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संतकबीरनगरः बेलहर ब्लाॅक के ग्राम पंचायत बरडाड के राजस्व गांव पिपरी में रोज की तरह खेत में चरने गई भैंस गिरी पडी थीं। चीख-पुकार सुनकर गांव के लोग पहुंचे तो तीन भैसों की मौके पर मौत हो चुकी थी और अन्य छह की हालत गंभीर है। मौके पर पहुंचे प्रधान कमलेश यादव ने पशु चिकित्सक को फोन किया। मौके पहुंची डाॅक्टरों की टीम ने बीमार भैसों के इलाज में जुट गई। पशु पालक हरीराम ने बताया कि वह लोग रोज की तरह भैंस चराने ले गए थे। भैसें खेत में चरने लगीं। वह लोग कुछ दूरी पर खड़े थे। कुछ समय के बाद जब भैंस आगे नहीं निकलीं तो मौके पर जाकर देखा तो तीन भैंस बेसुध पड़ी थीं ।इस संबंध में पूछे जाने पर पशु चिकित्सक डॉक्टर र ने बताया कि भैंसों का पोस्टमार्टम होगा, तभी मौत का कारण स्पष्ट होगा। हल्का लेखपाल आशीष वर्मा ने कहा कि मामले की रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।
मोबाइल वाणी संत कबीर नगर से के.सी. चौधरी बता रहे है की आने वाले समय में पानी जीवन और पानी का आधार बनेगा। कोई भी पानी को महत्व नहीं दे रहा है, लेकिन अगर धीरे-धीरे देखा जाए तो पानी जीवन की कहानी बन जाएगा क्योंकि भूमि की सतह से पानी का स्तर धीरे-धीरे नीचे जा रहा है और जिसके कारण नल बन रहा है। हैंडपंप सूख गए हैं और इस समय अधिकांश गाँवों में हैंडपंप से पानी नहीं निकल रहा है।
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर जिला से राम प्रकाश सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाएँ हमेशा आधार कार्ड, पिन कार्ड, नौकरी की सुरक्षा जैसी सरकारी योजनाओं के चक्र में आगे रहने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन आज के समाज में पीछे रह गई हैं। पता नहीं उन्हें समाज में इतना पीछे क्यों रखा जाता है, जबकि महिलाओं को आगे रखना महत्वपूर्ण है, संपत्ति के अधिकार का भी समर्थन नहीं किया जाता है। संपत्ति का अधिकार भी होना चाहिए, जबकि सरकार भी कई योजनाएं देती है।
संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल क्षेत्र में गर्मी में शहर से देहात तक पानी की किल्लत बढ़ गई है। कस्बे में कई हैंडपंप और देसी नल सूख चुके हैं। जो चल रहे हैं, वहां पानी बहुत कम निकल रहा है।पानी के लिए लोग चक्कर लगा रहे हैं। वहीं जलस्तर गिरने से घरों में लगे मोटर पानी नहीं उठा रहे हैं।कस्बे के केवटलिया अव्वल, बहबोलिया, पुरवा मोहल्ला के लोगों के अनुसार हैंडपंप पिछले कई दिनों से पानी नहीं दे रहा है। वहीं कुछ ने कहा कि काफी देर हैंडपंप चलाने के बाद बमुश्किल एक बाल्टी पानी निकल पा रहा है। कस्बे का दर्जा तो मिल गया। पानी की टंकी बने वर्षों बीत गए। कई मोहल्लों में पाइप लाइन भी बिछाई जा चुकी है। लेकिन टोटी का पानी अभी तक लोगों को मयस्सर नहीं हुआ। पेयजल व्यवस्था का हाल बुरा बना हुआ है। हैंडपंप सूख चुके हैं। अब पीने के लिए जार का पानी खरीद रहे हैं। स्थिति दयनीय है, लेकिन जिम्मेदार बेखबर हैं। मेंहदावल क्षेत्र में गर्मी में जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। इससे हैंडपंप में पानी कम आ रहा है। कमोबेश यह समस्या हर जगह देखने को मिल रही है। मोटर के पानी न उठाने से पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में भी जलस्तर तेजी गिरने से हैंडपंप बेपानी हो रहे हैं। यहां तो लोग किसी तरह व्यवस्था कर ले रहे हैं। लेकिन शहर में विकल्प के तौर पर कुछ नहीं है, जहां से पानी की पूर्ति की जा सके।केवटलिया वार्ड के सतीश कुमार ने कहा कि एक सप्ताह से पानी की किल्लत है। अब तो नल ही सूख गया। 80 फीट गहराई वाले नल से एक बूंद पानी नहीं आ रहा है। जार खरीदकर प्यास तो बुझा ले रहे हैं, लेकिन नहाने और कपड़ा धुलने के लिए पानी की दिक्कत हो रही है। मोटर में पानी न आने से रीबोर कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। बहबोलिया के शंशाक, विवेक ने कहा कि हैंडपंप ने पानी देना बंद किया तो लगा कि खराब हो गया। दूसरा पाइप डलवा दिए फिर भी समस्या बनी हुई है। किसलावती ने कहा कि मोटर से भी पानी नहीं निकल रहा है। जहां पानी निकलता है कई बार जाना पड़ता है। धूप में दूर से पानी लाना बड़ा मुश्किल का काम हो गया है।
महिलाओं की भागीदारी देखते हैं, तो समाज में महिलाओं की भागीदारी काफी है। कुछ स्थानों पर महिलाएं रोजगार, शिक्षा, संपत्ति का अधिकार, राशन कार्ड का अधिकार जैसे अपने अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम नहीं हैं। केवल कुछ ही महिलाएं चुनावों में अपने अधिकारों में से एक को छोड़कर सभी का प्रयोग करने में सक्षम हैं, जिससे आधे से अधिक महिलाओं को जानकारी नहीं है। इसके लिए शिक्षा को बढ़ावा देना भी जरूरी है, शिक्षा बनी रही तो महिलाओं का सशक्तिकरण होगा, शिक्षा नहीं रही तो महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं होगा। परिवार समाज का अग्रदूत होगा, जैसा कि आज महिलाओं, हेलीकॉप्टर, हवाई जहाज, सेना, नौकरियों, दुकानों और समाज के कई अन्य पहलुओं में देखा जाता है। पुरुषों की तुलना में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली महिलाओं की संख्या अधिक है, लेकिन फिर भी, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अभी भी काफी अनपढ़ हैं, जिसके कारण वे पानी में घरेलू चौकों और भोजन और कपड़ों का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। वे सफाई में लगे हुए हैं ताकि वे बाहरी ज्ञान का अनुभव न करें। व्यवस्थाओं को सम्मान और शिक्षा की आवश्यकता है ताकि देश का विकास तभी हो जब महिलाएं जागरूक हों।
पानी को हमेशा संरक्षित किया जाना चाहिए जबकि अगर पानी घर में आता है तो पड़ोसी से पानी लिया जा सकता है। अगर आप स्वस्थ हैं तो पानी की हमेशा रक्षा करनी चाहिए। सरकार को उस पर ध्यान देना चाहिए, सरकार को उस पर ध्यान देना चाहिए और फिर आम जनता को ध्यान देना चाहिए कि आप हमेशा पानी की खपत कम करें। अगर घर में पानी कम है तो आप दूसरे से पानी ले सकते हैं और जब पानी नहीं होगा तो आपको इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि आपको पानी कहां से मिलेगा।
चुनाव जीतने के बाद लोकतंत्र के बड़े-बड़े वादे खत्म हो जाते हैं, कोई भी इस क्षेत्र पर ध्यान नहीं देता है, न ही लोगों से कोई उम्मीद है और न ही चुनाव होने पर। भी आ जाता है तो पब्लिक में हुआ है, हम आपको जो भी सहायता चाहिए देंगे, लेकिन कोई सहायता नहीं है। महिलाओं को भी परेशान किया जाता है। आरक्षण देने के बाद भी वे महिलाओं से पीछे रहते हैं और परेशान भी होते हैं, उन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती, चाहे वह पुरुष हो या महिला, उन्हें भी सुविधा नहीं मिलती।
भारत सरकार की योजनाएं बना हुआ लेकिन तालाब में पानी नहीं है, गड्ढे में पानी नहीं है, सरोवर में पानी नहीं है ।गर्मी इतनी अधिक है। पशु-पक्षी परेशान हो जाते हैं। लेकिन उन्हें भी पानी नहीं मिलता है। सरकार को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
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