सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से आलोक श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रमोद से बातचीत की। प्रमोद का कहना है कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए। लड़की की शादी अगर हो गई है, तो भाई पैतृक समपत्ति में हिस्सा देने से भाई ऐतराज़ करेगा। अगर शादी नहीं हुई है तो ऐतराज़ नहीं करेगा। माता पिता बेटी की शादी में बहुत खर्च करते है और फिर भी उन्हें पैतृक सम्पति में हिस्सा दिया जाये , तो भाई नहीं मानेगा। शादी के बाद महिलाओं को हिस्सा नहीं मिलना चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के.सी.चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से दिनेश प्रताप सिंह से साक्षात्कार लिया। दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि बहुओं को सम्पत्ति का अधिकार देना उचित है। मगर शादीशुदा बेटियों को देना उचित नही है। यदि विवाहित बेटी को सम्पत्ति का अधिकार दिया जाएगा तो वो पटीदार हो जाएँगी। बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्सा नही मिलना चाहिए।सम्पत्ति बंटवारा को लेकर भाई - बहन के रिश्ते में खटास आ जाएगा
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से गोपी से बातचीत की। गोपी का कहना है महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सा बेटे रहेंगे तब नही मिलना चाहिए बेटे नहीं रहेंगे तो बेटियों को संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। बेटों के रहते हुए यदि बेटियां हिस्सा लेंगी तो भाई बहन के रिश्ते में दरार आ सकती है। उनका कहना है बेटियां बेटों से कम नहीं होती हैं यदि बेटियां चाहे तो बेटों से आगे निकल सकती हैं
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से आशा से बातचीत की। आशा का कहना है पैतृक संपत्ति में बेटियों को हिसस मिलना चाहिए क्योंकि बेटी बेटा दोनों एक समान होते हैं। माना जाए तो बेटियां सब कुछ कर सकती हैं वे बेटों से कम नहीं हैं। उनका कहना है बेटे हैं और बेटियां हिस्सा लेना चाहती हैं तो भाई बहन के रिश्ते में दरार आ जाएगी। यदि बेटे नहीं हैं तो माँ बाप की सेवा करने के लिए बेटियों को संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से निशा से बातचीत की।निशा का कहना है पैतृक संपत्ति में बेटियों को हिस्सा मिलना चाहिए। क्योंकि बेटियों को पढ़ा लिखा कर दान दहेज देकर शादी की जाती है। शादी के बाद ससुराल में हिस्सा मिलना चाहिए। उनके नज़र में बेटी बेटा में कोई अंतर नहीं होता है दोनों एक समान हैं। यदि स्पोर्ट मिले तो बेटियां भी बेटों की तरह आगे बढ़ सकती हैं
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सीमा से बातचीत की।सीमा का कहना है बेटियां पैतृक संपत्ति में हिस्सा ले सकती हैं वे बेटों से कम नहीं हैं। मायके में बेटे नहीं है तो बेटियां मायके में हिस्सा लेकर माता पिता की सेवा कर सकते हैं और ससुराल में भी हिस्सा ले सकती हैं।यदि बेटों के रहते हुए बेटियां संपत्ति में हिस्सा लेती हैं तो भाई बहन के रिश्ते में दरार आ सकती है। उनका कहना है लड़का और लड़की में कोई अंतर् नहीं होता है आज की लड़कियां सब कुछ कर सकती हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से शिला से बातचीत की।शिला का कहना है पैतृक संपत्ति में बेटियों को हिस्सा नहीं मिलना चाहिए क्योंकि बेटियों का शादी के बाद ससुराल में हिस्सा मिलना चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से लक्ष्मी से बातचीत की। लक्ष्मी का कहना है बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलना चाहिए। क्योंकि बेटियों को दान दहेज़ देकर शादी किया जाता है,इसलिए बेटियों को ससुराल में हिस्सा मिलना चाहिए। साथ ही उनका कहना है बेटी बेटा में कोई अंतर् नहीं है दोनों एक समान होते हैं
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देने की बात होती है। इस बारे में क्षेत्र के लोगों की अलग-अलग राय होती है। इस क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से कई प्रकार की बुराइयाँ समाज में धीरे-धीरे लोगों में व्याप्त थीं लोग जागरूक हो गए हैं और समाज में व्याप्त बुराइयों को धीरे-धीरे बाल विवाह की तरह समाप्त किया जा रहा है, उसी तरह समाज में धीरे-धीरे विभिन्न धार्मिक प्रथाओं को लागू किया जा रहा है। महिलाओं की संपत्ति का अधिकार लोगों को दिया जाएगा, जो महिलाओं को सशक्त बनाएगा, विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं को संपत्ति का अधिकार दिया जाना चाहिए। अगर अधिकार देना है तो दिया जाएगा, लेकिन हर चीज के लिए एक समय है, महिलाओं को समय पर अधिकार मिलेंगे, इसके लिए महिलाओं को भी समाज में जो कुछ भी बुराई है, उसके बारे में जागरूक होना होगा। शुरुआत में या अंत में बहुत प्रयास करना पड़ता है, इसलिए अब लोगों को महिलाओं के संपत्ति के अधिकारों के लिए भी कड़ी मेहनत करनी होगी और धीरे-धीरे एक दिन ऐसा आएगा कि समाज का सप्ताह खत्म हो जाएगा। वर्ग और प्रत्येक व्यक्ति महिलाओं के संपत्ति के अधिकार के तहत आएगा और सरकार महिलाओं को शिक्षित करने और उनके अधिकारों का प्रयोग करने के लिए इसे आवश्यक बनाकर महिलाओं को सशक्त बनाने का भी प्रयास कर रही है।