकार मिलना चाहिए
भारत जैसे देश में जहां सासंकृतिक सामाजिक और राजनीतिक असमानताओं की खाई बहुत ज्यादा गहरी है, ऐसे में यह कह पाना कि सबकुछ एक समान है थोड़ी ज्यादती है। आप हमें बताइए कि "*----- महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में शामिल करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- समुदाय-आधारित पहल और सामाजिक उद्यमिता गरीबी उन्मूलन में कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से रामप्रकाश सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि हमारे देश में तमाम ऐसी ग्राम सभाओं में महिलाएं प्रमुख होती हैं, लेकिन उन्हें पीछे कर दिया जाता है। सारा काम उनके पति करते हैं। महिलाएं ज्यादातर ब्लॉक या गांव में नहीं देखी जाती हैं। न ही बैठकों में उन्हें देखा जाता है। जहां भी ग्राम सभा की खुली बैठक होती है वहां , कभी-कभी वे बुलाते हैं। जबकि महिलाओं का ही अधिकार होना चाहिए, जब उन्हें प्रधान या मुखिया बनाया गया है, तो उन्हें ही ग्राम सभा में भेजा जाना चाहिए। महिलाओं को जब तक जानकारियां नहीं होती है, तब तक महिलाएं पीछे ही रहती है। अगर महिलाओं को ग्राम सभा स्तर पर, समाज के बीच में भेजा जा रहा है, तो इसका महिलाओं पर बहुत प्रभाव पड़ता है। क्योंकि महिलाएं ही महिलाएं जुड़ती हैं।अधिक महिलाओं को ग्राम सभाओं में भेजा जाना चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से रामप्रकाश सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि हमारे देश में नारी शक्ति की पूजा की जाती है। लेकिन हमारे देश में लोग स्त्रियों को उनके हक़ दिलाने में पीछ रह जाती है। जबकि नारियों को उनका हक़ मिलना चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से रामप्रकाश सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि पैतृक संपत्ति के अधिकार को लेकर क्षेत्र के लोगो की अलग अलग राय आ रही है। कुछ लोगो का मानना है की महिलाओ को पैतृक संपत्ति में अधिकार दिया जाये तो कुछ का मानना है की उन्हें अधिकार नहीं दिया जाये। अगर महिलाएं विधवा हो जाती हैं तो उन्हें अधिकार जरूर मिलने चाहिए। अधिकतर महिलायें शिक्षा के अभाव के कारण अपने घरो से बाहर नहीं निकलती है। महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलना ही चाहिए लेकिन कुछ लोग का मानना है की उन्हें अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सोमनाथ से साक्षात्कार लिया। सोमनाथ ने बताया कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए, क्युकी वो भी एक ही माता पिता की संतान है। बेटियों का उनके ससुराल में भी हिस्सा होता ही है। आज के समय में बेटा और बेटी एक ही समान है
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सोनमती से साक्षात्कार लिया। सोनमती ने बताया कि पैतृक संपत्ति में बेटियों को अधिकार नहीं मिलना चाहिए, उनका अधिकार उनके ससुराल में होता है। बेटी और बेटा में कोई अंतर नहीं है, दोनों एक सामान है। बेटियाँ भी बेटो से कम नहीं है , आज के समय में बेटियाँ बेटो से आगे निकल रही है।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से निशा से साक्षात्कार लिया। निशा ने बताया कि अगर मायके में भाई नहीं है, तो पैतृक संपत्ति में अधिकार मिल सकता है और अगर भाई है तो नहीं मिलना चाहिए। पैतृक संपत्ति के असली हकदार भाई ही होते है अगर बहन उसमे हिस्सा लेती है, तो इससे रिश्ते ख़राब होते है। बेटियां भी बेटो से कम नहीं है , इसलिए वो भी पैतृक संपत्ति पाने की हकदार है। बेटियों को भी अगर साथ मिले तो वो भी आगे बढ़ सकती है। भाई के रहते अगर बहन उसमे हिस्सा लेती है, तो इससे रिश्ते ख़राब होते है।