संतकबीरनगरः ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर गांव में बिजली लगवाई जाने की मांग की , विद्युत विभाग द्वारा ट्रांसफार्मर लगाए जाने के स्वीकृति के बाद भी विभाग की लापरवाही का लगाया आरोप, बघौली ब्लाक क्षेत्र के बालू शासन गांव के निषाद बस्ती का मामला.
उत्तप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की लैंगिक असमानता के चलते आज महिलाओं को अपना हक़ नहीं मिल पा रहा है।महिलाओ के अपने अधिकारों को लेकर जागरूक होना होगा
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर जिला से के सी चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जागरूकता की कमी के कारण आज भी महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में पता नहीं है, महिलाओं को जागरूक करना सबसे महत्वपूर्ण है कि सरकार द्वारा कौन सी योजनाएं चलाई जानी चाहिए। चुनाव के समय नेता बड़ी-बड़ी चीजें लेकर चले जाते हैं और भोली-भाली जनता को अपना शिकार बनाते हैं। वोट देने के बाद वे पांच साल तक पीछे मुड़कर नहीं देखते। इसलिए जनता को भी अपने अधिकारों की मांग करनी चाहिए, महिलाओं को भी अपने अधिकारों के लिए एकजुट होना चाहिए और किसी के लालच में आए बिना मतदान करना चाहिए। साथ ही महिलाओं के लिए शिक्षा होना आवश्यक है और जब शिक्षा होगी तो लोग जागरूक होंगे कि शिक्षा के बिना कोई काम नहीं किया जा सकता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के संत अबीर नगर से के सी चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार का दावा है कि हर कोई पानी की टंकी से पानी पी रहा है, लेकिन वास्तविकता अलग प्रतीत होती है। एक ग्रामीण अपने गाँव में पानी की टंकी के दौरान हमसे मिला है, पानी की टंकी की क्या स्थिति है, पानी की आपूर्ति हो सकती है या नहीं, आज हम उससे बात करेंगे कि पानी की टंकी लगी है, आप क्या खाना चाहते हैं, पानी की टंकी लगभग एक साल से लगी हुई है।
संतकबीरनगरः बेलहर ब्लाॅक के ग्राम पंचायत बरडाड के राजस्व गांव पिपरी में रोज की तरह खेत में चरने गई भैंस गिरी पडी थीं। चीख-पुकार सुनकर गांव के लोग पहुंचे तो तीन भैसों की मौके पर मौत हो चुकी थी और अन्य छह की हालत गंभीर है। मौके पर पहुंचे प्रधान कमलेश यादव ने पशु चिकित्सक को फोन किया। मौके पहुंची डाॅक्टरों की टीम ने बीमार भैसों के इलाज में जुट गई। पशु पालक हरीराम ने बताया कि वह लोग रोज की तरह भैंस चराने ले गए थे। भैसें खेत में चरने लगीं। वह लोग कुछ दूरी पर खड़े थे। कुछ समय के बाद जब भैंस आगे नहीं निकलीं तो मौके पर जाकर देखा तो तीन भैंस बेसुध पड़ी थीं ।इस संबंध में पूछे जाने पर पशु चिकित्सक डॉक्टर र ने बताया कि भैंसों का पोस्टमार्टम होगा, तभी मौत का कारण स्पष्ट होगा। हल्का लेखपाल आशीष वर्मा ने कहा कि मामले की रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।
Transcript Unavailable.
संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल क्षेत्र में गर्मी में शहर से देहात तक पानी की किल्लत बढ़ गई है। कस्बे में कई हैंडपंप और देसी नल सूख चुके हैं। जो चल रहे हैं, वहां पानी बहुत कम निकल रहा है।पानी के लिए लोग चक्कर लगा रहे हैं। वहीं जलस्तर गिरने से घरों में लगे मोटर पानी नहीं उठा रहे हैं।कस्बे के केवटलिया अव्वल, बहबोलिया, पुरवा मोहल्ला के लोगों के अनुसार हैंडपंप पिछले कई दिनों से पानी नहीं दे रहा है। वहीं कुछ ने कहा कि काफी देर हैंडपंप चलाने के बाद बमुश्किल एक बाल्टी पानी निकल पा रहा है। कस्बे का दर्जा तो मिल गया। पानी की टंकी बने वर्षों बीत गए। कई मोहल्लों में पाइप लाइन भी बिछाई जा चुकी है। लेकिन टोटी का पानी अभी तक लोगों को मयस्सर नहीं हुआ। पेयजल व्यवस्था का हाल बुरा बना हुआ है। हैंडपंप सूख चुके हैं। अब पीने के लिए जार का पानी खरीद रहे हैं। स्थिति दयनीय है, लेकिन जिम्मेदार बेखबर हैं। मेंहदावल क्षेत्र में गर्मी में जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। इससे हैंडपंप में पानी कम आ रहा है। कमोबेश यह समस्या हर जगह देखने को मिल रही है। मोटर के पानी न उठाने से पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में भी जलस्तर तेजी गिरने से हैंडपंप बेपानी हो रहे हैं। यहां तो लोग किसी तरह व्यवस्था कर ले रहे हैं। लेकिन शहर में विकल्प के तौर पर कुछ नहीं है, जहां से पानी की पूर्ति की जा सके।केवटलिया वार्ड के सतीश कुमार ने कहा कि एक सप्ताह से पानी की किल्लत है। अब तो नल ही सूख गया। 80 फीट गहराई वाले नल से एक बूंद पानी नहीं आ रहा है। जार खरीदकर प्यास तो बुझा ले रहे हैं, लेकिन नहाने और कपड़ा धुलने के लिए पानी की दिक्कत हो रही है। मोटर में पानी न आने से रीबोर कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। बहबोलिया के शंशाक, विवेक ने कहा कि हैंडपंप ने पानी देना बंद किया तो लगा कि खराब हो गया। दूसरा पाइप डलवा दिए फिर भी समस्या बनी हुई है। किसलावती ने कहा कि मोटर से भी पानी नहीं निकल रहा है। जहां पानी निकलता है कई बार जाना पड़ता है। धूप में दूर से पानी लाना बड़ा मुश्किल का काम हो गया है।
चुनाव जीतने के बाद लोकतंत्र के बड़े-बड़े वादे खत्म हो जाते हैं, कोई भी इस क्षेत्र पर ध्यान नहीं देता है, न ही लोगों से कोई उम्मीद है और न ही चुनाव होने पर। भी आ जाता है तो पब्लिक में हुआ है, हम आपको जो भी सहायता चाहिए देंगे, लेकिन कोई सहायता नहीं है। महिलाओं को भी परेशान किया जाता है। आरक्षण देने के बाद भी वे महिलाओं से पीछे रहते हैं और परेशान भी होते हैं, उन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती, चाहे वह पुरुष हो या महिला, उन्हें भी सुविधा नहीं मिलती।
भारत सरकार की योजनाएं बना हुआ लेकिन तालाब में पानी नहीं है, गड्ढे में पानी नहीं है, सरोवर में पानी नहीं है ।गर्मी इतनी अधिक है। पशु-पक्षी परेशान हो जाते हैं। लेकिन उन्हें भी पानी नहीं मिलता है। सरकार को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
Transcript Unavailable.